जिसकी मिलीभगत उसी के जिम्मे कर दी जांच
भोपाल। आपदा को अवसर बनाने का नारा जरूरतमंदों की बजाय लालचखोरो के लिए ज्यादा कारगर साबित होता दिखाई दे रहा है। सारे प्रदेश में बंद पड़े कामकाज के बीच शराब कारोबारियों ने अरबों रुपए का उत्पाद कर सरकार को करोड़ों का टैक्स बट्टा लगाने की तैयारी कर ली है। सारा कामकाज जिम्मेदार सरकारी अफसरों की जानकारी और संरक्षण में हो रहा है। मामले की पोल खुली तो उसकी जांच की जिम्मेदारी भी उन्हीं अफसरों को सौंप दी गई है।
मामला धार जिले में स्थित केडिया फैक्ट्री का है। सूत्रों का कहना है कि एसडीएम महू द्वारा की गई जांच में 18 करोड़ रुपए की शराब का अंतर सामने आया है। यह शराब लॉकडाउन के दौरान इंदौर और धार जिले में बिकने के लिए बनाई गई थी। शराब लॉकडाउन के समय इसलिए बनाई गई, जिससे सरकार की राजस्व की चोरी की जा सके। बिना धार जिले के आबकारी अधिकारियों तथा संभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के यह संभव नहीं था।
लॉक डाउन में करोड़ों की बिक्री
सूत्रों का कहना है कि विगत 2 महीने से इंदौर और धार जिले में भारी मात्रा में बिना ड्यूटी चुकाए विदेशी और देसी शराब लॉकडाउन से पहले और लॉकडाउन के समय बिकी है। जिसकी गंभीर शिकायत प्रमुख सचिव, मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री को की गई है। इंदौर संभाग के समस्त शराब फैक्ट्रियों पर सीधा नियंत्रण जिले के प्रमुख अधिकारी तथा संभागीय उपायुक्त का होता है। 18 करोड़ की शराब का अंतर जो रजिस्टर में पाया गया है, बताता है कि विगत 2 महीने में कम से कम 75 करोड़ की शासकीय राजस्व की चोरी हो चुकी है।
भोपाल में हलचल
सूत्र बताते हैं कि इस चोरी की गंभीर शिकायत शुक्रवार को लोकायुक्त एवं आर्थिक अपराध ब्यूरो में शपथ पत्र के साथ की गई है। मंत्रालय में इस बात की गंभीर चर्चा है कि किसी आईएएस स्तर के अधिकारी की बजाए आबकारी अधिकारी से क्यों जांच कराई जा रही है। चर्चा ये भी है कि जांच उस अधिकारी से क्यों कराई जा रही है, जो 3 साल तक उसी फैक्ट्री में प्रभारी अधिकारी के तौर पर पदस्थ था।
केडिया की सियासी पकड़
सूत्रों का कहना है कि फैक्ट्री के मालिक विनय केडिया मंत्री बंगले और मंत्री के ओएसडी के साथ देखे गए हैं। इसके पश्चात जांच को कमजोर करने और महज खानापूर्ति के लिए आबकारी अधिकारी राजेश हेनरी से कराई जा रही है।
हुई दिखावे की कार्यवाही
लॉकडाउन में इस अट्ठारह करोड रुपए के राजस्व की चोरी एवं 250 मजदूरों के साथ बिना अनुमति फैक्ट्री पर काम करने के मामले की शिकायत प्रधानमंत्री तथा केंद्रीय मंत्री अमित शाह को भी की गई है। जिसमें इस तथ्य को भी बताया गया है कि विगत 2 महीने में 75 करोड़ के राजस्व की चोरी कर लॉकडाउन के समय शराब इंदौर संभाग में आबकारी के वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में बिक्री कराई गई है।
चोरी पकड़े जाने पर प्रभारी अधिकारी को निलंबित कर दिया गया जबकि सहायक आयुक्त आबकारी धार तथा उपायुक्त आबकारी इंदौर को हटाया तक नहीं गया, जो संदेहास्पद तथा भ्रष्टाचार को एवं राजस्व की चोरी को संरक्षण देने का सीधा मामला दिखाई देता है।