जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे ही सपा के अपने ही नेताओं द्वारा सपा के लिए मुश्किलें पैदा की जा रही हैं. कभी प्रदेश के खनन मंत्री भ्रष्ट-धन्य गायत्री प्रसाद प्रजापति के तांडव का दंश जनता को झेलना पड़ता है, तो कभी संगठन के पदाधिकारियों द्वारा प्रशासन को नंगा करके दबंगई दिखाने का. बीते 21 जून को अमेठी विधानसभा क्षेत्र के सपा अध्यक्ष राकेश यादव ने संग्रह अमीन दान बहादुर यादव को तहसील परिसर में सीओ और उप जिलाधिकारी के सामने जमकर पीटा. जख्मी अमीन को गंभीर हालत में पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. पूरा तहसील प्रशासन इस हत्याकांड का मूकदर्शक बना रहा और सपा नेता का तांडव देखता रहा. किसी में भी हिम्मत नहीं हुई कि उस दबंग सपाई के कहर से राजस्व कर्मी को बचा सके.
बताते चलें कि सपा नेता राकेश यादव का दान बहादुर यादव (निवासी पूरे चैतराम पांडे थाना मुंशीगंज जनपद अमेठी) से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था. जिसके चलते राकेश आए दिन दान बहादुर को धमकियां देता रहता था. बीते 21 जून को राकेश अपने साथियों को लेकर लाठी डंडों के साथ तहसील परिसर पहुंचा. हथियारबंद लोगों ने राकेश यादव के नेतृत्व में संग्रह अमीन दान बहादुर पर हमला बोल दिया. राकेश यादव ने असलहे के बट से दान बहादुर के सिर पर वार किया जिससे दान बहादुर का सिर फट गया. मरणासन्न हालत होने के बाद ही राकेश यादव और उसके गुर्गों ने दान बहादुर को छोड़ा. पुलिस और प्रशासन मूक दर्शक बना खड़ा रहा और अमीन जान बचाने की गुहार करता रहा. जख्मी अमीन के परिवार वालों ने उन्हें लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया. जहां हालत गंभीर होने पर उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया. आठ दिनों तक दान बहादुर जिंदगी व मौत के बीच जंग लड़ते रहे, लेकिन 28 जून को उनकी मौत हो गई.
दुखद तथ्य यह है कि अमीन की दिनदहाड़े सब लोगों के सामने हत्या करने वाले सपा नेता राकेश यादव के खिलाफ पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज नहीं किया. सरेआम हुई हत्या के बावजूद पुलिस द्वारा मौके पर कोई कार्रवाई नहीं करने के बारे में पूछने पर अमेठी जिले के पुलिस कप्तान हीरा लाल ने कहा कि बाद में दो मुख्य आरोपियों राकेश यादव और जगदीश यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है.
अमेठी की पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस की नेता अमिता सिंह ने कहा कि सपा सरकार की लाचारी और प्रशासन की मक्कारी से आज अमेठी रो रहा है. अमेठी में चाहे अशोक सरोज की हत्या हो या फिर डॉ. पीके सिंह, जेपी मिश्रा, हरिद्वार सिंह, रणधीर सिंह वगैरह के मारे जाने का मामला, सबमें पुलिस पंगु बनी रही. मैं लगातार अमेठी के पुलिस-प्रशासन से लड़ती रही हूं. दानबहादुर की हत्या के बाद तो जैसे लगा कि पुलिस प्रशासन का कोई अस्तित्व ही अमेठी में नहीं बचा है. मैंने मुख्यमंत्री से मृतक के परिवार के लिए 25 लाख रुपये व उनके बेटे को त्वरित रूप से सरकारी नौकरी देने की मांग की है, साथ ही दंबगों के असलहों केलाइसेंस निरस्त करने की अपील भी की है. अभी तक अमेठी में इस तरह सार्वजनिक हत्या की घटनाएं नहीं होती थीं, लेकिन जब से सपा सत्ता में आई है, सपा के गुर्गे हत्या, लूट, वसूली, भूमि पर कब्जा और लड़कियों के अपहरण की वारदातें अंधाधुंध कर रहे हैं. मैंने अखिलेश को चुनौती दी है कि यदि स्थितियों पर तुरंत नियंत्रण नहीं हुआ तो व्यवस्था के खिलाफ मैं धरना प्रदर्शन भी करूंगी.
दूसरी तरफ बसपा नेता आशीष शुक्ला ने कहा कि प्रदेश की बेजा कानून व्यवस्था का मैं लगातार विरोध कर रहा हूं. दान बहादुर की हत्या के बाद भी मैंने ही हस्तक्षेप करके एफआईआर दर्ज कराया और उन्हें इलाज के लिए ट्रॉमा सेंटर भेजा था. भाजपा के जिलाध्यक्ष उमाशंकर पांडेय ने कहा कि अमेठी का पुलिस प्रशासन पूरी तरह से कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के दबाव में काम कर रहा है. जिसका परिणाम रहा कि दानबहादुर की हत्या के 24 घंटे के बाद भी पुलिस पीड़ित के पास नहीं पहुंची और न ही दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की. भारतीय जनता पार्टी ऐसे घृणित काम की निंदा करती है. उन्होंने कहा कि गायत्री प्रसाद की दबंगई और सपाइयों की गुंडई के विरोध में भाजपा आंदोलन करेगी. सपा के जिलाध्यक्ष छोटे लाल से दूरभाष पर सम्पर्क साधने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.