पिछले दो हप्ते से भी ज्यादा समय हो रहा है ,बगल के देश अफगानिस्तान में दोबारा तालिबानी सत्ता मे आ चुके है ! और अपने बदले-बदले जनाब का दावा करने के बावजूद ,वह अपने आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं ! ऐसा भारत का मुख्य धाराका मीडिया लगातार बताने की कोशिश कर रहा है ! लेकिन हमारे अपने ही देश में किसी रिक्षा चालक, या चूडियां बेचने वाले से लेकर आज एक दोसा बनाने वाले के उपर हमले हो रहे हैं ! इसके पहले गाय के नाम पर सौ से भी ज्यादा लोगों की माबलिंचिग करके हत्याए करने की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों को क्या कहेंगे ? एक हिंदी सिनेमा का डायलाग याद आ रहा है कि शीशे के घर में रहने वाले दूसरों के घरों पर पथ्थर नहीं फेंका करते !
क्या भारत का मुख्य धारा का मीडिया पागल हो गया है ? कि उसे अपने खुद के घर में क्या हो रहा है ? यह नहीं दिखाई देता है ? और दूसरे देशों में, वह भी मुख्यतः मुस्लिम देशो की घटनाओं को खूब बढाचढाकर और मसाले लगा कर दिखाने के लिए एक दूसरे के साथ होड लगी हुई है ! लेकिन कानपुर, इंदौर और आज मेरठ में तीनों जगह रोज कमाकर खाने वाले लोग है ! और तीनों मुस्लिम समुदाय के होने के कारण ,उन्हें जबरदस्ती से जय श्रीराम, वंदे मातरम, भारत माता की जय जैसे नारे लगाने के लिए मार रहे उनकी दाढीया नोच रहे हैं ! और आज की दोसा बनाने वाले की दुकान का नाम हिंदू देवता के नाम पर क्यों है करके उसके दुकान के बोर्ड को तोड़ दिया और उसके साथ मार पीट की !
देखिये इनका बावलापन अन्य जगहों पर तो जोर-जबरदस्ती से जय श्रीराम का, और भारत में रहना है तो हिंदु धर्म के नाम पर देवों के नाम लेने के लिए मार रहे हैं ! और दोसा बनाने वाले की दुकान का नाम हिंदू देवता के नाम पर क्यों है ? करके उसके दुकान के बोर्ड को तोड़ दिया और उसके साथ मार पीट की ! तो मुसलमान होने के बावजूद वह हिंदू देवता के नाम पर दुकान चला रहा है ! वह भी दोसा जैसी व्हेजीटिरिअन डिश ! एक मिनट के लिए अगर उसने बिर्यानी या मुर्गी, मटन बनाकर बेचा होता तो ?
यह जो भी कुछ चल रहा है ! इसमें स्थानीय पुलिस-प्रशासन की भुमिका संदेहास्पद दिखती हैं ! क्योंकि कानपुर की घटना में पुलिस के सामने उस रिक्षा चालक को लोग मारे जा रहे थे छ-सात साल की उस रिक्षा चालक की बच्ची बिलख-बिलख कर रोते हुए कह रही है ! मेरे अब्बू को मारो मत लेकिन लोगों के लात मारने का काम बदस्तूर जारी था !
इंदौर की घटना में ,भारत का चुडी बनाने का संपूर्ण काम सदियों से मुसलमानों द्वारा हो रहा है और बेचना भी तो एक आदमी चुडी बेचना कौनसे आपत्ति का कारण है ? भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति में ऐसे कितने काम है जो मुसलमानों द्वारा किए जाते है और हिंदुओ के मंदिर के पुजा के सामान बेचने वाले अयोध्या में ज्यादातर मुसलमान ही है ! वही बात बनारस, मथुरा, वृंदावन और कई-कई मंदिरों में सदियों से चल रहा है तो क्या अब सब कुछ बदल डालोगे ?
दोसा बनाने वाले की दुकान का नाम हिंदू देवता के नाम पर है ! तो फिर मुसलमानो को पकड़ कर जय श्रीराम का और अन्य देवों के नाम लेने के लिए जोर-जबरदस्ती क्यों ? यह जो परस्पर विरोधी हरकतों को देखकर तो एक ही बात दिखतीं है कि ,कुछ भी हो मुसलमान को अपमानित करने के बहाने चाहिए ! फिर वर्तमान समय में अफगानिस्तान मे जो कुछ घटित हो रहा है उस पर भारत को आलोचना करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है ! जबकि आप खुद भारत में वही धार्मिक फुहडपन की प्रैक्टिस करते हो तो किसी और धार्मिक फुहडपन या कट्टरपंथी तत्वों को लेकर कुछ भी बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है !
असल मे 1925 के दशहरे के दिन नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम के एक उग्र हिंदू संगठन की शुरुआत की है ! और उसने नाही भारत की आजादी के आंदोलन मे भाग लिया है ! और नाही साडे छह हजार से भी ज्यादा जाती में बटा हुआ हिंदू समाज जो की छुआ-छूत और उंच-नीच की नींव पर खड़ा है ! ऐसी घृणित परंपरा के खिलाफ कभी भी कोई काम नहीं किया है ! उल्टा हम शाखा में आने वाले स्वयंसेवकों को जात नहीं पुछते जैसे बेमानी तर्क देते हैं !
डॉ बाबा साहब की भाषा में हिंदू धर्म चार मंजिला इमारत है ! लेकिन इसमें सीढियां ही नहीं है ! और इसलिए उपरका उपर निचे के निचे ! और बिचवाले बीच में ! जिनमे किसी भी तरह का आवागमन या आदान-प्रदान नहीं है ! और हजारों सालों से यही स्थिति है ! और संघ की स्थापना इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कि गई है !
और आने वाले 2025 मे संघ की स्थापना को सौ साल हो रहे हैं ! और इन सौ सालों में सामाजिक आदान-प्रदान के लिए
समता के लिए एक भी कार्यक्रम करने का कोई उदाहरण ढूंढ कर भी नहीं मिल रहा है ! उल्टा भारत के संविधान की जगह पर मनुस्मृति होने का ,आग्रह कर रहे ! 5 अगस्त 2020 के दिन, अयोध्या के मंदिर के नींव रखने की पुजा के समय वर्तमान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मनुस्मृति के ब्राह्मण श्लोक का उच्चारण करके समस्त विश्व पर ब्राह्मण ही राज्य कर सकता यह दोहराया ! और द्वितीय सर संघ चालक श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उर्फ गुरूजीने ,संस्थापक संघ चालक श्री केशव बलिराम हेडगेवार की 1940 मे भारत की मृत्यु होने के बाद ,अपनी मृत्यु पर्यत तीस साल से भी ज्यादा समय संघ की स्थापना के बाद ,विस्तार और वैचारिक मार्गदर्शन किया ! जिसमें उग्र हिंदूत्व के लिए बंच ऑफ थाॅट और वुई जैसी समग्र गोलवलकर बारह खंडों में जैसे किताबों मे लिखा है कि ! भारत में अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक समुदाय की सदाशयता के आधार पर में रहना होगा !
और गोहत्या बंदी से लेकर मस्जिदों को गिराकर मंदिर खडे करना ! और नागरिक बिल से लेकर कश्मीर के 370 को खत्म करने की तो सिर्फ शुरुआत की है ! और आज की दोसा बनाने वाले की दुकान से लेकर कानपुर, इंदौर और भी भारत के किसी भी हिस्से की मुसलमानों को अपमानित करने के कार्यक्रम ,कुछ चंद सिरफिरे या गुंडे कर रहे ऐसी बात नहीं है ! यह एक योजना के तहत गत सात साल से भी अधिक समय से प्रोग्राम जारी है ! कहाँ गाय के नाम पर है ! तो कहा अब हाथोपर काम कर के ,पेट चलाने की कोशिश करने वाले लोगों को दहशत का माहौल बना कर ,फिअर सायकी में डालने के लिए लगातार जारी है और रहेगा ! क्योंकि पुलिस-प्रशासन के रवैये से साफ दिखाई देता है, कि उन्हे कुछ विशेष अलिखित आदेश मिले होंगे, कि किसी भी घटना पर कुछ नहीं करना !
लेकिन संघ परिवार को पता होना चाहिए कि भारत के मुसलमानों की जनसंख्या विश्व के किसी भी मुस्लिम देशो की तुलना मे दो नंबर की है ! और अंदाज से 30-35 करोड की आबादी है ! जो इंग्लैंड, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों से भी ज्यादा है ! और यह बात मैं संघ की शाखा में 1965-67 के दौरान से ही कहते आ रहा हूँ ! कि अपने को मुसलमान अच्छे लगे या नहीं लेकिन भारत में रह रहे मुसलमानों के साथ जीने का तरीका ढूंढने की जरूरत है ! और वह तरीका आँखे दिखाकर नहीं ! प्यार मुहब्बत से ! और उनके लिए भी संघ के दरवाजे खोलकर उन्हें अंदर लेकर ही सहजीवन से आगे बढने की जरूरत है ! और मेरी इसी बात पर मुझे शिंदखेडा, जिला धुलिया,महाराष्ट्र की शाखा से निकाल बाहर किया है ! दशहरे के दिन 1965 -66 की घटना है !
और मैंने भी बिल्कुल संघ को चेक करने के लिए बनाया 4 जून ,1941 यानी अस्सी साल हो गए राष्ट्र सेवा दल के द्वारा गत 54-55 सालों से प्रथम शाखा नायक बनकर फिर संघटक, और दो साल पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष ! के नाते लगभग देश के सभी हिस्सों में जाकर संघ के पर्याय के रूप में, राष्ट्र सेवा दल के प्रचार-प्रसार के लिए कमसे कम दस लाख से भी ज्यादा किलोमिटर का सफर किया है ! और शायद भारत के किसी प्रदेश को छोडा होगा ! कर्नाटक, बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के जैसे बडे प्रदेशों में छह सात बार और कश्मीर, उत्तरपूर्व, दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु, आंध्र-तेलंगाना, ओरिसा के लिए एक-एक बार ,वही राजस्थान, पंजाब, गुजरात और सबसे ज्यादा समय उत्तराखंड में दिया है ! क्योंकि कहने के लिए देव भूमि लेकिन घोर जातिवादी और महिलाओ की खरीद फरोख्त आजादी के पचहत्तर साल हो रहे हैं और बच्चियों को बेचने की प्रैक्टिस बदस्तूर जारी है ! कौनसा नैतिक अधिकार है ?
अफगानिस्तान के तालिबान की आलोचना करने का ? देव भूमि मे जन्म पाई लडकी रजस्वला होती है तो तुरंत बेचने की प्रैक्टिस करने वाले लोगों को ,अफगानिस्तान की औरतें के अत्याचार पर हाय हाय करते देखकर लगता है कि ,भारत जैसा पाखंडी और ढोंगी देश दुनिया में ढूंढ कर नहीं मिलेगा ! आज भी दलितों ने शादी में बैंड बाजा लगाकर बारात निकालते हैं तो सवर्ण हमला करते हैं, नया कपड़े या चप्पल, जूते पहनकर गाँव में चला तो मार पीट की आम बात है ! कोई दलित मूंछ नहीं रखेंगे और रखी तो मूंछ उपर की तरफ मुड़ी हुई नहीं होगी निचे झुकी हुयी होनी चाहिए ! और बहु-बेटियों को उठाने की बात गाय, बकरी से ज्यादा आसान है ! और लक्ष्मण बाथे जैसी घटनाओं को क्या कहेंगे ? सिर्फ आजादी के बाद भारत की दलितों और महिलाओ की जलाकर मारने के आकड़े एकत्रित किया तो किसी भी विश्व के देश से भारत की बर्बरता से ज्यादा दिखाई देगी ! और बच्चियों को गर्भ के अंदर ही मार डालने की परंपरा ! वाले देश के लोग दुसरे देश की औरतें के अत्याचार पर फब्तियां कस रहे हैं ? इतना दोगलेपन का उदाहरण और कहां मिलेगा ?
गायों को लेकर माॅब लिंचिग करने वाले ,औरतों की कितनी इज्जत करते हैं ? उल्टा उनके उपर बलात्कार करके जिंदा जलाने वाले जल्लादों, और भगवान के घरों में तक नाबालिग लड़कियों को बलात्कार करने के बाद भारत तिरंगा लेकर जुलुस निकालते हुए कौन से इंसानियत का परिचय दिया है ? चले तालिबानीओ की आलोचना करने ? आज भी मंदिरों में और कई-कई घरों में दलितों का प्रवेश वर्जित है ! और गलती से दलित-सवर्ण समाज की शादी तो फिर तालिबानी से भी बदतर ,दोनों को विवस्र कर के जुलुस निकालते हुए उन्हें जिस बर्बरता से पीटते हैं ! और विडियो बनाकर ! कौन सा भारत की बात कर रहे हैं ? और चले तालिबानीओ कि आलोचना करने ! हमारे देश के चार बेहतरीन लोगों को दिन दहाडे मारने के बावजूद हत्यारे आराम से घुम रहे हैं ! और डॉ नरेंद दाभोलकर की हत्या को 20 अगस्त को आठ साल !
और प्रोफेसर कल्बुर्गी की 30 अगस्त और उसी तरह कामरेड गोविंद पानसरे और हमारी मित्र गौरी लंकेश की हत्या करने वाले लोगों को मै शुरू से ही हिंदु तालिबानी बोल लिख रहा हूँ !
6 दिसंबर 1992 के दिन अयोध्या में पाचसौ साल पुरानी मस्जिद को लाखों लोगों की भीड़ इकट्ठा कर के धाराशाही करना! और बामियान कि बुद्ध मुर्तियो को बम से उडाना क्या फर्क है ? और हमारे देश की सेक्युलर अदालत मस्जिद गिराकर संगीन अपराध किया बोलकर ! मंदिर बनाने की इजाजत देता है !और मस्जिद को गिरने नहीं दूंगा ऐसा लिखित एफीडिविट करने वाले मुख्यमंत्री को भारत का सबसे बड़ा हिंदू बोलने वाले लोगों को क्या तालिबान के उपर कुछ भी बोलने का नैतिक अधिकार है ?
क्या इस तरह के परस्पर विरोधी आदेश को देने वाले कोर्ट को सही मायनों मे कोर्ट कहा जायेगा ? फिर भारत के संविधान का क्या ? मैंने इस तरह के आदेश के बाद दसो बार कहा है कि यह भारत के न्यायालयीन इतिहास का सबसे हैरान करने वाला और हमारे देश के सेक्युलर होने पर सवाल खडा करने वाला आदेश दिया है और उस आदमी को तुरंत बाद ही राज्य सभा में मनोनीत करना क्या मेसेज देना चाहते हो ? और उसके उपर उसी के मातहत काम करने वाली महिला यौन शोषण का आरोप करने के बाद यह खुद न्याय देता है ! चले तालिबानी ओ की आलोचना करने !
आज भारत का हिंदु तालिबानी करण होने से बचाने के बाद ही अफगानिस्तान के तालिबान पर बोलने का नैतिक अधिकार होगा ! और वह मुझे है मैंने सभी तरह के तालिबानियों के खिलाफ उनके क्षेत्र में जाकर बोलने की कोशिश की है! और आज भारत और अफगानिस्तान के तालिबान को लेकर समान रूप से अपनी बात रखने का नैतिक अधिकार मेरा है !