नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह को करीब 350 करोड़ रुपए की लागत से बना नया दफ्तर पसंद नहीं आया है। उन्हें और पार्टी के बाकी वरिष्ठ नेताओं को इसमें वास्तु दोष होने का संदेह है। बीजेपी का मानना है कि नए दफ्तर में आने के बाद से उसके दिन कुछ ठीक नहीं चल रहे। ध्यान देने वाली बात है कि बीते पार्टी को कई चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में शाह अब पुराने दफ्तर में ही बैठेंगे, जिसकी साज-सज्जा का काम जोरों पर है।
बीजेपी का नया हाईटेक दफ्तर नई दिल्ली में 6A, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर है। 18 फरवरी, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था और तभी 34 सालों बाद पार्टी का पता बदला था। दो एकड़ में फैले इस नए दफ्तर में सात मंजिलें, 70 से अधिक कमरे और 200 से अधिक गाड़ियों की पार्किंग क्षमता है। शाह ने इसे लेकर दावा किया था कि दुनिया में किसी भी राजनीतिक पार्टी का इतना बड़ा दफ्तर नहीं है।
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इन दिनों यह पार्टी को कतई रास नहीं आ रहा। सूत्रों के हवाले से ‘अमर उजाला’ की एक रिपोर्ट में कहा गया कि शाह का पुराना दफ्तर (11, अशोक रोड) नए सिरे से तैयार कराया जा रहा है। वह उसी में बैठेंगे। बीजेपी नेताओं ने इस बारे में अखबार से कहा कि उनका वॉर रूम पुराने दफ्तर में ही है, लिहाजा निगरानी के लिए शाह वहीं बैठेंगे। हालांकि, कुछ बैठकों के लिए वह नए दफ्तर भी जाएंगे। शाह इससे पहले भी पार्टी दफ्तर में वास्तु दोष ठीक करा चुके हैं। उन्होंने वहां नया गेट लगवाने के साथ कुछ और छोटे-मोटे फेरबदल भी कराए थे।
2014 में शाह पुराने दफ्तर में बैठते थे। लोकसभा चुनाव में तब बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला था, जबकि नए दफ्तर के उद्घाटन के दिन त्रिपुरा चुनाव के परिणाम जारी हुए थे। बीजेपी ने सहयोगी पार्टी आईपीएफटी संग 60 सीटों वाली विस में 44 सीटें हासिल की थीं। पार्टी ने तब 25 साल से सत्ता में वाम मोर्चे को उखाड़ फेंका था। पर मई में कर्नाटक चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी बीजेपी सरकार न बना पाई। मध्य प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हुआ। छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे बड़े हिंदी पट्टी वाले राज्य भी बीजेपी के हाथ से निकल गए।
(Source-JanSatta)
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