मध्य प्रदेश के विदिशा के युवा कवि हैं , श्री ब्रज श्रीवास्तव ।वह शिक्षा विभाग में सेवा करते हुए साहित्य सृजन में भी अग्रणी हैं।समकालीन कविता के वह कुशल शिल्पी हैं। मेरे हाथ में उनकी चौथी पुस्तक ज्ञान मुद्रा पब्लिकेशन से प्रकाशित आशा घोष है।जो एक सुंदर कलेवर की आकर्षक पुस्तक है।
इस पुस्तक का सृजन ,तमाम गुमी हुई चीजें प्रथम पुस्तक , द्वितीय पुस्तक घर के भीतर घर तथा तीसरी पुस्तक ऐसे दिन का इंतजार के उपरांत हुआ है , मुझे सभी पुस्तकें पढ़ने का अवसर मिला है ।
ब्रज की साहित्य की यात्रा में कुछ समय से मैं भी सहयात्री हूं । इसलिए मुझे उनकी रचना प्रक्रिया की कुछ जानकारी है।
हाल ही में प्रकाशित आशा घोष छियत्तर कविताओं से सुसज्जित गुलदस्ता है इसमें जीवन के हर पहलू को समाज और देश के हर पहलू को छूकर मुखर हो रही छोटी बड़ी कविताएं हैं । परिवार और समाज की तमाम छोटी-बड़ी अनछुई बातों को इस संग्रह में ब्रज ने बखूबी उकेरा है।
“बगीचे में वृद्ध एक अद्भुत कविता है जिसमें महानगर में वृद्धों की मनोदशा का चित्रण किया गया है, ।इसी तरह मिट्टी का ज़माना, बचपन में किसान ,आशा घोष, कवियों के महत्व को बतलाती रचना कवि को चुना , बहनों को समर्पित डोरेका दिन, मां के दिल की बात कहती हुई कविता मां का मोबाइल , बेटी की विदा के बाद , गर्दन, चिड़िया, वृक्ष से बातचीत, प्रार्थना , ऐसीे ही सभी रचनाएं अपने शिल्प से बिम्बों के अनूठे प्रयोग से कवि के हृदय की तरंगों से बन कर पाठकों के मन और मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं । कहा जा सकता है कि कविताएँ मार्मिक हैं।
ब्रज श्रीवास्तव जी को आशा घोष के लिए बहुत-बहुत बधाइयां और उनके अगले कविता संग्रह के लिए शुभकामनाएँ।हम प्रतीक्षारत हैं उनका आगामी प्रकाशन देखने के लिए।
अविनाश कुमार तिवारी
रिटायर्ड ज्वाइंट कलेक्टर विदिशा