कार्यवाही की बजाए नर्मदा में बहा दी अवैध रेत
भोपाल। रेत माफियाओं पर जिला प्रशासन की मेहरबानियां इस तरह बनी हुई हैं कि रंगे हाथों पकड़े गए रेत तस्करों पर न तो कार्यवाही हुई और न ही किसी से अवैध खनन का जुर्माना वसूला गया। खानापूर्ति के लिए एक हास्यास्पद कार्यवाही को अंजाम दिया गया है, जो माफिया और प्रशासन की मिलीभगत को उजागर कर रहा है।जानकारी के मुताबिक धार जिले की मनावर तहसील में 9 जून को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर और क्षेत्र के विधायक हीरालाल अलावा ने अवैध रेत खनन को रोकने के लिए आकस्मिक निरीक्षण किया था। इस दौरान ग्राम बड़ा बड़दा और ग्राम रतवा में बड़ी मात्रा में अवैध रूप से खनन की गई रेत के ढेर और वाहन जब्त करवाए गए थे। बताया जा रहा है कि इस कार्यवाही के अगले दिन 10 जून को खनिज अधिकारी राहुल चौहान मनावर, तहसीलदार मनावर, नायब तहसीलदार एवं पुलिस की उपस्थिति में जप्ती की कार्यवाही न करते हुए ग्राम रतवा में रेत के ढेरों को जेसीबी मशीन के द्वारा मिट्टी मिला दिया गया।ठीक इसी तरह ग्राम बड़ा बड़दा में भी बोट द्वारा नदी से निकाली हुई जिस रेत के स्टॉक का पकड़ा गया था, उसे भी जेसीबी द्वारा नदी में वापस डाल दिया गया है।
पाटकर ने जताया विरोध
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेघा पाटकर का कहना है कि की जा रही कार्यवाही से यही संदेह होता है कि प्रशासन द्वारा यह कार्यवाही रेत माफियाओं को बचाने के लिए की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को रेत का मेजरमेन्ट कर रेत माफियाओं पर स्नढ्ढक्र दर्ज कर कड़ी कानूनी कार्यवाही एवं वाहनों को राजसात करने की कार्यवाही करनी चाहिये थी। पाटकर ने कहा कि प्रशासन द्वारा की गई कार्यवाही से स्पष्ट है कि प्रसाशन द्वारा बिना मेजरमेंट व पंचनामा के द्वारा अवैध रेत खनन को रिकॉर्ड में न लेते हुए सबूत मिटाकर रेत माफियाओं को बचाने का कार्य किया जा रहा है।
प्रभार के अधिकारी लगातार विवादों में
जानकारी के मुताबिक धार जिला खनन अधिकारी खतेडीया लंबे समय से प्रभार के रूप में जिम्मेदारी सम्हाल रहे हैं। शिवा कॉरपोरेशन से सांठगांठ के उनके किस्से आम हैं। शिवा कॉरपोरेशन के मैनेजर शिवम अजमेरा से उनकी धामनोद और धरमपुरी में मुलाकात और लेनदेन के कई मामले के चशमदीद मौजूद हैं। यही वजह है कि खलघाट के पास स्थित ग्राम शाला से लेकर धरमपुरी तक और कुक्षी तहसील में निसरपुर आदि इलाकों में ग्रीन बेल्ट में धड़ल्ले से शिवा कॉर्पोरेशन द्वारा लगातार अवैध खनन किया जा रहा है। लेकिन इन मामलों पर नजर रखने वाले निरीक्षक का जिला मुख्यालय से दूर स्थित तहसीलों तक पहुंचना मुश्किल है। इसके चलते वे अक्सर मुख्यालय और अपने घर (सांवेर) से ही सारी कागजी खानापूर्ति कर रहे हैं।