इस लोकसभा चुनाव में कई बड़े महारथियों के क़िले उखड गए हैं। इसमें राहुल गांधी  से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक के नाम हैं। अब इस लिस्ट में यादव परिवार की बहु का नाम भी जुड़ गया है। बेहद वीआईपी माने जाने वाली सीट कन्नौज से सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को हार का सामना करना पड़ा है। मोदी तूफान में समाजवादी पार्टी का किला ढह गया। बीजेपी ने 21 सालों बाद कन्नौज में कमल खिलाने में सफलता हासिल की है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और बीजेपी के सुब्रत पाठक के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। डिंपल यादव बीजेपी के सुब्रत पाठक से 12,086 वोटों से हार गईं। इस हार के बाद समाजवादी पार्टी में मायूसी छाई है। बीजेपी ने कन्नौज लोकसभा सीट पर जीत दर्ज कर सपा को सबसे गहरा घाव दिया है।

सपा-बसपा गठबंधन मिलकर भी डिंपल की सीट नहीं बचा सका। कन्नौज समाजवादी पार्टी के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में मानी जाती थी। मुलायम परिवार के लिए इसे ‘लॉन्चिंग सीट’ भी माना जाता रहा है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी पहली बार यहीं से जीतकर संसद पहुंचे थे। इसके बाद स्वयं अखिलेश यादव भी कन्नौज से जीते थे। डिंपल यादव भी पहली बार कन्नौज से ही लोकसभा चुनाव जीती थी। समाजवादी पार्टी का कन्नौज लोकसभा सीट पर पिछले 23 वर्षों कब्जा था।

अखिलेश यादव ने पहले कन्नौज लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे। लेकिन सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन होने के बाद अखिलेश यादव ने डिंपल को कन्नौज से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया। सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद समाजवादी पार्टी को पूरा भरोसा था कि डिंपल का जीतना तय है। लेकिन जातिगत आंकड़ों और मोदी लहर में सपा का यह किला ढह गया।

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