नई दिल्ली: 25 अगस्त को पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर चल रहे यौन शोषण को लेकर फैसला आने वाला है. इस मामले को लेकर अभी से प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. आपको बता दें कि इस फैसले से पहले हरियाणा में पुलिस और मिलिट्री की कई कम्पनियों को तैनात किया गया है. बता दें कि इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है.
इस फैसले से पहले हम आपको बताने जा रहे हैं गुरमीत राम रहीम सिंह के एक आम आदमी से डेरा प्रमुख बनने की कहानी. बता दें कि गुरमीत राम रहीम अपने माता पिता माता-पिता की इकलौती संतान हैं। इनका जन्म 15 अगस्त, 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के गुरुसर मोदिया में जाट सिख परिवार में हुआ था।
इन्हें महज सात साल की उम्र में ही 31 मार्च, 1974 को तत्कालीन डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह जी ने नाम दिया था। 23 सितंबर, 1990 को शाह सतनाम सिंह ने देशभर से अनुयायियों का सत्संग बुलाया और गुरमीत राम रहीम सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1948 में शाह मस्ताना महाराज ने की थी। तब से लेकर अब तक पूरे देश में विभिन्न जगहों पर डेरा के 50 से ज्यादा आश्रम हैं। शाह मस्ताना महाराज के बाद डेरा के गद्दीनशीन शाह सतनाम महाराज बने और उन्होंने वर्ष 1990 में अपने अनुयायी संत गुरमीत सिंह को गद्दी सौंप दी।
उसके बाद संत गुरमीत राम का नाम संत गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा कर दिया गया। लेकिन उसके बाद जैसे-जैसे समय बीतता गया डेरा का नवीनीकरण और विकास होने लगा। विभिन्न समाजसेवा और मानवता भलाई के कार्य करने से डेरा चर्चित भी होता गया। लेकिन इसके साथ ही डेरा विवादास्पद भी होना शुरू हो गया।
डेरा बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह बीती 15 अगस्त को वे 50 साल की उम्र के हो चुके हैं और जन्मदिन की खुशी में डेरा में लगातार नौ दिनों तक जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में विभिन्न समारोह और सत्संग भी आयोजित किए गए। लेकिन समारोह खत्म होते ही अगले दिन साध्वी यौन शोषण मामले के फैसले का दिन भी आ गया।