आज के आधुनिक युग में युवा आध्यात्म में का रुचि लेते हैं लेकिन फिर भी परशुराम का नाम आज के युवा भी जानते है लेकिन कम ही लोग उनसे जुड़ी रोचक बाते जानते हैं तो ऐसे में हम चौथी दुनिया पर आपको बताएंगे कि परशुराम कौन थे, उनका कुल क्या था। उनके माता-पिता का क्या नाम था।
रामचरित मानस में धनुष यज्ञ के समय परशुराम-लक्ष्मण संवाद की अति रोचक कथा का वर्णन मिलता है। मानस का जानने और समझने वाले भक्तगण इस संवाद में भक्ति व वीर रस का पान करते हैं।
लेकिन क्या हम जानते हैं कि परशुराम का जन्म कब हुआ था।
अक्षया तृतिया के दिन हुआ था परशुराम का जन्म
आज का दिन यानी सात मई को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया है। इस दिन को अक्षय तृतीया भी कहा जाता है। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इस तिथि को ही भगवान विष्णु के अवतार परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम के पिता एक महान ऋषि थे। उनका नाक ऋषि जमदग्नि था। उनके माता का नाम रेणुका था। ऋषि जमदग्नि चार पुत्र थे। परशुराम के अलावा रुक्मवान, सुषेणवसु, और विश्वासु उनके भाई थे। परशुराम अष्टचिरंजीवियों में से एक माने गए हैं।
परशुराम शस्त्र व शास्त्र दोनों के ज्ञाता थे। शास्त्रों में यह उल्लेख मिलता है कि परशुराम अपने पिता के बेहद आज्ञाकारी संतान थे। अपने पिता के कहने पर उन्होंने अपनी मां का वध किया था। उन्होंने अपने फरसे से मां का गला काट दिया था। लेकिन पिता का वचन पालन करने के बाद उन्होंने अपनी मां को जीवित करने का वरदान भी पिता से मांगा था।
गुरु और शिष्य के बीच हुआ था महासंग्राम
भीष्म पितामह परशुराम के शिष्य थे। एक बार भीष्म काशीराज की बेटियां अंबा, अंबिका और अंबालिका को अपने छोटे भाई विचित्रवीर्य से विवाह कराने के लिए उनका हरण कर लाए। तब अंबा ने भीष्म को बताया कि वह राजा शाल्व से प्रेम करती हैं। तब भीष्म ने उसे छोड़ दिया। लेकिन राजा शाल्व ने अंबा को अस्वीकार कर दिया।
जब अंबा ने यह चर्चा परशुराम से किया तो उन्होंने भीष्म को विवाह करने के लिए कहा। इस बात को लेकर दोनों मे ठन गई। मामला रण क्षेत्र तक पहुंच गया। दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ। अंत में पितरों की बात मानकर परशुराम ने अपने अस्त्र रख दिए। इस तरह युद्ध में न किसी की हार हुई न किसी की जीत।