अखिलेश सिंह लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे. उनका इलाज सिंगापुर में भी चल रहा था. वह लखनऊ स्थित पीजीआई में रूटीन चेकअप के लिए आए थे. जहां उनकी तबीयत बिगड़ती गई और मंगलवार तड़के उन्होंने अंतिम सांस ली. रायबरेली की राजनीति के बेताज बादशाह रहे अखिलेश सिंह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. फिलहाल उनकी राजनीतिक विरासत अदिति सिंह संभाल रही हैं. 2017 में रिकॉर्ड मतों से विधानसभा चुनाव जीतकर वह विधायक बनी हैं.
कांग्रेस से शुरू किया था सियासी सफर
बता दें कि अखिलेश सिंह रायबरेली सीट से पांच बार विधायक रहे हैं. उन्होंने अपना सियासी सफर कांग्रेस से शुरू किया था. राकेश पांडेय हत्याकांड के बाद अखिलेश सिंह को कांग्रेस से बाहर निकाल दिया गया था. इसके बाद भी कई बार निर्दलीय विधायक चुने गए.
साल 2012 के चुनावों से पहले पीस पार्टी जॉइन की थी. इस दौरान वह गांधी परिवार को जमकर कोसते थे. कहा जाता है कि अखिलेश सिंह का खौफ ऐसा था कि कांग्रेसी उनके डर से पोस्टर भी नहीं लगा पाते थे.
दबंग छवि के नेता
रायबरेली सदर विधानसभा से विधायक रहे अखिलेश सिंह दबंग छवि के नेता माने जाते थे. 15 सितंबर 1959 को जन्मे अखिलेश सिंह का सियासी सफर नवंबर 1993 में तब शुरू हुआ, जब वह कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा के लिए पहली बार निर्वाचित हुए थे.
वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से वह तीसरी बार 14वीं विधानसभा के सदस्य चुने गए. आपराधिक मामलों को लेकर 2003 में कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया जिसके बाद से वह कांग्रेस और गांधी परिवार पर निशाना साधते रहते थे. हालांकि सितंबर 2016 में अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह कांग्रेस में शामिल हो गईं यानी इतने लंबे समय के बाद इस रूप में अखिलेश सिंह की कांग्रेस में वापसी हुई.