नई दिल्ली : आप हर रोज़ आसमान को तो देखते ही होंगे और आप में से कई लोग ऐसे हैं जो हर रोज़ ये सोंचते हैं कि काश मैं अंतरिक्ष को करीब से देख सकूँ। लेकिन ये सपने जैसी लगने वाली बात फरवरी 1984 सच साबित हुई जब पहली बार किसी इंसान ने अंतरिक्ष में जाकर चहलकदमी की.
दरअसल अमेरिकी एस्ट्रोनॉट ब्रूस मैक्कैंड्लेस को अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला था और वो अपने यान से निकलकर अंतरिक्ष में विचरण करने वाले पहले मानव भी बने। वे चैलेंजर नामक अंतरिक्ष यान से बाहर निकलकर 300 फुट तक चले थे। ब्रूस यूएस नेवी में फाइटर पायलट भी रह चुके हैं।
- जेन डेविस और मार्क ली अंतरिक्ष में एक साथ जाने वाले पहले कपल हैं। 1992 में वे दोनों स्पेस शटल इंडीवर के चालक दल में शामिल थे।
- 23 अप्रैल, 1967 को सोवियत कॉस्मोनॉट व्लादिमीर कोमारोव अंतरिक्ष की अपनी दूसरी यात्रा के दौरान वापसी में स्पेसक्राफ्ट के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर मारे गए थे। अंतरिक्ष यात्रा में मरने वाले वे दुनिया के पहले व्यक्ति थे।
- लाइका नामक कुतिया ने 13 नवंबर 1957 को स्पूतनिक सेकंड यान में बैठकर धरती का चक्कर लगाया था। हालांकि वह पृथ्वी पर जीवित वापस नहीं आ पाई थी।
- 20 जुलाई, 1969 को अमेरिका के अपोलो 11 मिशन के जरिए चांद पर पहली बार इंसान के कदम पड़े थे। नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर कदम धरते हुए कहा था- मानव के लिए एक छोटा-सा कदम, लेकिन मानवता के लिए एक लंबी छलांग।
- एडविन आल्ड्रिन चांद पर कदम रखने वाले दूसरे व्यक्ति थे। लेकिन उनके कदम रखने तक तारीख बदलकर 21 जुलाई, 1969 हो गई थी। वे भी अपोलो 11 के सदस्य थे।
- 16 जून, 1963 को जब तत्कालीन सोवियत संघ की वेलेनतिना तेरेश्कोवा ने वोस्तोक 6 यान की पायलट के रूप में अंतरिक्ष में पहुंचने वाली प्रथम महिला होने का गौरव प्राप्त किया। चित्र में वे अंतरिक्ष में जाने वाले पहले शख्स, यूरी गगारिन के साथ दिखाई दे रही हैं।
- सोवियत संघ द्वारा 4 अक्टूबर को दुनिया का पहला सैटेलाइट- स्पूतनिक फर्स्ट लॉन्च किया गया था। यह हर 98 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेता था।
- अमेरिका को अंतरिक्ष में पहला इंसान भेजने में कामयाबी 20 फरवरी, 1962 को मिली। अंतरिक्ष में पहले अमेरिकी जॉन ग्लेन ने बाद में, 1996 में 77 वर्ष की उम्र में स्पेस शटल डिस्कवरी पर जाकर सबसे बुजुर्ग अंतरिक्ष यात्री होने का रिकॉर्ड बनाया।
- शैली राइड अंतरिक्ष में जाने वाली पहली अमेरिकी महिला हैं। जून, 1983 में वे स्पेस शटल चैलेंजर के क्रू का हिस्सा थीं।
- सोवियत संघ के यूरी गगारिन अंतरिक्ष में पहुंचने वाले पहले इंसान थे। उन्होंने 12 अप्रैल, 1961 को वोस्तोक 1 यान में बैठकर धरती का चक्कर लगाया था और सकुशल वापस भी लौट आए थेअगर इंसान को बिना किसी सुरक्षा उपाय के स्पेस में छोड़ दिया जाए तो वह केवल दो मिनट तक ही जीवित रहेगा।
- अगर आप अंतरिक्ष में चिल्लाएंगे तो भी पास खड़े लोग आपकी आवाज़ नहीं सुन पाएंगे क्योकि वहां पर आपकी आवाज को एक स्थान से दुसरे स्थान तक पहुचाने का कोई माध्यम नहीं होता है।
- यदि आप स्पेस में बिना किसी सुरक्षा उपकरण के जाएंगे तो आपका शरीर फट जाएगा क्योंकि वहां पर हवा का दवाब नहीं है।
- स्पेस यान में सोना काफी कठिनाई भरा होता है। अंतरिक्ष यात्री को सोने के लिए काफी मेहनत करनी होती है। उन्हें आंखों पर पट्टी बांध कर एक बंकर में सोना होता है ताकि वह तैरने और इधर-उधर टकाराने से बच सके।
- स्पेस में गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण स्पेस यात्री भोजन पर नमक या मिर्च नहीं छिड़क सकते है। वे भोजन भी द्रव्य के रूप में लेते है, ऐसा इसलिए है क्योकीं सूखे भोजन हवा में तैरने लगेगें और इधर उधर टकराने के साथ ही स्पेस यात्री की आंख में भी घुस जाएगा।
- स्पेस में यदि धातु के दो टुकड़े एक दूसरे को स्पर्श कर लें तो वे स्थायी रूप से जुड़ जाते हैं।
- एक अंतरिक्ष सूट को बनाने में 12 मिलियन डॉलर यानी लगभग 77 करोड़ 70 लाख रुपए खर्च होते है।
- स्पेस में कम गुरुत्वाकर्षण के कारण इंसान के रीढ़ की हड्डी पृथ्वी पर होने वाले खिंचाव से मुक्त हो जाती है। ऐसे में
- जब कोई अंतरिक्ष यात्री अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा करता है तो उनकी लंबाई 2.25 इंच तक बढ़ जाती हैं।
- अंतरिक्ष में होते हुए आप हर 90 मिनट में सूर्योदय देख सकते हैं। इससे अंतरिक्ष यात्री को सोने में काफी परेशानी होती है।
- अंतरिक्ष में पर्सनल ग्रूमिंग कभी भी आसान नहीं होता है। अंतरिक्ष यात्री अपने साथ स्पेशल ग्रूमिंग किट ले जाते हैं और उन्हें अंतरिक्ष यान में बांध कर रखते हैं। वह बाल साफ करने के लिए ऐसे शैंपू ले जाते हैं, जिसके लिए पानी की जरूरत नहीं होती है।
- अंतरिक्ष यात्री जब अंतरिक्ष का सफर कर पृथ्वी पर लौटते हैं तो उन्हें पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के हिसाब से ढलने में समय लगता है। अंतरिक्ष की तरह वह पृथ्वी पर भी चीजों को हाथ से छोड़ देते हैं। लेकिन पृथ्वी पर चीजें जमीन पर गिर जाती हैं और टूट जाती हैं।
- अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के न होने से कमजोरी आती है और यह अंतरिक्ष में जाने वाले हर व्यक्ति के साथ होता है। इस कमजोरी से बाहर आने में एक यात्री को लगभग 2-3 दिन का समय लग सकता है।
- आप अंतरिक्ष में कभी रो नही सकते, क्योंकि आपके आंसू नीचे ही नही गिरेंगे।
Adv from Sponsors