किसी के लिए भी अपने बच्चे को खो देने से बढ़ा दुख नहीं होता पर अगर पता चले कि वो जिंदा है तो वो किसी भी माता-पिता के लिए उससे बढ़ी खूशी नहीं हो सकती. जी हां अमृतसर के रेल हादसे में एक ऐसा ही वाक्य हुआ.
बता दें कि इस दर्दनाक रेल हादसा ने 62 जिंदगियां निगल ली. रेल हादसे के बाद लोग बदहवास हो लाशों के ढेरों पर अपनों की तलाश करते रहे. इन्हीं लोगों में शामिल थे अमृतसर के गांव नौशहरा पन्नुआं निवासी फूल सिंह. वह बेचैन और बदहवास से रेलवे ट्रैक पर लाशों के ढेर में अपने 13 साल के बेटे को ढूंढ रहे थे. उनका बेटा अर्शदीप सिंह घर से निकला था और लौटकर नहीं आया. लेकिन, बेटा जीवीत मिल गया तो खुशियों का ठिकाना न रहा. वह दिल्ली में सही सलसमत मिला. वहां उसके पहुंचने की कहानी भी रोचक है.
फूल सिंह का बेटा अर्शदीप दशहरा के दिन घर से निकला था. परिवार वालों ने सोचा दशहरा कार्यक्रम देखने धोबीघाट मैदान में गया होगा. इसी बीच शाम को जोड़ा फाटक के पास हादसे की खबर मिली तो फूल सिंह व परिवार के लोगों के होश उड़ गए. सब छोड़कर वह फौरन रेलवे ट्रैक पर पहुंचा.
फूल सिंह ने बताया, रेलवे ट्रैक पर दर्द, छटपटाहट और मौत पसरी हुई थी. किससे पूछता कि मेरा बेटा कहां है. हर शख्स लाशों के ढेर में अपनों को तलाश रहा था. मैं भी इन्हीं लाशों में बेटे को ढूंढता रहा. रात 12 बजे तक रेलवे ट्रैक पर ढूंढा, पर उसका पता नहीं चला. मैंने सामाजिक कार्यकर्ता मंजू गुप्ता को फोन कर अर्शदीप को ढूंढने में मदद करने को कहा.
मंजू गुप्ता व उनके वालंटियर्स हादसे के बाद से ही राहत एवं बचाव कार्य में जुटे थे. उन्होंने सोशल मीडिया पर अर्शदीप की फोटो अपलोड कर मदद मांगी और फिर ऐसी खबर मिली कि पूरे परिवार के लोगों के आंसू बह निकले. जिस बेटे को उसका पिता लाशों व घायलों में ढूंढ रहा था, वह दिल्ली में था और बिल्कुल सही सलामत.
मंजू गुप्ता के अनुसार, मंगलवार सुबह मुझे पता चला कि अर्शदीप दिल्ली में है. दरियागंज इलाके में ‘साथ’ नामक संस्था के सदस्यों ने सोशल मीडिया पर लड़के की तस्वीर देखी तो उसकी तलाश शुरू की ओर वह दिल्ली में मिला. संस्था के पदाधिकारियों ने मुझे इस बारे में सूचित किया. मंगलवार को ही मैं और अर्शदीप के पिता उसे वापस लाने के लिए दिल्ली रवाना हुए. मंजू के अनुसार फूल सिंह यह मान चुका था कि उनका बेटा रेल हादसे में मौत की आगोश में चला गया है. वह और परिजन फूट-फूट कर रोने लगते, पर बेटे से बात कर अब उनके चेहरे पर खुशियां लौट आई हैं.
बताया जा रहा है कि अर्शदीप जरा सी बात पर नाराज होकर घर से गया था. आमतौर पर वह पहले भी रूठकर घर से जाता था तो कई तरनतारन स्थित अपनी बुआ के घर पहुंच जाता था. पिता फूल सिंह के अनुसार मेरी अर्शदीप से फोन पर बात हुई है. उसने बताया है कि वह ट्रेन पकड़कर दिल्ली आ गया था. दिल्ली से अमृतसर वापसी के लिए ट्रेन नहीं मिल रही थी. इसलिए रेलवे स्टेशन पर ही रुका हुआ था. बहरहाल, जोड़ा फाटक में हुए नरसंहार के बाद डरे और सहमे इस परिवार को बेटे की सलामती की खबर ने सुकून दिया है.