मै एप्रिल 2017 से 9 जून 2019 तक यानी लगभग 26 कुल मिलाकर राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष पदपर रहा हूँ और कुछ मित्रों के सुझावों के कारण मै आज यह मेरे अध्यक्षपदका कार्यकाल का लेखा -जोखा लिखने का प्रयास कर रहा हूँ !
सबसे पहले मै यह बात स्पष्ट कर दूँ कि में जब पैतीस सालकी उम्र का था तभी से 1990 -91 के समय तत्कालीनअध्यक्ष श्री पन्नलाल सुराणा कलकत्ता हमारे घर में विशेष रूप से मैंने अब अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सह्माल्ने हेतु मुझे काफी आग्रह किया है लेकिन मै 24 अक्तूबर 1989 को भागलपुर में रामशिला पूजा जुलुस के दरम्यान जो दंगा हुआ था और आजादी के बाद भारत का सबसे बड़ा दंगा कहाँ तो गलत नहीं होगा जिसमें तीन हजार से भी ज्यादा लोगों की जानें गई थी और वह ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग थे ! और उनके आजीविका के सभी संसाधनों की राख कर दी थी और घरों को धाराशाही कर दिया था और मैं शुरू मे तो मराठी साप्ताहिक पत्रिका साधना के संपादक के आग्रह के कारण सिर्फ रिपोर्टिंग के लिए गया था लेकिन एक सप्ताह से भी ज्यादा समय घुमने के कारण क्योकि 300 से भी ज्यादा गाँव युद्ध जैसे बर्बाद करने के कारण हम सौ के आसपास गावोमे घूमकर मानसिक रूप से उध्व्स्त होकर ही वापसिकेट्रेन मे बैठे तो मैं मेरी साईड बर्थ होनेके कारण मै उठकर रातके अंधेरे में चलती हुई ट्रेन मे उसके गति से भी ज्यादा गति से विलक्षण मंथन कर रहा था तो मेरे बगल के इनसाइड बर्थ पर बंगाल के मशहूर लेखक और वरिष्ठ पत्रकार श्री गौर किशोर घोष थे वह भी मुझे देखकर उठकर मेरे बर्थ पर आकर बैठ गये और मुझे पूछने लगे क्या बात है कि तुम सो नहीं रहे तो मैंने उनसे कहा कि मै आँखे बंद कर के सोने की कोशिश करता हूँ कि मेरे आँखो के सामने भागलपुर दंगा के चित्र आना शुरू हो जाते हैं और मैं घबरा कर उठ बैठा हूँ ! और यह निंद न आने की बीमारी शत-प्रतिशत भागलपुर दंगा के बाद की बिमारी है और जो मेरा पीछा नहीं छोड़ रही है अभी भी मै यह सब रातके तीन बजे लीख रहाहूँ !
और पन्नालालजी को कहा कि मै भागलपुर दंगा के बाद के काम में व्यस्त होने के कारण फिलहाल और कोई भी जिम्मेदारियोंको निभाने के लिए तैयार नहीं हूँ ! फिर कुछ समय बाद पन्नालालजी और भाई वैद्द दोनो मिलकर आये थे और काफी समय रहे हैं और बहुत ही आग्रह किया था तब भी मैंने विनम्र पूर्वक नकार दिया और दोनों को नाराज करने की टीस मुझे देकर गए !
मै राष्ट्र सेवा दल के अंदर संघ से निकाल दिया गया इसलिए 1965-66 के दरम्यान जब मेरी उम्र बारह साल की होगी तो शिंदखेडा नामके धुलिया जिला का एक तालुका के गांव जो मेरी बुआ का था वहा हायस्कूल की पढाई के लिए आया था और इस तरह आजसे 54-55 साल पहले मैंने राष्ट्र सेवा दल के अंदर कदम रखा !
आपातकाल के समय पूर्ण समय राष्ट्र सेवा दल का कार्यकर्ता था 1973-76 के सितम्बर मे मुझे अमरावती पुलिसने बडौदा डायनामाईट केस मे गिरफ्तारी की तो सेवा दलको आंच नहीं आनी चाहिए इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दिया था ! और आपातकाल के बाद जेपिने जनता पार्टी की सरकार बनाने के बाद मै धुनि युवको की तलाश में हूँ जो सत्ता के राजनीति से दूर है ! तो मैंने उनके अपील पर साधना साप्ताहिक पत्रिका में जवाब दिया कि मै धुनि युवको की जमात में शामिल होने के लिए तैयार हूँ ! और 1977 को मई महीने मे हमारे अमरावती के अन्य मित्रों के सहयोग से जेपी आंदोलन मे बिहार स्तरीय छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के महाराष्ट्र के युवाओं का एक सप्ताह का शिबिर आयोजित किया था और उसके पस्चात संपूर्ण महाराष्ट्र में संघर्ष वाहिनी की स्थापना के लिए लगातार दो साल का समय दिया लेकिन 1979 के जनवरी में शादी होने के बाद मैंने संघर्ष वाहिनी के काम से मुक्ति लेली थी और साल-भर में 1980 के 24 फरवरी के दिन प्रथम पुत्र के जन्म और पंद्रह महीने में दुसरे बेटे 11 एप्रिल 1981 को होने के बाद मैंने भागलपुर दंगा के पहले तक सिर्फ और सिर्फ हाऊस हजबंड की भुमिका निभाई ! उसी दौरान बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद संघ परिवार बहुत ही नियोजित तरीके से रथयात्रा और शीला पूजा,कारसेवा इत्यादि कार्यक्रम की झडी लगाकर संपूर्ण भारत में ही एक चार्ज करने के लिए लगे हुए थे और उसी कडिमे तथाकथित शीला पूजा के जुलुस में भागलपुर मे 24 अक्तूबर 1989 को भिषण दंगा हुआ और उस दंगे मे तीन हजार से भी ज्यादा लोगों की जानें गई है और तीन सौ ज्यादा गाँव युद्ध जैसे बर्बाद करने की कोशिश हुई है और यह आजादी के बाद भारत का सबसे बड़ा दंगा कहाँ तो गलत नहीं होगा जिसकी चर्चा संपूर्ण भारत में हुई और मुझे साने गुरूजीने शुरू किया साधना साप्ताहिक पत्रिका में रिपोर्ट लिखने के लिए विशेष आग्रह हो रहा था तो मै दंगा के बाद के लगभग छह महीने बाद जब मेडम खैरनार के स्कूल की छुट्टी शुरू हुई तब मै शांतिनिकेतन की मराठी भाषा की प्रमुख प्रा वीणा आलासे उनके कुछ विद्यार्थियों के साथ गया था बाद में बंगाली भाषा के लेखक और वरिष्ठ पत्रकार श्री गौर किशोर घोष भी हम लोगों को जाॅइन किये तो हम लोगों को एक सप्ताह से भी ज्यादा समय वहाँ के सौ के आसपास गावोमे घूमकर जो नजारा देखा उससे मुझे जीवन भरके लिए इन्सोमिनीयकी बिमारी हो गई है और आज भी रातके तीन बजे से लेकर यह लिखना शुरू किया है और अभी सुबह के सवाछे हो रहे हैं तो वापस आने की ट्रेन में मेरी साईड बर्थ होनेके कारण मै उठकर रातके अंधेरे में चलती हुई ट्रेन की खिड़की से बाहर देखकर लगातार भागलपुर दंगा के चित्र आँखो के सामने घूम रहे थे गौरदा मेरे सामने की इनसाइड बर्थ पर थे और उनके उपर की दोनों बर्थ पर मनिषा बॅनर्जी और मंदिरा मुखर्जी यह दोनों विश्वभारती विश्वविद्यालय की छात्राए थी तो गौरदा जब देखा कि मै बैठा हूँ तो वह भी उठकर मेरे बर्थ पर आकर बैठ गये फिर मनिषा और मंदिरा भी जाॅइन किये तो हम सुबह शांतिनिकेतन आने तक आगे क्या कर सकते इस बात पर चर्चा करते करते ही शांतिनिकेतन उतरने के बाद दोपहर बर्धमान भागलपुर दंगा पर एक कार्यक्रम ॠषी अरविंद सभागृह के लिए गये मुझे कुछ भी पता नहीं था कि मुझे वहाँ बोलना है ! प्रोफेसर अम्लानदत्त अध्यक्ष पद पर थे और मुझे अचानक बोलने के लिए पुकारा गया तो यह भागलपुर दंगा के चित्र आँखो के सामने देखकर आने के बाद भारत का पहला ही कार्यक्रम था तो मैंने संक्षेप मे इतना ही कहा कि भागलपुर दंगा को देखने बाद मै इस नतीजेपर आया हूँ कि यह स्वतंत्रता के बाद भारत का सबसे बड़ा दंगा हैं और इसके आगे भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति का केंद्रबिदु आने वाले पचास साल सिर्फ और सिर्फ सांप्रदायिकता के इर्द-गिर्दहीरहेगी और बाकी सब सवाल दोयम दर्जे मे चले जायेंगे तो अध्यक्ष पद पर श्री अम्लानदत्त जी के अध्यक्ष के संबोधन में उन्होंने कहा कि सुरेश खैरनार जी को मैं बहुत अच्छा जानता हूँ लेकिन वह भागलपुर दंगा देखने के बाद काफी बेचैनी मे कुछ ज्यादा ही अतिशयोक्ति कर गये लेकिन भारत महात्मा गांधी,रवींद्रनाथटैगोर की भूमि है इतना भी खराब नहीं है वगैरह वगैरह बोले अनायास सभाके बाद हमें कलकत्ता वापस आने की गाड़ी में गौरदा और अम्लानदाभी साथ ही थे तो मैंने गाडिमे बैठने के बाद अम्लानदाको कहा कि आप सभा के अध्यक्ष थे और अंतिम भाषण आपकाही था इसलिए मुझे आपके भाषण का जवाब देने का मौका नहीं मिला लेकिन आप की इजाजत हो तो बर्धमान हावडा कमसेकम दो घंटे का सफर है मै कुछ बोलना चाहता हूँ तो उन्होंने तुरंत कहा कि जरूर बोलो तो मैंने पुछा कि आप दंगा के बाद भागलपुर गये हो ? तो वह बोले कि नहीं गया लेकिन आनंद बाजार पत्रिका और स्टेट्समन टेलीग्राफ पेपरों की रिपोर्ट देखी है तो मैंने उनके कहाँ की यह सब मैंने भागलपुर दंगा के बाद के छह महीने तक पढा है लेकिन जब आप अपने आँखो से देखोगे तब बताइये और आश्चर्य की बात वह हमारे अगले भागलपुर यात्रा मे शामिल हुए और अपने आप ही वापसिके ट्रेन में खुद बोले कि आप सही हो क्योंकि आजादी के बाद भारत का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा जानमाल की हानि होने वाला दंगा है !
और दंगे को देखने के बादऔर उसके रिपोर्टिंग के लिए मैंने मुख्य रूप से महाराष्ट्र में काफी जगह पर खुद जाकर अपनी बात रखने की कोशिश की है!और मुझे एक भी जगह पर ऐसा अनुभव आया हो कि मेरी बात समझाने मे मै कामयाब हुआ था ! बिल्कुल भी नहीं ! शायद मैं मेरी बात को ठीक से समझा नहीं सका ! सिर्फ मेरे वरिष्ठ मित्र श्री वसंत पळशिकर ही अकेले थे जिन्होंने मेरे आकलन की कद्र की है और खुद तो मेरे साथ अम्लानदा की तरह भागलपुर आये ही थे लेकिन महाराष्ट्र में मुझे कोल्हापुर,सातारा,पुणे इत्यादि जगहों पर खुद लेकर घुमे ! और प्रोफेसर देवदत्त दाभोलकर डॉ नरेंद्र दाभोलकर,प्रोफेसर मे पु रेगे,अच्युत पटवर्धन,फिलोमिना थाॅमस जैसे लोगों से परिचित कराने के लिए विशेष परिश्रम लिए और भागलपुर पर कुछ मराठी में लिखा भी है !
फिर मेधा पाटकर मेरी सेवा दल की बैचमेट होने के कारण नब्बेके दशक में वह भी कलकत्ते के हमारे ही घर ठहरा करती थी ! और कभी-कभी अपने एकाधिक कार्यक्रमों में जबरदस्तीसे लेकर जाति थी ! तो रविंद्रभारती विश्वविद्यालयके कार्यक्रममें पहलीबार उन्होंने विकास की अवधारणा को छेड़ने के बाद हम मिलकर शांतिनिकेतन विश्वभारती विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में भी साथ गये और उस प्रवासमे मैंने कहा कि आप सिर्फ नर्बदा एक नर्बदा करने से काम नहीं चलेगा क्योंकि वह सिर्फ अमरकंटक से भरूच तक का 1300 किलोमीटर का दायरा है! और भारत जैसे देश में सिर्फ स्थानीय इशू बेस आंदोलन से बहुत ज्यादा कुछ हासिल नहीं होगा ! जयप्रकाश आंदोलन के बाद लगभग पंद्रह बीस साल का समय हो रहा है और राष्ट्रीय स्तर पर आयोध्या छोड़ कोई दूसरा आंदोलन संपूर्ण भारत नहीं है और इस कारण भी भागलपुर जैसे दंगा और भी होंगे ! इसलिये व्यापक मुद्दों पर आंदोलन की आवश्यकता है और आज की बात है कि इस आंदोलन का नेतृत्व आप ही कर सकती हो मै आपकी बैग उठाने के लिए तैयार हूँ ! तो तुरंत अरे भाई कहा आप मेरी तुलना जेपिसे करते हो ?
विकास की अवधारणा को अगर आप को सचमुच चैलेंज करना है तो मै आपकी बैग उठाने के लिए तैयार हूँ तो 1994 फरवरी में सेवाग्राममे जिनके हककी लडाई बादमे एन ए पी एम (जन-आंदोलनों का समन्वय) का जन्म हुआ है!
और साथ-साथ कोई संसदीय राजनीति की भी कल्पना लेकर आया था ! और मैंने जमकर विरोध किया है और उस कारण उस समय तो चुनाव में शामिल होने का निर्णय नहीं ले सके लेकिन मेधा और चुनाव में शामिल होने की इच्छा रखने वाले मित्रों ने मुझे कहा कि आप जैसे मित्रों के कारण हम कभीभी संसद या विधानसभा में नहीं जा सकते तो मैंने चुपचाप अपने आप को अलग कर लिया ! और मैंने अपने 68 साल के जीवन में कभी भी किसी भी संघटन को तोड़ने का काम नहीं किया है ! खुद अपने आप को अलग कर के अन्य कामों में लगा रहा हूँ ! और नाही उन संघटनोके खिलाफ कभी भी विरोधी बोलना लिखना नहीं किया है ! और आज राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष पद से बहुत ही महाभारत होने के बाद मै मुक्त हुआ हूँ ! लेकिन नये अध्यक्ष को दुसरे ही दिन कहा कि आप आजसे अध्यक्ष पद पर है और मैं एक सामान्य सैनिक हूँ ! लेकिन वर्तमान देश दुनिया की स्थिति को देखते हुए मुझे राष्ट्र सेवा दल के अलावा और पर्याय मालुम नहीं है और इसलिए आपको हरतरहसे सहयोग करने के लिए मैं तैयार हूँ अब आप अध्यक्ष हो आपको तय करना है कि मेरी मदद लेनी है या नहीं ! यह आपका अधिकार है यह कहकर मैंने वापसिके प्रवास की शुरुआत की ! अब आता हूँ मेरे अध्यक्षाता के कार्यकालमें मैंने क्या-क्या किया इस बातपर !
साथियों आज मुझे राष्ट्र सेवा दलके अध्यक्ष पद सम्हलने में 700 दिन हो रहे हैं ! इन 700 दिनों में 200 दिन मेरी एंजियोप्लास्टी और अभि गत एक महीने से मैडम खैरनार की रीढकी उपरी हिस्से की सर्जरी के लिए मैं दे रहा हूँ यह छोडकर कुल 500 दिन और लगभग पांच लाख किलो मीटरसे भी ज्यादा की यात्रा राष्ट्र सेवा दलके सन्घटनात्मक काम के सिलसिले में देश के लगभग सभी विभिन्न क्षेत्रों में करने का प्रयास किया है !
उसमे कश्मिरकी तिन बार,उत्तराखंड की चार बार,उत्तरप्रदेश की पाँच बार,बिहार-झारखंड की छ बार कर्नाटक की सात बार और ओरिसा,राजस्थान,गुजरात,आन्ध्र,तमिलनाडु,केरल एक बार बंगाल पाँच बार जाना हुआ इसके फलस्वरूप बिहार-झारखंड,बंगाल,उत्तराखंड,कर्नाटक इन राज्यों में प्रदेश की राष्ट्र सेवा दलकी कार्यकारी इकाइयां बनी है राजस्थान,गुजरात,कश्मीर,उत्तरप्रदेश,ओरिसा ,आन्ध्र प्रदेश,तमिलनाडु,गोआ,केरल तथा उत्तरपूर्व के सातो प्रांतोमे ईकाई बननेकी संभावना है !
मैने अध्यक्ष पद पर आसीन होते हुए कुछ संकल्प किये थे उसमे राष्ट्र सेवा दलके एक लाख सदस्य करेंगे शायद इस महीने के अंतमे हमारा लक्ष्य पूरे होनेकी संभावना है (हो गये हैं !) इसी कडिमे कम्सेकम पांच नये राज्यों में राष्ट्र सेवा दलकी इकाइयां बननेकी संभावना है जो इस सदस्यता अभियान के बाद सम्भव है ! और सबसे बड़ी बात भारत में महाराष्ट्र के अलावा सेवा दल के अस्सी साल मे पहला दुसरा राज्य का दर्जा पाने वाला राज्य बिहार बना है और अबकी बिहार प्रदेश राष्ट्र सेवा दल की ईकाई हमारे संविधान के अनुसार सदस्यों को लेकर विभिन्न जिलों के चुनावों के माध्यम से बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद पर श्री उदय भागलपुर के चुनावों के माध्यम से आज अध्यक्ष है !
इसी तरह पूर्ण समय कार्यकर्ताओं को मै अध्यक्ष बननेके पस्चात आत्मपरिक्षण की बैठक में हर छ महीने के मे अपने खुद के काम का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया शुरू की जिसमें अध्यक्ष से लेकर सभि पदाधिकारियों ने अपने आप का आत्मपरिक्षण करना है जो अबतक तिन बार हुआ है और उसने खुद कहना है की वह सेवा दलके काम करने मे पर्याप्त संतुष्ट हैं ? इसी प्रक्रियाके कारण कुछ कार्यकर्ताओं को पूर्ण समय कार्यकर्ता पदसे दूर करना पड़ा है !
और उनकी जगह नये ऊर्जावान और उत्साही सथियो का चयन किया गया है ! इसी तरह से इन कार्यकर्ताओ के अभ्यास शिबिर गत वर्ष जून के प्रथम सप्ताह में पुणे स्थित मुख्यलय में कीया गया और इस साल भी होगा उसितरह हमारे रत्नागिरि महाराष्ट्र के साथी श्री अभिजित हेग्शेत्टेजिने देशभरके एक हजार सथियो का दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए खुद पहल की है कि यह कर्यक्रम हम मिलकर करेंगे ! और मैंने भी उनको हामी भरी है !
कोलकाता से आगे भारत है ऐसा कई लोगों को लगता नहीं हैं ! लेकिन राष्ट्र सेवा दल ऐसा बिलकुल नहीं मानता पहले कभी हमारे पूर्णकालिक कार्यकर्ता वहां होते थे(उत्तर बंगाल के नक्षलबारी मे और मणिपुर मे) जो अब पुन्नाह हो रहे हैं और शायद काफी अन्तराल के बाद सातो उत्तर पूर्वी राज्यों में सेवा दल खड़ा हो रहा हैं ! शायद आसाम,मणिपुर,मिज़ोरम और मेघालय से कुछ सद्स्सोने पहल की है ! इसी तरह से दक्षिणी राज्यों में हमारे काम को काफी माँग हो रहीं हैं और मैने अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान दक्षिणी राज्यों में सम्भावना शक्यताओं की तलाश करने का प्रयास किया है आनेवाले समय में उसके परिणाम देखने के लिए मिलेंगे !
झारखंड राज्य कभी बिहार का हिस्सा था लेकिन सेवा दल नहीं था अबकी बार झारखंड राज्य ईकाई स्वतंत्र राज्य के रूप में वैसाही बिहार,उत्तराखंड और शायद जम्मु-कश्मिरकी ईकाई के रूप आनेवाले समय में महाराष्ट्र के बाद पहले राज्य होंगे जो राष्ट्र सेवा दलके राज्य दर्जा प्राप्त करने वाले हैं !
रही बात देश के और भी राज्योंकी जिसमें प्रमुख रूप से गोवा, गुजरात,राजस्थान,पंजाब,हरियाणा,हिमाचल प्रदेश और दिल्ली यहा भी दो साल के प्रयासों से कम्सेकम सेवादल का नाम गया है और शायद इनमसे किसी एकाध राज्यका दर्जा लेकर आनेवाले दिनों में देखने को मिलेंगे !
देश के हर सेकुलर,प्रगतिशील,सम्तामुलक समाजका सपनोके लीये कोशिश करने वाले आर एस एस के पर्याय के रूप में राष्ट्र सेवा दल को ही देख रहे है ! मुझे मेरे दो साल के संपर्क डायलाग से यह विश्वास हो गया है ! शरद यादव,मल्लिकार्जुन खर्गेजी,दिग्विजय सिंह,हरिप्रसाद,सी पी एम पोलिट ब्यूरो,सी पी आई ,सर्व सेवा संघ,जेपि आन्दोलन के लगभग सभी साथी,देश के प्रगतिशील लेखक संघ,बुदद्धीजीवीयोमे सभी तरह ,लेखक,कवी,पत्रकार,सम्पादक,विभिन्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और विद्यार्थी नेता सभिने एक स्वरमे संन्घ मुक्त भारत की मेरि अध्यक्ष बनने के बाद की घोषणा का स्वागत किया है ! जिसमें अगर कुछ नाम लू तो कुमार केतकर,भालचंद्र नेमाडे,अशोक शहाणे,डॉ राम पुनियानि,तिस्ता सेटलवड,जावेद अख्तर,जावेद आणंद,स्वरा भास्कर,नन्दिता हक्सर,समर बागची,मेहर इन्जीनियर,राणा आयूब,प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव,प्रबोध जम्वाल,कुमार राणा,एम के रैना,रवीन्द्र त्रिपाठी,जयशंकर गुप्ता,शबनम हाशमी,अरुंधती रॉय,रवीशकुमार,पुण्यप्रसुन बाजपेयी,आशीष नंदी, रामचंद्र गुहा,नागराज,चुन्क्की नन्जुदस्वमी,रवी वर्मा,प्रो हनुमंत,डॉ अनिल सदगोपाल,प्रो वसी अहमद,ड़ॉ सईदा हमिद,प्रो अपूर्वानन्द,विभूति नारायण राय,दारापुरि,सुरेश खोपडे,एस एम मुश्रिफ,लक्ष्मीकांत देशमुख,प्रेमानंद गज्वी,वसंत आबाजी डहाके,प्रभा गनोरकर, प्रो मार्क्स, आदित्य पटनायक,प्रफुल्य सामनतराय,चंदन पाल,महादेव विद्रोही,जहूर मलिक डॉ झफरुल इस्लाम,प्रो इम्तीयाझ अहमद,एन राम,प्रो डेज़ी नरायन,प्रो रोमिला थापर,प्रो मनोरंजन मोहन्ति,हुसेन दलवाई,डॉ भालचंद्र मुनगेकर,अलि अन्वर,अशोक गहलोत,कविता श्रीवास्तव,अरुणा रॉय,राजेंद्र सिंह एक तरह से भारत के बहुसंख्यक बुद्धिजीवी लोग जिनसे मैंने व्यग्क्तीगत बातचीत करते हुए मैं इस नतीजेपर आया हूँ की सभिको संघके पर्यायवाची सिर्फ और सिर्फ राष्ट्र सेवा दलका महत्त्व इतिहास के क्रममे कभी नहीं इतना आज महसूस हो रहा है तो वह हमहि लोग हैं जो इस स्तिथि पर अगर खरे नहीं उतरेतो हमे आनेवाली पीढी कभी नहीं माफ करेंगी !
इसलिए मेरा सभि सेवा दलके सथियो से विनम्र निवेदन है कि हमने आपसी मनमुटाव छोडकर देश दुनिया की सबसे बड़ी समस्या सम्प्रदायिक,विषमताओं तथा विनाशकारी विकास के लिए हमारी जल,जंगल और जमीन को कॉरपोरेट जगत के हित के लिए सभि कानुन ताकपर रखकर किसानो,मजदूरों,दलितोके,आदिवासियो के और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को नष्ट करने का भयानक षडयन्त्र का शिकार होने वाले लोगों के लिए राष्ट्र सेवा दल जो 80 साल से कार्यकर्ता बनानेका एस एम जोशी जी की भाषा का बगैर दीवारों का स्कूल मुस्तैद करने के लिए जूट जाना चाहिए यही गुजारिश करता हूँ !
देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इतिहास में इसके पहले राष्ट्र सेवा दलकी कभी नहीं इतनी आवश्यकता आज महसूस हो रही है ! सभी तरह के सेकुलर सोच वाले लोगों में से एकस्वरमे संघको अगर कोई पर्यायवाची है तो सिर्फ राष्ट्र सेवा दल !
मै अध्यक्ष बनने के बाद लगभग सभी सेक्युलर विचार के दल तथा विभिन्न संघटनोसे विचार-विमर्श करने की कोशिश करने बाद इस नतीजेपर आया हूँ की आज राष्ट्र सेवा दलको बढने के लिए बहुत अनुकूल वातावरण है इसलिये नये पुर्ण समय तथा आंशिक समय देने के लिए देश भर में बहुत वैचारिक प्रतिबद्धता वाले साथियों को हम जोड़ेंगे तो एक अच्छी-खासी ताकत बन सकती हैं इसलिये मेरी प्रार्थना है कि आप सभी साथियों ने इस काम में सहयोग करने का कष्ट करेंगे तो हम होँगे कामयाब !
राष्ट्र सेवा दलका 78 साल का सफर
आनेवाले 4 जून को राष्ट्र सेवा दल 78 साल पूर्ण कर रहा है ! आजादी के पहले छ साल की सेवा दल की 1941-42 मे अकेले मुम्बई शहर में 125 शाखा वह भी तीन शिफ्ट में यह बात आदरणीय स्वतंत्रता सेनानी नवनित भाई शाह पालघर निवासी जो अभि अपने जीवन के 95 साल के हो चुके हैं ! उह्मोने मुझे 15 अगस्त को मैं पालघर सेवा दलके कर्यक्रम के अवसर पर गया था तो उनसे मिलने के बाद पता चली ! अब लाख-लाख़ सेवा दल सैनिकों के सपने साने गुरुजिके तथा वसंत बापटजीके गीतों में लिखे गए हैं इसकी वजह ऊनके अपने आखोके सामने सेवा दल का यह पराक्रम की झलक वे देखे होंगे तभी ऐसे गीत लिखे होंगे !
आज आजादी को भी 72 साल हो चुके हैं शायद 1941 से।1966 तक का राष्ट्र सेवा दलका सफर 25 साल का काफी ठीक लग रहा है उसके बाद क्या बात है की हमारा सफर ढीला पड गया ? और जिनका बन्दोबस्त करने के लिए सेवा दलकि स्थापना की गई वो सम्प्रदायिक,जतियवादि संघ परिवार दिन दूना रात चौगुना तरक्की करते गया ! 1980 के बाद शाहबानो की केसके बाद बाबरी मसजिद राम मंदिर के आन्दोलन को लेकर शनैः शनैः आज देश की राजनीति पर,समाजनीति पर लग भग हावी हो चुके हैं !
24 अक्तूबर 1989 को बिहार के भागलपुर में रामशीला जुलूसों के दौरान जो सम्प्रदायिक दंगा हुआ वह भारत की आजादी के बाद का सबसे भयंकर दंगा रहा है अब तक के सभि दंगे 1947 के बाद के गली कुचे या कुछ मौहल्ला के दंगे होते थे लेकिन भागलपुर का दंगा जीसे इस साल 30 साल होने जा रहे हैं 3000 से भी ज्यादा मुसलमानों की हत्या कर दी गई है 300 से अधिक गाव के चुन चुन कर मुसलमानों के मकानों,मसजिद तथा रेशमी कपड़े बुनने वाली मशीनरी जलाकर राख कर देने वाली घटनाजिसमे हजारों की संख्या में लोगों को पारम्परिक हथियारों के साथ दंगेमे शामिल देखकर मैने साने गुरुजीने शुरू किये हुये मराठी साप्ताहिकमे साधनामे यह सब विवरण लिखा था और उसमे यह भी लिखा था की भागलपुर दंगेकी तीव्रता देखकर लगता है कि भारतीय राजनिती का आनेवाले 50 साल का केंद्र बिंदु सिर्फ और सिर्फ साम्प्रदायिकता का मुद्दा रहेगा ! भ्रस्टाचार,रोजगार,दलितोके,आदिवासियों के तथा महिलाओं के ऊपर होने वाले अत्याचार,विस्थापन,किसानो के,मजदूरों केहकोके,गैरबरबरि,शिक्षा,आरोग्य,महंगाई, गरीबी,बल्कोकेशोषण,तथा पर्यावरण,ग्लोबलाईजेशन,ग्लोबल वार्मिंग का,बेतरतिब औद्योगिक विकास,जो विनाशकारी मुद्देऔर देशके सभी महत्वपूर्ण मुद्दे दोयम दर्जे के हो सकते हैं !
मैं यह बात 1989 मे याने गुजरातपोग्राम के तेरह साल पहले लिखा हूँ ! देशभरमे घूम घूम कर बोला हूँ पर मुझे दुख है कि ये अपनी बात कहने में सक्षम नहीं रहा ! राष्ट्र सेवा दल 1991 मे अपनी अर्धशतक की तैयारी में जुट गया थाभारत के तत्कालीन राष्ट्रपति कार्यक्रम के मेहमान थे ! उस समय के अध्यक्षजीको मैंने छ पन्नोका पत्र लिखा था कि हमारे संगठन का गठन सम्प्रदायिक शक्तियों का मुकाबला करने के लिए किया गया है भागलपुर दन्गेका हाल देखकर मुझे लगता है कि आनेवाले 50 साल भारतीय राजनीति का केंद्र बिंदु सिर्फ और सिर्फ साम्प्रदायिकता ही रहेगा तो 50 साल के राष्ट्र सेवा दलके सफरके बाद मेरी गुजारिश है कि 2000 साल पहले तक याने कम्सेकम 10 साल का राष्ट्र सेवा दल की आगामी कार्यक्रम का आयोजन सम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ करने का एलान कीजिए यह बात मैंने 190-91के समय लिखी है ! लेकिन मुझे खेद है कि मेरी बात का जवाब तो दूर मुझे मेरे पत्र का एक्नोलेज भी नहीं मिला !
मैं 9 अप्रैल 2017 को उम्रके 65 वें साल मे प्रवेश करने पर अध्यक्ष बना हूँ ! उसके पहले मैं सालभर विश्वस्त रहा हूँ और शायद मैं पहला विश्वस्त होगा जो विश्वस्त पदको त्यागकर अध्यक्ष बना होगा ! और इसकी वजह सिर्फ मेरे सम्प्रदायिक कामके विरोध के लिए एक हथियार के तौरपर राष्ट्र सेवा दलका 75 साल का सन्घटना को सही दिशा में ले जाने की कोशिश करने हेतु काममे लगाने के उद्देश्य से ही मैं अध्यक्ष बनने के लिए तैयार हूआ हूँ !
मेरे विश्वस्त काल के शूरू में ही केरलके युवा साथी जॉर्ज जेक़ब अध्यक्ष बने थे लेकिन छ महीने से भी कम समय में वे अचानक अगस्त 2015 के 10 तारीख को लकवाग्रस्त हो गये ! उसके बाद काफी ईलाज होनेके पस्चात जब विषेश सुधार नहीं हुआ तो 9 अप्रैल 2017 को सर्व सम्मति से मैं अध्यक्ष बनाया गया ! मैं बनाया गया यह शब्द जानबूझ कर इस्तमाल कर रहा हूँ !
अध्यक्ष का कार्यभार सह्माल्नेके तुरंत बाद राष्ट्र सेवा दलके देशभरसे आये सभी साथियों के सामने मैंने सन्घमुक्त भारत की घोषणा करते हुए यह कहा की इस घोषणा को एक भी सदस्य का विरोध होगा तो मैं यह घोषणा वापस लेने के लिये तैयार हूँ पर मुझे खुशी है की सभी साथियों ने एक स्वर में मेरी घोषणा का समर्थन किया ! 9 अप्रैल 2017 से 9 अप्रैल 2019 तक पुरे दो साल में मैंने इस घोषणा को अमलिजामा पहनाने की कोशिश में देश के सभी सेकुलर,सम्तामुलक समाजवादी,विज्ञनाभिमुख समाजका सपना साकार करने के लिए तैयार सभी लोगों से मिलना बातचीत करने की कोशिश की जिसमे सी पी एम,सी पी आई,कॉन्ग्रेस,जनतादल,तृणमूल,और विभिन्न प्रादेशिक दल जिसमे हुरियत मॉडरेट,नैशनल कोंफ्रेंस,तेलगु देशम,बिजू जनता,तेलंगाना कॉंगरस,उत्तरपूर्व केसभी प्रादेशिक पार्टिया,और अकादमिक सर्कल,सर्वसेवा संघ,सर्वोदय तथा अन्य गांधीवादियों से बात की और मुझे खुशी है कि इनमसे एक भी व्यक्ति या संस्था,संगठन नहीं मिला कि जिसनें संघके पर्यायके रुपमे राष्ट्र सेवा दलकि गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मददके लिए तैयारियाँ नहीं जताई !
730 दिन मेसे मै 500 से ज्यादा दिन कम्सेकम 5 लाख किलोमीटर की यात्रा करके आज यह मनोगत लिख रहा हूँ आभि अभि मै कर्नाटक राज्य का दस हजार किलोमीटर से ज्यादा सफ़र करके आ रहा हूँ यह मेरी अध्यक्ष बनने के बाद की सातवी बार कर्नाटक की यात्रा है ! इसीतरह देशभरके लगभग सभी राज्यों में बिहार-झारखंड,बंगाल,उत्तरांचल,उत्तरप्रदेश,मध्यप्रदेश,राजस्थान,जम्मु कश्मिरकी तथा उत्तरपूर्व के सभि राज्यों की यात्रा की उसितरह गुजरात,पंजाब-हरियाणा हिमाचल प्रदेश में और दक्षिण भारत में राष्ट्र सेवा दल क्या है यह समझाने की कोशिश की वैसेही अपने गृहराज्य महाराष्ट्र के सभि विभागों में मुख्यतः विदर्भ,पस्चिम महाराष्ट्र,खानदेश,कोंकण,और मराठवाड़ा मे भी कोशिश की है !
मैंने अध्यक्ष पद सह्माल्नेके बाद कुछ संकल्प कीये थे उसमे मुख्यतः मेरे दो साल के कार्यकाल के दौरान एक लाख सदस्यता करना यह सबसे प्रमुख संकल्प लिया था और मुझे आज खुशी है कि हमारा लक्ष लगभग पूरा हो गया है ! अकेले महाराष्ट्र में आधेसेभी ज्यादा हो गये हैं और बाकी देश के विभिन्न हिस्सों से ! शायद राष्ट्र सेवा दलके इतिहास में पहली बार महाराष्ट्र के अलावा और दूसरे राज्य से अधिकृत रुपसे और राज्य मान्यता प्राप्त राज्य के रूप मे आ रहें हैं और वे संख्या एक से अधिक होने जा रही है !और इस लक्ष तक पहुंचानेके लीये देशभरके सभि सेवा दल के साथियोने बहुमोल मददके सिवा कोई सम्भव नहीं था !
रेलके तृतीय श्रेणी के अनरिझर्व डब्बमे जब हम सफर करते हैं तो किसिभी स्टेशन पर ट्रेन रुकने के बाद नये प्रवासियों को पहलेसे बैठे हुए प्रवासी उह्ने डिब्बमे घुसने पर मना करते हैं पर उह्नेभी आगेका सफर तय करना होता है तो वे विरोध की अनदेखी करके डिब्बमे प्रवेश करते हैं और बादमे विरोध करने वाले प्रवासी उनसे जान पहचान कर के ऊनके साथ अपना खाना पीना शेयर करते हैं और बाद में पता एक्सचेंज करने तक रिस्ता बन जाता है ! अभि फिलहाल हमारे-आपके नये सदस्य बनने के बाद कुछ साथी कुछ बोल लिख रहे हैं मुझे लगता है कि यह उस ट्रेन के डिब्बमे नये प्रवासियों के साथ शुरुमे जो व्यवहार होता हैं वैसा हो रहा है ! मुझे उम्मीद है कि उस डिब्बमे बादमे जो मेलजोल होता है यही हमारे साथियोकाभी व्यवहार होगा,कुछ नये साथी आये हैं और आगे भी आयेंगे तो हमें सेवादलको बढ़ाना है इसलिए थोडा दिल बड़ा करके नये सथियोका स्वागत कीजिए यही मेरी सभि सथियोको प्रार्थना है ! सेवा दल बढ़ाना है ! नई रोशनी लाना है !!
मेरे इस प्रयास मे देश भर के साथियोने मदद की है जिसमें पुराने समाजवादी विचारधारा के साथी,जेपिके आन्दोलन के साथी,छात्र भारती,शिक्षक भारती,समाजवादी अध्यापक सभा,समाजवादी महिला सभा,सर्व शिक्षा अभियान,भारत ज्ञान विज्ञान समिती,तरुण भारत संघ,आदिवासियों आन्दोलनकारियों तथा दलितोके आन्दोलनकारियों ने सबसे सर्वाधिक मदद की सर्व सेवा संघ,विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने जिस मे डॉ अनिल सदगोपाल डॉ राम पुनियानि,डॉ सुनिलम,शबनम हाशमी,कुमार केतकर,भालचंद्र नेमाडे,शरद यादव,अड रवि वर्मा,तुषार गाँधी,ऊनके पीताजी,निता महादेव,कुमार,आप्पसाहेब येर्नाले,बी आर पाटील,अड राम आपटे,शिवाजी कगणीकर,अरविंद दलवाई,अरूण मांझी,मनीषा बनर्जी,घनश्याम,डॉ एम एन कर्ण,उदय,राम शरण,रमेश पन्कज,प्रभाकर,विनोद,मणि माला,सतिश-गिरिजा,विश्वनाथ आजाद,अरविन्दजी,प्रो वसी अहमद,डॉ तन्वीर,हेमंतजी,मेघनाथ,शेखर,कुंदन,चंपारण के सभि साथी,प्रकाश बेतिया,रमण्जी,प्रो अवधेश,प्रो हरि नारायण ठाकुर,जुगल किशोर शास्री,संदीप पांडे,अमरिश मिश्र,कुलदीप नायर,राजेन्द्र सच्चर,समर बागची,मेहर इंजीनियर,राजेन्द्र सिंह,राजेंद्र पोतदार,बी के हरिप्रसाद,देवेगौड़ा,मायकेल फर्नांडीज,प्रो इम्तीयाझ अहमद प्रो के एन पणिक्कर,आशीष नंदी,रामचंद्र गुहा,नन्दिता हक्सर,रोमिला थापर,अरुणा राय,शिव विश्वनाथन, रविन्द्र त्रिपाठी ,अरविंद,अरूण कुमार त्रिपाठी,एम के रैना,नसरूद्दीन शाह,घनश्याम शाह,महादेव विद्रोही,अमरनाथ भाई,कुमार शुभ्मुर्ती,कुमार प्रशांतजी,टी के सोमैयाजी,प्रो मार्क्स,कान्चा इलैया,अरुंधती रॉय,योगेन्द्र यादव,लिंगराज,प्रफुल्ल समान्तरय ,गौतम बन्दोपध्याय , नयनतारा सहगल ,जयसिंहराव पवार,लक्ष्मीकांत देशमुख,एस एम मुश्रिफ,सुरेश खोपडे,न्यायमूर्ति पी बी सावंत,कोल्सेपाटिल,प्रशांत भूषण,अग्निशेखर,प्रबोध जम्वाल,मल्लिकार्जुन खर्गेजी,गुलाम नबी आजाद,मनीषंकर अय्यर,दिग्विजय सिंह,सीताराम येचुरि,डी राजा,झारखंड आन्दोलन के साथी,कर्नाटक रयत संघके श्री बशन्ना,चुन्की नन्जुदस्वमी,सिध्दरमैया,हुसेन दलवाई,प्रो भालचंद्र मुनगेकर,विद्या चह्वण,प्रकाश बाल, प्रो रावसाहब कस्बे,प्रो रंगनाथ पठारे,प्रो भाऊ लोखंड़े प्रो यशवंत मनोहर,दीनानाथ मनोहर,नागेश चौधरी,सुनिल सरदार,अड गडकरी,प्रसादजी,रघुपतीजी,शिवानंद तिवारी,अनिल हेगड़े,एस आर हिरेमठ,प्रो गणेश देवी,अशोक वाजपेयी,विभूति नारायण राय, एस आर दारापुरि ,डॉ जफरूल इस्लाम खान,झहिरुद्दीन खान अख्तर बट्ट,परवेज ऋषी,सैयद किरमानी,राजदिप सर्देसाई,पुण्य प्रसून बाजपेयी,रवीश कुमार,पी साईनाथ ,एन राम ,ए जी नूरानी,फादर जॉन,वाल्टर फर्नांडीज,सु दिप्तो सिंह,कष्ट दीप,जॉन चललदुराई,कविता श्रीवास्तव,कविता कृषणन,तिस्ता सेटलवड,जावेद आनंद,हर्ष मन्दर,विजय महाजन,रणजीत्सीह सुर्जेवला,कप्तान अमरिंदार सिह,कमाल फरुखी,बदरुद्दीन तैयाबजी,असद मदनी,जमिरुद्दीन शाह,आर बी सृकुमर,प्रकाश शाह,अशोक भार्गव,डॉ विकास आमटे,डॉ अभय बंग,डॉ प्रकाश आमटे,भारत पाटनकर,धनाजी गुरव,किशोर धमाले,प्रो रणजीत परदेशी,सुभाष गताडे,अनिल चमडीया,जयशंकर गुप्ता,अनिल सिन्हा,एन डी पंचोली,अमरसिंह,सुभाष भटनागर,प्रो ऋतु प्रिया,प्रो आनद कुमार,प्रो गोपाल गुरु,प्रो कमल मित्र चिनॉय,अनुराधा चिनॉय,प्रो निवेदीता मेनन,इ पी मेनन,विजय मंगलोरु,मजहर हुसेन,प्रो अरिफभाई,अनुप श्रमिक,जागृति रही,फादर आनन्द,धनंजय त्रिपाठीप्रो मंगलम,प्रो शरद जयसवाल ,गुंजन सिह,प्रो योगेन्द्र,प्रो प्रेम प्रभाकर प्रो प्रकाशजी,अरूण दास,अनिल प्रकाश,राम मोहन राय,मंजरी चौधरी,बिदिशा घोष,मंदीरा मुखर्जी,प्रो इमनुअल हक हिम्मत शेठ,सवाईसिह,रामधिरज,प्रो राधावल्लभ मिश्रा,स्वरा भास्कर,नंदिता दास ,शंक घोष,उदय प्रकाश,देवनूर,इ लगभग इस्तरह देशके सभि क्षेत्रों के विचारक,लेखक,कवी,सम्पादक,बुद्धिजीवी और मनीषियों के साथ लगातार विचार-विमर्श करने के बाद जिस तरह से एक किसान अपनी जमीन फसल बोने के पहले तैयार करता है उसी तरह से मैनेभी 500 दिनोसेभी ज्यादा के प्रवासमे यह कोशिश की है ताकि आनेवाले दिनों में जगह जगह राष्ट्र सेवा दल की गतिविधियों को अंजाम दिया जा सकता है और सबसे खुशिकी बात 50 से अधिक नये युवा साथी राष्ट्र सेवा दलको पूर्ण समय देने के लिए तैयार हैं ! सबसे बड़ी बात यह सभि साथी जेपीजी,डॉ राममनोहर लोहिया तथा महात्मा गाँधी,डॉ बाबा साहब आम्बेडकर के विचारोसे प्रतिबध्ध साथी है !
लगता है कि आनेवाले दिनों में भारत के सभी राज्यों में राष्ट्र सेवा दल को इतिहास के क्रममे कभी भी इतनी अनुकूलता नहीं होगी उतनी आज है ! कश्मिरसे लेकर कन्याकुमारी और पूर्व के त्रिपुरा से लेकर पस्चिम के ओखा तक राष्ट्र सेवा दलकि जरुरत महसूस हो रही है मुख्यतः जहा कूछ सम्प्रदाय,कुछ जाती,कुछ भाषा जैसे देशको तोडने की बात करने वाले संगठन के तुलना में सर्व धर्म समभाव,नर नारी सम्तामुलक समाजका सपना पूरा करने के लिए राष्ट्र सेवा दलसे बेहतर संगठन और कोई दूसरा नहीं है वह भी उम्र के 10 साल से बच्चे-बच्चियों के साथ जिसमे जात पात धर्म, भाषा ,प्रांत के भेद भाव नहीं होता है और सिर्फ सच्चा धर्म वही हैं जो समस्त जगत को प्रेम करने का संदेश देने के लिए प्रतिबध्यता दिखाता हो ! और तभी तो हम संघ मुक्त भारत की घोषणा को साकार करने के लिए कामयाबी हासिल करेंगे !
डॉ सुरेश खैरनार,अध्यक्ष राष्ट्र सेवा दल