अब एक और बड़ी ख़तरनाक चीज, रायनमेटल पहले से ही इस इक्विपमेंट को पाकिस्तान को सप्लाई कर रही है. पाकिस्तान आर्मी को यही कंपनी सुर्ज में ट्रेनिंग भी दे रही है. अब ये आश्‍चर्य की बात है कि हम वो चीज़ क्यों ख़रीद रहे हैं और किसके कहने पर ख़रीद रहे हैं, जो चीज़ पहले से ही पाकिस्तान के पास इसी कंपनी के द्वारा पहुंचाई जा चुकी है? तब हम पाकिस्तान से बेहतर तो हैं ही नहीं.

तो क्या इससे ये मतलब नहीं निकाला जा सकता है कि किसी न किसी को बहुत पैसा मिल रहा है, जिससे वो ये भी ध्यान नहीं रख रहा है कि इससे हमारा देश बिक जाएगा या किसी को देश बेचने के लिए बहुत पैसा मिल रहा है. ये देश इत्मीनान से बेचा जा रहा है और देश बेचने वाले थोड़े दिनों बाद हल्ला मचाएंगे कि हमसे ज्यादा  देशभक्त कोई नहीं है.

इसी कंपनी की साउथ अफ्रीक़ा में एक और कंपनी है, जिसका नाम है रायनमेटल बेफे. ये कंपनी स़िर्फ एम्यूनिशन बनाती है और ये कंपनी भी पाकिस्तान को एम्यूनिशन सप्लाई कर रही है. एक अंदाज़ा है कि पाकिस्तान के ज़रिए ये एम्यूनिशन हमारे देश के कुछ उग्रवादी तत्वों को जाता है, जिनमें नक्सलाइट भी शामिल हैं और इसका रास्ता नेपाल से होकर है.

सवाल स़िर्फ ये दिमाग़ में है कि ऐसी कंपनी को क्यों परमिशन दी जा रही है? इसके लिए क्यों पॉलिसी बदली गई है, जो पाकिस्तान को वही हथियार सप्लाई कर रही है, जिसको हम हिंदुस्तान में बनाने वाले हैं या जो गोलियां पाकिस्तान को बेचती है, वो गोलियां हमें दे रही है, क्यों? क्या स़िर्फ कमीशन या रिश्‍वत के लिए?

इस रायनमेटल का जो हिंदुस्तानी हेड है, वो एक रिटायर्ड फ़ौजी है, जिसका नाम कर्नल अनिल नंदा है, जिसने अनिल अंबानी के साथ एमओयू साइन किया है. ये कर्नल अनिल नंदा कई जगह पर ये कहते पाये गये कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर तो इनकी जेब में हैं और बॉस की यानि अनिल अंबानी की इनसे हर दूसरे दिन बात होती है. सात तारीख़ की सुबह ये ख़बर कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में फैल गई कि आज शाम को डीएसी की यानि डिफेंस एक्वीज़िशन कौंसिल की मीटिंग होगी और इसमें पॉलिसी चेंज हो जाएगी और पॉलिसी चेंज हो गई.

ये सारी जानकारी हमें रायनमेटल के सूत्रों से मिली, क्योंकि वो ये चाहती है कि ये बात सबको पता चले कि वो कितनी ताक़तवर है. अब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ रायनमेटल की क्या सेटिंग है या अनिल अंबानी की क्या सेटिंग है, ये किसी को नहीं पता. लेकिन इतना निश्‍चित है कि इसमें बहुत मोटा पैसा कहीं न कहीं, किसी न किसी बहुत बड़े आदमी को मिला है और अगर ऐसा नहीं होता तो ये पॉलिसी बदलने का खेल नहीं होता. जिस सूत्र ने हमें ख़बर दी उसका रायनमेटल से संबंध है और वो रक्षा सौदों में शामिल रहता है, लेकिन वो भी हिल गया कि ये देश बेचने की नंगी कोशिश हो रही है.

उस व्यक्ति का ये कहना है कि ये तो देश बदलने की नंगी साज़िश है. ये डील कांग्रेस के ज़माने में होने वाली थी, लेकिन कांग्रेस ने इसको मना कर दिया था. इसका मतलब एंटनी, मनोहर पर्रिकर से ज्यादा साफ और क्लीन आदमी हैं. कांग्रेस ने इस कंपनी को ब्लैक-लिस्ट कर दिया था. अब दो महत्वपूर्ण चीज़ें हैं कि हम वही ख़रीद रहे हैं, जो पाकिस्तान जा रहा है और हम वही बना रहे हैं, जो पाकिस्तान में सिंगापुर के थ्रू बिकने वाला है. ये सारी चीज़ें मस्तिष्क से और सारे तर्कों से परे हैं कि जिन्हें हम महान देशभक्त समझते हैं, वो ये महान देशभक्ति का या देशद्रोहिता का काम कैसे कर सकते हैं

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