-महंगी एंटीबायोटिक दवा बाजार से गायब
-राजधानी में दिखी गंगा-जमुनी तेहजीब

भोपाल। राजधानी भोपाल में मची इंजेक्शन रेमडिसीवर की हाय तौबा अभी थमी भी नहीं है कि एक और एंटीबायोटिक दवा मरीजों के लिए मुश्किलें लेकर खड़ी हो गई है। लगातार बुखार के मरीजों को प्रिस्क्राइब की जा रही ये महंगी दवा बाजार से गायब हो गई है। जरूरतमंद मरीज इसके लिए भटकते नजर आ रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक लगातार बुखार से जूझ रहे मरीजों को डॉक्टर्स द्वारा हाई एंटीबायोटिक दवाएं लिखी जा रही हैं। इनमें एक टेबलेट फेबिफ्लू भी शामिल है। 200 से लेकर 800 मिलीग्राम की ये टेबलेट राजधानी की दवा दुकानों पर कुछ दिन पहले तक मौजूद थीं और इसके लिए ग्राहकों का टोटा माना जाता था। 400 मिलीग्राम की इस टेबलेट की एक स्ट्रिप का रेट करीब 2700 रुपए बताया जाता है।

महंगी कीमत के चलते और इसके साइड इफेक्ट्स को देखते हुए अधिकतर डॉक्टर इसके प्रिस्क्रिब्शन से बचने की कोशिश करते हैं। लेकिन ष्टश1द्बस्र हालात के चलते ऐसे मरीज जिनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं है, लेकिन उनको लगातार बुखार बना हुआ है, को डॉक्टर इसके सेवन की हिदायत दे रहे हैं। बताया जाता है कि 2700 रुपए कीमत वाली फेबिफलू टेबलेट की बजाए डॉक्टर 800 मिलीग्राम की टेबलेट लेने के लिए कहा जा रहा है।

दवा बाजार से लेकर मेडिकल स्टोर तक पर किल्लत

पिछले कई दिनों से बुखार से पीडि़त जफर आलम खान बताते हैं कि उन्हें डॉक्टर ने फेबिफ्लु 800 टेबलेट लेने के लिए कहा है। वे सारा दिन से इसकी तलाश में परिजन, रिश्तेदारों और दोस्तों को इसके लिए दौड़ा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी उन्होंने लोगों से इस टेबलेट के उपलब्ध कराने की गुजारिश की है लेकिन सभी जगह से मायूसी ही हाथ लग रही है।

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पंडित ने पढ़ी समस्या, पठान की मदद के लिए दौड़ पड़ा

सोशल मीडिया पर जफर आलम की पोस्ट देखने के बाद शहर के दूसरे छोर बावडिय़ा कलां में निवास करने वाले नितिन राजौरिया ने अपने सूत्रों से जफर आलम का मोबाइल नंबर तलाश किया और उनसे दवाई की जरूरत का ब्यौरा लिया। इसके बाद वे खुद दवा लेकर पुराने शहर के परी बाजार तक पहुंचे और दवाई की कीमत लिए बिना ही घर के बाहर से ही लौट गए। नितिन ने बताया कि उन्हें जफर आलम तक दवाई पहुंचाना अपने दायित्व जैसा महसूस हुआ। हालात के मद्देनजर उन्होंने इस दवाई का कुछ स्टॉक अपने पास कर रखा है।

वे घर में माता शीला राजौरिया से झूठ बोलकर निकले कि न्यू मार्केट तक कुछ काम से जा रहे हैं। जबकि पत्नी से एमपी नगर जाने के लिए कहा। नितिन बताते हैं कि शहरभर की बैरिकैटिंग भरी मुश्किलों को पार करते हुए जब इकबाल मैदान पर पहुंचे तो हमीदिया अस्पताल पहुंचने वालों की तादाद और भागमभाग देखकर उनकी आंखों में आंसू निकल आए। जफर आलम कहते हैं कि पंडित नितिन राजौरिया का उनके लिए देवदूत बनकर आ जाना हमेशा याद रहेगा। उन्होंने इस मामले को उन लोगों के लिए एक सबक करार दिया, जो लोगों को नफरत के नाम पर अलग करने की कोशिशों में लगे हैं।

खान आशु

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