इस प्रशिक्षण के दौरान महिला प्रधानों को देश में एचआईवी-एड्‌स की मौजूदा हालात के बारे में भी बताया गया. साथ ही उनके राज्य, ख़ासतौर पर औद्योगिक ज़िले मुरादाबाद में इसकी स्थिति के बारे में भी उन्हें जानकारी दी गई. उन्हें यह भी बताया गया कि इस तरह के अधिक जोख़िम वाले समूह उद्योेगों में मौजूद हो सकते हैं और कैसे एचआईवी-एड्‌स किसी व्यक्ति और औद्योगिक कार्यक्षमता को प्रभावित करता है. नीता देवी कहती हैंं कि अब मुझे पता चला कि, एचआईवी एक विषाणु (वायरस) है जो किसी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में पाया जा सकता है. इसके संक्रमण से कोई दूसरा भी प्रभावित हो सकता है. हमें यह भी पता चला है कि यौन संचरित संक्रमण (एसटीआई) और प्रजनन संक्रमण (आरटीआई) दोनों अलग-अलग कारक हैं. साथ ही यह भी कि किसी व्यक्ति में एसटीआई की वजह से एचआईवी-एड्‌स होने की संभावना तीन से दस गुणा अधिक होती है. हमें आरटीआई और एसटीआई के लक्षणों और इसके लिए चिकित्सीय सलाह लेने के बारे में भी बताया गया. संक्रमण के चार तरीक़ों में से किसी के भी द्वारा यह फैल सकता है, इस लिहाज से महिला और पुरुष दोनों में संक्रमण का ख़तरा अधिक होता है. इस शिविर में रोग प्रतिरोधक उपचार(एआरटी) और हमारे ज़िले में मौजूद एआरटी केंद्रों की सूची के बारे में भी बताया गया…अब हम यह भी जानते हैं कि इसकी जांच मुफ़्त होती है और इसकी जानकारी भी गुप्त रखी जाती है.
एचआईवी-एड्‌स की रोकथाम के लिए इस प्रशिक्षण ने महिला प्रतिनिधियों को इसके इलाज और एचआईवी पॉ़जिटिव लोगों के सहयोग में पंचायतों की भूमिका समझने में काफी मदद की. प्रशिक्षण के दौरान इन महिला पीआरआई सदस्यों से कुछ गतिविधियां कराने को कहा गया, जिसके माध्यम से वह एचआईवी की रोकथाम, संक्रमित लोगों और उनके परिवार की देखभाल पर जानकारी बांट सकें. सबसे अधिक सक्रिय भागीदारों में एक नीता देवी ने कई जागरूकता भरे कार्यक्रम आयोजित करने और लोगों को एकीकृत परामर्श और जांच केंद्रों (आईसीटीसी) पर एचआईवी की जांच के लिए प्रोत्साहित करने का वादा किया. इसके अलावा महिला पीआरआई सदस्यों ने चौपाल और मासिक बैठकों के ज़रिए पंचायत स्तर पर जागरूकता भरे संदेशों के प्रसार के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता जताई. साथ ही ग्रामीण युवक-युवतियों को भी एचआईवी-एड्‌स से जागरूक करने की बात कही.
भारतीय समाज में हाशिए पर चले गए समुदाय को जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण, कार्यशाला और कई कार्यक्रम चलाने वाले ग़ैर-सरकारी संगठन द्वारा
दिए गए.
प्रशिक्षण से पर्याप्त जानकारी हासिल करने के बाद आज नीता देवी एचआईवी-एड्‌स की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करने वाले कार्यक्रमों की अगुआई कर रहीं हैं.
उनके नेतृत्व में चौधरपुर जैसे गांव एचआईवी-एड्‌स के प्रति न केवल जागरूक हो रहे हैं, बल्कि इस बीमारी से जुड़े मिथकों और कलंकों को दूर करने में भी कारगर साबित हो रहे हैं. मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि इन महिला समूहों की पहुंच एचआईवी-एड्‌स की रोकथाम से जुड़ी सूचनाओं तक है और वे इन्हें दूसरी ग्रामीण महिलाओं तक भी पहुंचा रही हैं. नीता देवी गांवों में स्कूल शिक्षक, आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहती हैं. वह बताती हैं- महिलाओं और बच्चों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य की पहल के कारण अब गांव वाले अपने जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए स्वास्थ्य की महत्ता समझने लगे हैं. अपने इन्हीं प्रयासों की वजह से, मुरादाबाद के सुदूर क्षेत्रों में एचआईवी-एड्‌स की रोकथाम के लिए आत्मविश्वास, साहस और बुद्धिमत्ता से काम करने वाली नीता देवी आज अपने समुदाय और पंचायत के लिए आदर्श बन चुकी हैं.

[मुरादाबाद ज़िले के चौधरपुर पंचायत की 44 वर्षीय महिला प्रधान नीता देवी ने एसएआरडी-ऑक्सफैम द्वारा एचआईवी-एड्‌स पर आयोजित दो परीक्षण कार्यशाला मे हिस्सा लिया और वह बड़े गर्व से कहती हैं कि एचआईवी-एड्‌स पर आयोजित प्रशिक्षण में अपने ज़िले से भाग लेने वाली वह पहली महिला प्रधान थीं.]
त्तरप्रदेश के मुरादाबाद ज़िले में, ख़ासकर गांवों में एचआईवी-एड्‌स की रोकथाम से जुड़े मुख्य-धारा के लोग महिला पंचायती राज सदस्यों (पीआरआई) को जवाबदेह बनाने की क़वायद में लग गए हैं. ग़ौरतलब है कि तेज़ी से फैल रहे इस बीमारी से ग्रामीणों को बचाने के लिए महिला प्रधान  सभी ज़रूरी क़दम उठा रही हैं. मुरादाबाद ज़िले के चौधरपुर पंचायत की 44 वर्षीय महिला प्रधान नीता देवी ने एसएआरडी-ऑक्सफैम द्वारा एचआईवी-एड्‌स पर आयोजित दो परीक्षण कार्यशाला में हिस्सा लिया और वह बड़े गर्व से कहती हैं कि एचआईवी-एड्‌स पर आयोजित प्रशिक्षण में अपने ज़िले से भाग लेने वाली वह पहली महिला प्रधान थीं. इस प्रशिक्षण का मक़सद निर्वाचित पंचायती राज महिला सदस्यों को स्थानीय स्तर पर एचआईवी-एड्‌स की गंभीरता और इसके विभिन्न पहलुओं से अवगत कराने के साथ-साथ उन्हें इस महामारी से निपटने के लिए उनकी ज़िम्मेदारियों से वाक़ि़फ कराना था.
इस प्रशिक्षण के दौरान महिला प्रधानों को देश में एचआईवी-एड्‌स की मौजूदा हालात के बारे में भी बताया गया. साथ ही उनके राज्य, ख़ासतौर पर औद्योगिक ज़िले मुरादाबाद में इसकी स्थिति के बारे में भी उन्हें जानकारी दी गई. उन्हें यह भी बताया गया कि इस तरह के अधिक जोख़िम वाले समूह उद्योगों में मौजूद हो सकते हैं और कैसे एचआईवी-एड्‌स किसी व्यक्ति और औद्योगिक कार्यक्षमता को प्रभावित करता है. नीता देवी कहती हैं कि अब मुझे पता चला कि, एचआईवी एक विषाणु (वायरस) है जो किसी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में पाया जा सकता है. इसके संक्रमण से कोई दूसरा भी प्रभावित हो सकता है. हमें यह भी पता चला है कि यौन संचरित संक्रमण (एसटीआई) और प्रजनन संक्रमण (आरटीआई) दोनों अलग-अलग कारक हैं. साथ ही यह भी कि किसी व्यक्ति में एसटीआई की वजह से एचआईवी-एड्‌स होने की संभावना तीन से दस गुणा अधिक होती है. हमें आरटीआई और एसटीआई के लक्षणों और इसके लिए चिकित्सीय सलाह लेने के बारे में भी बताया गया. संक्रमण के चार तरीक़ों में से किसी के भी द्वारा यह फैल सकता है, इस लिहाज से महिला और पुरुष दोनों में संक्रमण का ख़तरा अधिक होता है. इस शिविर में रोग प्रतिरोधक उपचार(एआरटी) और हमारे ज़िले में मौजूद एआरटी केंद्रों की सूची के बारे में भी बताया गया…अब हम यह भी जानते हैं कि इसकी जांच मुफ़्त होती है और इसकी जानकारी भी गुप्त रखी जाती है.
एचआईवी-एड्‌स की रोकथाम के लिए इस प्रशिक्षण ने महिला प्रतिनिधियों को इसके इलाज और एचआईवी पॉ़जिटिव लोगों के सहयोग में पंचायतों की भूमिका समझने में काफी मदद की. प्रशिक्षण के दौरान इन महिला पीआरआई सदस्यों से कुछ गतिविधियां कराने को कहा गया, जिसके माध्यम से वह एचआईवी की रोकथाम, संक्रमित लोगों और उनके परिवार की देखभाल पर जानकारी बांट सकें. सबसे अधिक सक्रिय भागीदारों में एक नीता देवी ने कई जागरूकता भरे कार्यक्रम आयोजित करने और लोगों को एकीकृत परामर्श और जांच केंद्रों (आईसीटीसी) पर एचआईवी की जांच के लिए प्रोत्साहित करने का वादा किया. इसके अलावा महिला पीआरआई सदस्यों ने चौपाल और मासिक बैठकों के ज़रिए पंचायत स्तर पर जागरूकता भरे संदेशों के प्रसार के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता जताई. साथ ही ग्रामीण युवक-युवतियों को भी एचआईवी-एड्‌स से जागरूक करने की बात कही.
भारतीय समाज में हाशिए पर चले गए समुदाय को जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण, कार्यशाला और कई कार्यक्रम चलाने वाले ग़ैर-सरकारी संगठन द्वारा
दिए गए.
प्रशिक्षण से पर्याप्त जानकारी हासिल करने के बाद आज नीता देवी एचआईवी-एड्‌स की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करने वाले कार्यक्रमों की अगुआई कर रहीं हैं.
उनके नेतृत्व में चौधरपुर जैसे गांव एचआईवी-एड्‌स के प्रति न केवल जागरूक हो रहे हैं, बल्कि इस बीमारी से जुड़े मिथकों और कलंकों को दूर करने में भी कारगर साबित हो रहे हैं. मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि इन महिला समूहों की पहुंच एचआईवी-एड्‌स की…..
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