कल मंगलवार को किसान युनियन इतना बौखला गया था कि वो आंदोलन और आगाजनी पर उतारू हो गया था. आखिरकार किसानों की ऐसी कौन सी मांगे हैं, जो पूरी न होने पर वे इतने आग बबूला हो गए हैं. गौरतलब है कि 26 सितंबर को किसानों ने उत्तराखंड के हरिद्वार से किसान क्रांति यात्रा का आगाज किया था. जो कल यूपी बार्डर तक पहुंच चुका था.

कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने किसानों से करीब 15 मिनट तक बात की और उनके 15 मांगों को लेकर उनसे चर्चा की.

आइए जानते है कि क्या है किसानों की मांग.

पहली मांग:  न्यूनतम समर्थन मूल्य को वैधानिक दर्जा देते हुए, समर्थन मूल्य को लाभकारी व उचित मूल्य दिया जाए और उसमें कम से कम 50 फीसदी का लाभ जोड़ा जाए जैसा कि स्वामिनाथन कमेटी में तय किया गया है.

दूसरी मांग: किसानों ने अपनी दूसरी मांग में अपने कर्ज को माफ करवाने की बात कही है. किसानों ने कहा कि उनका 80 फीसदी कर्ज राष्ट्रीयकृत बैंको में है.

तीसरी मांग: गौरतलब है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने 10 वर्ष से अधिक वाहनों को सड़कों पर चलने या चलाने के लिए मना किया है. इसी से संबंधित किसानों ने कहा कि उनका 10 वर्ष से पुराने ट्रेक्ट्रर को चलाने की इजाजत दी जाए.

चौथी मांग:  किसानों ने अपनी चौथी मांग में फसल बीमा योजना में बदलाव करने की बात कहीं है. किसानों ने कहा कि इस योजना के चलते किसानों की जगह बीमा कंपनियों को लाभ मिल रहा है. इसके साथ ही किसानों ने कहा कि इस योजना में चोरी, आगाजनी आदि को भी शामिल किया जाए. किसानों ने कहा कंपनी भुगतान करने में समय लगाती है, इसकी जगह केन्द्र सरकार भुगतान करे.

पांचवी मांग: किसानों को 60 साल के बाद पैंशन दिया जाए.

छठी मांग:  किसानों ने कहा कि उनकी फसलों को आवारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए सरकार कोई उचित कदम उठाए.

सातंवी मांग: चीनी की कीमत 40 रुपए प्रति किलो तय की जाए.

आठंवी मांग : किसानों की सिंचाई के लिये नलकूप और बिजली मुफ्त में दिलाई जाए.

नौवी मांग: आत्महत्या करने वाले किसानों के घर में एक को नौकरी दी जाए.

दसवी मांग: मनरेगा को खेती से लिंक किया जाए.

गयाहरवी मांग: खेती में इस्तेमाल होने वाले समानों को जीएसटी से मुक्त किया जाए.

बाहरवी मांग: कृषि को विश्व व्यापार संगठन से बाहर रखा जाए.

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