बिहार की जेलों को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर यह धारणा है कि यहां कैदियों को न्यूनतम सुविधा मिलती है. कैदियों को भेड़-बकरियों की तरह ठूंस-ठूंस कर रखा जाता है. इतना ही नहीं, कैदियों के कद यानी उसके रसूख के हिसाब से जेलों में सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं. वहीं बक्सर जिला में एक जेल ऐसा भी है, जहां कैदियों को ना सिर्फ पूरी सुविधाएं दी जाती हैं, बल्कि पर्व-त्योहार में उन्हें अपने परिवार के साथ छुटि्टयां मनाने का अवसर भी दिया जाता है.
इसके अलावा, जेल प्रशासन कैदियों को जेल से बाहर मजदूरी या अन्य कोई काम करने का अवसर भी देता है. कह सकते हैं कि बक्सर केंद्रीय कारा एकमात्र ऐसा जेल है, जहां कैदियों के मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखकर उनके साथ व्यवहार किया जाता है. सजा पूरी होने के पूर्व उन्हें परिजनों के साथ समय बिताने और अपनी गलती सुधारकर समाज की मुख्यधारा में वापस लौटने के अवसर दिए जाते हैं.
बक्सर केंद्रीय कारागार में ही बनाया गया है, एक ओपन जेल. यह अपने आप में अनूठा है और बाहरी लोगों के लिए बिल्कुल ही अविश्वसनीय. पिछले साल की दिवाली तो यहां के कैदियों के लिए यादगार रही, वहीं इस बार की होली भी एक अनुपम उपहार लेकर आई. जेल में वर्षों से कैद कई मुजरिमों को अपने परिवार के साथ होली-दिवाली की खुशियां बांटने का अवसर मिला. बक्सर के केंद्रीय कारा में ही बने एक विशेष सेल को ओपेन जेल का नाम दिया गया है.
जेनरल सेक्शन से ओपेन जेल में जाने की भी कुछ अर्हताएं हैं. यहां कैदियों का अच्छा व्यवहार, दूसरे लोगों व कैदियों के साथ प्रेमपूर्वक बर्ताव और समाज की मुख्यधारा से जुड़ने की प्रतिबद्धता दिखाना अनिवार्य है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस जेल में वैसे ही कैदियों की इंट्री होती है, जो अपनी आधी सजा मुख्य जेल में काट चुके हों. इन नियमों के बाद ही कैदियों को ओपेन जेल में रहने की सुविधा मिलती है.
समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए इन कैदियों को जेल में ही परिवार के साथ रहने और पर्व-त्योहारों में उनके साथ समय गुजारने के लिए फ्लैट तक मुहैया कराया जाता है. इस बार इसमें रहने के लिए 87 कैदियों को चुना गया है. बिहार के इस अनूठे जेल के दीदार के लिए कई विदेशी डेलीगेट्स भी यहां आ चुके हैं.
ब्रुनेई में एशियन पैसिफिक करेक्शन एडमिनिस्ट्रेटिव कॉन्फ्रेंस में बिहार के जेल आईजी आनंद किशोर ने ओपेन जेल और इसकी सकारात्मक सफलता के बारे में पूरी दुनिया को बताया. इसके बाद कई देशों के विशेषज्ञों ने इस जेल के भ्रमण की इच्छा जताई और अपने देश में भी इसे अमल करने की मंशा जाहिर की.
बक्सर केंद्रीय कारागार स्वतंत्रता संग्राम से लेकर लोहिया के नेतृत्व में कांग्रेस हटाओ देश बचाओ आंदोलन और जेपी आंदोलन का भी मूक गवाह रह चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विशेष पहल के तहत कैदियों को इस जेल में सुविधाएं मिल रही हैं. 23 मई 2012 को मुख्यमंत्री ने बक्सर केंद्रीय कारा में ओपेन जेल का उद्घाटन किया था.
ओपेन जेल की कुछ विशेषताएं इसे अन्य जेलों से अलग करती हैं. आम तौर पर जेल के चहारदिवारी की ऊंचाई 15-18 फुट होती है, लेकिन ओपेन जेल की चहारदिवारी महज 4 फुट रखी गई है. ओपेन जेल के करीब 52 कैदी मनरेगा के तहत बाहर जाकर मजदूरी करते हैं और शाम होते ही सेल में लौट आते हैं. इन्हें भी अन्य मजदूरों की भांति 220 रुपए रोजाना मिलते हैं. इस जेल में बंद कई कैदियों से बात करने पर पता चलता है कि वे इस व्यवस्था से कितने खुश हैं.
अब उनके लिए त्योहार खुशियों की सौगात लेकर आती है, जब वे अपने परिजनों से मिलते हैं. इस साल जेल के लिए चुने गये 87 कैदियों में से कई ऐसे हैं, जो वर्षों से अपने परिजनों-रिश्तेदारों से नहीं मिले थे. यह इन कैदियों के लिए किसी ऐतिहासिक पल से कम नहीं था.
बिहार के अन्य जेलों में बंद कैदी भी सरकार की इस पहल की खूब सराहना करते हैं. चाहे वह रोहतास का कैदी बाल मुकुंद हो या गोपालगंज का साबिर अंसारी या फिर गया का अफसर खान. साबिर अली का 10 साल का पोता अपने जन्म के बाद पहली बार जेल में ही अपने दादा से मिला. वहीं मधुबनी की पिंकी अपने मौसा-मौसी के साथ पिछली बार एकसाथ दिवाली मना सकी. उसने कई साल से अपने किसी परिचित का मुंह तक नहीं देखा था.
हजारीबाग केंद्रीय कारा और कोलकाता केंद्रीय कारा के अधिकारी भी ओपेन जेल का भ्रमण कर चुके हैं. वे इस तरह की पहल देश के अन्य जेलों में भी लागू करने की वकालत कर रहे हैं. ओपन जेल के प्रभारी काराधीक्षक राजेश कुमार ने कहा कि ओपन जेल कैदियों के भरोसे और विश्वास के आधार पर ही उन्हें बेहतर मानवीय सुविधाएं देने के प्रयास में जुटा है. यह पहल कैदियों के प्रति मानवीय मूल्यों एवं समाज की मुख्यधारा में वापस लौटने की उनकी प्रेरणा को राह देता है.