amar-singhAmar Singh  अपने विवादित बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं. इस बार उनके सुर्खियों में रहने का कारण है, उनके द्वारा नोटबंदी का समर्थन और खुद को समाजवादी पार्टी का घोषित झंडूबाम कहना. गौरतलब है कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव नोटबंदी को जनता की परेशानी बताकर इसका विरोध कर रहे हैं, जबकि सपा के राज्यसभा सांसद अमर सिंह खुलकर इसके समर्थन में आ गए हैं. एक हिंदी समाचारपत्र की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के मुताबिक अमर सिंह नोटबंदी के अपने समर्थन को मुलायम सिंह की सहमति बता रहे हैं.

नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री का समर्थन करते हुए अमर सिंह ने कहा, ‘मोदी ने कोलधन से मुक्त होने का एक अवसर सबको दिया. चेतावनी भी दी कि नहीं किया तो खून के आंसू रुलाऊंगा. लोगों ने कहा कि ये जुमले हैं, उनको उकसाया भी कि कहां है काला धन, निकालो मोदी जी. जब आपने एक सोए शेर को जगाया तो वह दहाड़ेगा, सामने जो मिलेगा उसको खाएगा.’ नोटबंदी के अपने समर्थन को मुलायम सिंह की सहमती बताते हुए अमर सिंह ने कहा है, मैं मुलायम सिंह की सहमति और उन्हें विश्वास में लेने के बाद ही बोल रहा हूं.

मैं अपने जीवन में कोई ऐसा काम नहीं करूंगा, जिसे टीवी पर देख मुलायम को दुख पहुंचे. संसद के भीतर सपा नेता नरेश अग्रवाल द्वारा नोटबंदी का विरोध किए जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर अमर सिंह ने कहा, इस बारे में मुझे पता नहीं है. मैं पार्टी से छह साल के लिए निकाला गया था और अभी आया हूं, तो पार्टी में किसकी चल रही है, पार्टी की आत्मा कौन है, शरीर कौन है, इसके बारे में मुझे अभी ज्ञान नहीं है. अमर सिंह ने कहा कि नेता जी ने काले धन का समर्थन बिल्कुल नहीं किया है. उन्होंने शादी में होने वाली दिक्कत, किसान को खाद और बीज की दिक्कत, 2000 के नोट के छुट्टे ना मिलने की दिक्कत और गांवों में एटीएम में नोट ना पहुंचने जैसी समस्याओं की बात कही है. लेकिन मैं एक नागरिक के नाते, अपनी बात जरूर कहूंगा.

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कांग्रेस के साथ सपा का गठबंधन कराने में अपनी भूमिका को अमर सिंह ने सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, समाजवादी पार्टी में मेरी हैसियत जीरो बट्टा सन्नाटा है. मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि मैं एसपी की राजनीति का घोषित झंडूबाम हूं. अमर सिंह ने यह भी कहा कि पार्टी में मुलायम सिंह की भी नहीं सुनी जाती. उन्होंने कहा, मैं बहुत खेद के साथ कह रहा हूं कि ऐसा अभी नहीं है कि मुलायम सिंह की सारी आज्ञाओं का पालन हो रहा है. लेकिन फिर भी मैंने गठबंधन की पहल की. मुलायम भी गठबंधन चाहते हैं. लेकिन रामगोपाल यादव गठबंधन नहीं चाहते हैं. अखिलेश यादव को भी लगता है कि उन्होंने इतना विकास कर लिया कि सारी सीटें उन्हें ही मिल जाएंगी. गठबंधन इसी कारण से नहीं हुआ.

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