आज के भास्कर नाम के हिंदी अखबार में, न्यूज ब्रीफिंग में, छोटी सी खबर है ! कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने, पिछले दस सालों में, विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रगति पर लोगों की राय मांगी है ! पिछले महीने नमोएप पर सर्वे शुरू हुआ है ! इसमें सरकार और सांसदो के बारे में भी राय मांगी गई है ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “देश की प्रगति के बारे में जो सोचते हैं ! वह अपनी राय नमोएप पर जन – मन सर्वे से, सिधे साझा करे !” तो मुझे लगा कि, क्यों न मै भी, होश आया तबसे, मेरे देश की प्रगति के ही बारे में सतत सोचने वाला एक सामान्य कार्यकर्ता हूँ ! तो प्रधानमंत्री को इसके पहले दर्जनों बार खुले पत्र भेजा हूँ ! तो आज उनकी नमोएप पर जाने की संभावना को आजमाने के पहले, यह खुला पत्र लिखा जाए !

क्योंकि उन्होंने दस सालों से हमारे देश के मिडिया की जो हालात बना कर रख दी है ! वह भी बगैर आपातकाल की घोषणा किए ! और बगैर सेंसरशिप की घोषणा किए ! मतलब इंदिरा गाँधी ने जो गलतियां, डर – डर कर की थी ! वह नरेंद्र मोदीजी खुलकर, और डंके की चोट पर, कर रहे हैं ! मिडिया संस्थाओं को घुटनों के बल, चलने पर मजबूर करने से ज्यादा सही शब्द क्रॉलिंग कर रहा है ! (मतलब कोहनी के बल पर चल रहा है !)
वैसे ही ईडी, आई बी, सीबीआई, एन सी एल टी, सेबी, इंकमटैक्स, प्रेस कौन्सिल, एडिटर्स गिल्ड, चुनाव आयोग, न्यायालय, और संसद जैसे सर्वोच्च संस्थान, भारत की आजादी के पचहत्तर सालों के बाद, पूरी तरह से वर्तमान सरकार के मर्जी के खिलाफ, कोई हूँ कि चू भी नहीं कर सकते ! ऐसी स्थिति बनाकर रख दी है ! और उसे जो पसंद है! वहीं करने के लिए, सभी संस्थाओं को मजबूर कर दिया है !
सबसे हैरानी की बात, यह सब जनतंत्र का नकाब पहन कर जारी है ! और सभी संस्थाओं को पूंजीपति वर्ग के लिए इस्तेमाल करने की शुरुआत तो पहले से ही चली आ रही है ! लेकिन अभी जिस तरह से खुलेआम जारी है ! उसके एक ताजा उदाहरण के लिए ! आज मैं नमोएप के बहाने यह लिख रहा हूँ !
नरेंद्र मोदी की सरकारने आठ साल पहले, दिवालिया कंपनीयो को लेकर नया संशोधन करने से लगा था ! कि इन दिवालिया कंपनियों ने हमारे देश के सरकारी बैंकों से जो कर्जा लिया हुआ है ! उसे वसुलने के लिए ,जो हमारे जैसे सामान्य लोगों के, छोटे-छोटे फिक्स डिपॉजिट के, बैंकों में जमा पूंजी निवेश से ही निकाल कर, दिया गया कर्जा वसुली करने के लिए, इन कंपनियों की संपत्ति की निलामी कर के ! पैसे वसूल करने के लिए ही ! यह नया संशोधन किया गया है !
और उसे हमारे देश के मिडिया संस्थाओं में काफी सराहा गया था ! लेकिन आठ साल के दौरान, किसी भी कंपनी के उपर कारवाई के नाम पर, उन्हें किस तरह से सरकार मदद कर रही है ! इसका ताजा उदाहरण कलपरसोही समाप्त हुआ 2023 के अंतिम महिने के , दिसंबर की ख्रिसमस की छुट्टियों में, 19-22 दिसंबर को, हमारे देश के, नॅशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल ने ( एन सी एल टी ) जिसमें हमारे देश के वरिष्ठतम न्यायलयीन अनुभवी लोग शामिल होते हैं !


इस एनसीएलटी के पास मशहूर उद्योग घरानों में से एक ! अंबानी घराने के कनिष्ठ पुत्र अनिल अंबानी की, ‘रिलायंस कम्यूनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी’ के, सैतालिस हजार दो सौ इक्क्यावन करोड़ रुपये की ( 47, 251) दिवालिया कंपनी को ! बडे भाईसाहब मुकेश अंबानी की कंपनी, ‘रिलायंस प्रोजेक्ट एंड प्रॉपर्टी मॅनेजमेंट’ ने ! 455 करोड़ रुपये में लेने की पेशकश की ! और एनसीएलटी ने हरी झंडी दे दी !
जिसमें सरकारी बैंकों के गिनकर 46,500 से अधिक रुपए का कर्जा के पैसौ पर, पानी छोड़कर, यह फैसला किया गया है ! और सबसे हैरानी की बात, साधारण आदमी अपनी घरेलू जरूरतों के लिए, बैंक से कर्ज लेने के बाद, उससे कर्ज को चुकाने के लिए एक दो हप्ता देने की देरी होने से, यही बैंक के अधिकारी किस तरह से अपमानित करने का व्यवहार करते हैं ! यह हमारे सभी कर्ज लिये हुए, सभी कर्जदाताओं को बहुत अच्छी तरह से मालूम है ! और कुछ ने तो उस अपमान से तंग आकर, आत्महत्या करने के भी उदाहरण मौजूद हैं !
और बडे-बडे औद्योगिक घरानों के लोगों द्वारा, हजारों करोड़ के कर्ज, सरकारी बैंकों से लेकर उनके साथ कभी भी बैंकों ने वसूली के लिए, कोई कार्रवाई करने का प्रयास किया है क्या ? क्यों कि वह पैसे हमारे देश के लोगों के करदाताओं के, और बैंकों में अपने भविष्य के लिए छोटे – मोटे सेविंग्स में, पैसे जमा करने वालों लोगों की जमा पूंजी निवेश का ही पैसा है !
जो इस तरह पूंजीपतियों के गोरखधंधो में, बर्बाद करने के बावजूद! भारत के किसी भी सरकारों ने अभितक कोई सख्त कार्रवाई की है ! ऐसा एक भी उदाहरण मुझे मालूम नहीं है ! अनिल अंबानी और मुकेश अंबानी के बीच में यह जो दस बारह दिनों पहले का व्यवहार किया गया है ! इसमें एक रुपये की भी, वसूली करने की कोशिश न करने की वजह क्या हो सकती है ? जो कि अनिल अंबानी की रिलायंस कम्यूनिकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी ने, जो स्पेक्ट्रम आवंटन अपने कंपनी के लिए लिये थे ! उन्हें तो सरकार कब्जा कराकर बेच सकती थी ! और कुछ पैसे उसमे से वसूली करते हुए , और कुछ उसकी प्रॉपर्टी को जब्त करके, कुछ पैसे वसूल कर सकते थे ! और अन्य प्रॉपर्टीयो को भी नही छूते हूए ! आसानी से बडे भाईसाहब, मुकेश अंबानी की कंपनी को, सिर्फ 455 करोड़ रुपये में ! जैसा फुटपाथ पर कोई बिक्रेता सौ रुपये की वस्तुओं को एक रुपये में बेचने के जैसा लगता है !
हमारे देश की वर्तमान सरकारने आठ साल पहले, दिवालिया कंपनीयो के लिए, कौन सा नया तरीका इजाद किया है ? कि आठ साल के भीतर एक भी कंपनी से पैसे वसूल न करना ! और सरकारी बैंकों के, हजारों करोड़ रुपयों पर पानी छोडना, कहा तक देश की प्रगति के लिए लाभदायक है ? जो बैंक, आम आदमियों के फिक्स डिपॉजिट्स के ब्याज दरों को दिन-प्रतिदिन कम करते जा रहे हैं ! और इधर सभी धन्नासेठों के हजारों करोड़ रुपए का बैंक से लिया हुआ कर्जा माफ करने की कृति, कहा तक देश की प्रगति के लिए उपयुक्त है ?


विश्व के विकसित देशों में ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है ! एनरॉन कंपनी तत्कालीन अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश के परिवार से संबंधित होने के बावजूद ! अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर ने एनरॉन कंपनी से अपने दिये गये पैसे, किस तरह से वसूल कीए है ! यह उदाहरण के लिए एक पर्याप्त है ! लेकिन हमारे जैसे गरीब देश के, साधारण लोगों के, मेहनत के पैसौ से दिया गया कर्ज के पैसों को ! पूंजीपतियों के लिए, इस तरह उडाना ? कौन से अर्थतंत्र का तरीका है ? और इससे देश की प्रगति कैसे होगी ?
ट्रिब्यूनल ने पचास हजार करोड़ रुपये जो सरकारी बैंकों से कर्ज के नाम पर ली गई, इतनी बड़ी रकम ! और उस पैसे को एक मिनट में व्यारा – न्यारा करने का फैसला ! किस आधार पर लिया गया है ? और ऐसे ही फैसले अन्य कंपनियों के लिए लेने की क्या आवश्यकता थी ? इससे हमारे देश के सरकारी बैंकों को दिवालिया होने के लिए मजबूर किया जा रहा है ! वह किसलिए ? क्या इस तरह से हमारा देश और तेज गति से, प्रगति की राह पर चलेगा या डुबेगा ?


सुना है, कि विदेश में जाकर रह रहे, कुछ भगोड़े कर्जदार लोगों के, नाम लेने से राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता तक चली गई थी ! उनसे लेकर, और अन्य धन्नासेठों की भारत में लाखों – करोड़ों रुपए की संपत्ति, कल-कारखानो से लेकर उंचे – उंचे टॉवरों की इमारतों के मालिक रहते हुए ! उन्होंने लिए हुए बैंकों के पैसे क्यों नहीं वसूले जा रहे ? मै अर्थशास्त्र का विद्यार्थी नही हूँ ! एक सर्वसामान्य आदमियों में से ही एक हूँ ! और उसी हिसाब से, मैंने कुछ दिनों पहले के मराठी अखबार लोकसत्ता के संपादकीय में ! अनिल अंबानी और मुकेश अंबानी के भीतर रिलायंस कम्यूनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी, अपने छोटे भाई अनिल अंबानी की 47, 251 करोड़ रुपए का घाटे में चल रही कंपनी को ! मुकेश अंबानी की कंपनी ” रिलायंस प्रोजेक्ट एंड प्रॉपर्टी मॅनेजमेंट” ने सिर्फ 455 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए पेशकश की थी ! और हमारे देश के, नॅशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ( एन सी एल टी ) ने ख्रिसमस के छुट्टियों के दौरान, 19 दिसंबर 2023 के दिन सुनवाई हुई ! और अंतीम आदेश तीन दिन बाद, 22 दिसंबर को फैसला सुनाया गया ! जिसमें सरकारी बैंकों के 46,500 करोड़ रुपये की राशि का क्या हुआ ? जो हमारे आपके जैसे करदाताओं के पैसे, और बैंकों में अपने बमुश्किल से, बचत के लिए किया गया, छोटी- मोटी रकम के फिक्स डिपॉजिट, जिनके उपर दिन-प्रतिदिन कम करते जा रहे ब्याज दरों के बावजूद ! लोगों के मेहनत की गाढी कमाई, इस तरह से हजारों करोड़ रुपये की राशि पर पानी छोड़कर ! भारत जैसे गरीब देश की आर्थिक स्थिति के रहते हुए ! हमारे देश की प्रगति कैसे होगी ? यह बताने का कष्ट नमोएप पर, जन – मन सर्वे से सिधे साझा करते हुए ! माननीय प्रधानमंत्री जी बताने का कष्ट करेंगे ?
अनिल अंबानी की कंपनी घाटे में जाने से, नहीं अनिल अंबानी के घर में, कोई रहनसहन से लेकर, उनकी रोजमर्रे के जीवन में, कोई भी फर्क नही हुआ होगा ! उसकी अन्य कंपनियां भी आराम से चल रही होगी ! और यह 47,251 करोड़ रुपए का घाटा ! जिसमें गिनकर 46,500 से भी अधिक पैसे हमारे सरकारी बैंकों से लिया गया कर्ज का पैसा लिया होने के बावजूद ! मुकेश अंबानी को सिर्फ 455 करोड़ रुपए में देने का फैसला लिया गया है ! मतलब हमारे देश के औद्योगिक और आर्थिक जगत में चल रहा गोरखधंधा, देख कर मेरे जैसे साधारण नागरिक को, बहुत ही साधारण सवाल मन में आ रहा है ! “कि क्या यही हमारे देश की प्रगति की राह है ?”


हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्री ने, प्रधानमंत्री बनने के पहले, चुनाव प्रचार के भाषणों में घोषित किया था ! कि “मैं न खाऊँगा और न ही किसी को भी खाने दुंगा ! ” पिछले दस सालों से आपके काम का जायजा लेने से तो यही दिखाई दे रहा है, कि सिर्फ विरोधी दलों के नेताओं के घरों पर ईडी तथा सीबीआई के द्वारा छापामारी डालने के बावजूद ! और उस व्यक्ति के पास हजारों करोड़ की अवैध रूप से जमा संपत्ति के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया ! और बाद में उन्होंने आपके दल में प्रवेश किया ! या आपके दल के साथ मिलकर सत्ता में बंदरबांट किया ! तो उसके सभी मामलों को अनदेखा किया जा रहा है ! क्या यह भी अपने देश की प्रगति के लिए ही चल रहा है ? दलबदल के कानून के रहते हुए!
और आपके अपने दल में जैसे, साक्षात श्री राम के वंशज ही शामिल हैं ! जो नहीं कभी झुठ बोलते हैं ! और नही कोई भ्रष्टाचार में लिप्त है ! सभी लोग दुध के धुले हुए हैं ! क्योंकि दस सालों के ईडी या किसी अन्य एजेंसियों के द्वारा की गई कार्रवाइयों को देखते हुए यही लग रहा है ! कि भाजपा में शामिल कोई भी व्यक्ति भ्रष्टाचारी नही है ! जबकि इनके जीवन शैली, तथा उनके घरों में होने वाले, शादी ब्याह के समय होनेवाले खर्चीले कार्यक्रम को देखकर लगता है ! कि इतना बड़ा आयोजन करने के लिए इनके पास इतना पैसा कहां से आया होगा ? और इनमें से कुछ लोगों के नाम पर एक – एक स्कैंडल के रहते हुए !
आज के अखबारों में प्रकाशित किया गया है ! कि उन्होंने पिछले महीने से ही एक ‘नमो एप:’ पर एक सर्वे शुरू कर दिया है कि ” जिसमें सरकार और सांसदों के बारे में राय मांगी गई है ! नरेंद्र मोदीजी ने कहा कि देश की प्रगति के बारे जो सोचते हैं ! वह लोग अपने हिसाब से मुल्यांकन करे ! जो दस सालों के भीतर, उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद ! विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रगति के बारे में, ‘नमोएप’ पर राय मांगी है ! मुझे तो उस एप तक पहुंचने की संभावना बहुत कम दिखाई दे रही है !
क्योंकि उनका ट्रॅक रेकॉर्ड को देखते हुए! इन सब एप्स के बारे में, अपनी खुद की छवि बनाने के अलावा और कुछ भी नहीं है ! क्योंकि उन्हें अपनी रत्तीभर की भी आलोचना बर्दाश्त करने की आदत नहीं है !


इसलिए गुजरात दंगों के बाद, अपनी छवि को सुधारने के लिए ! 2007 में, एक थाईलैंड की सोशल मीडिया की प्रायवेट कंपनी को, सब से पहले किराये पर लेकर ! अपनी छवि को हुए नुकसान के जगह पर, 56 इंची छाती से लेकर, ‘हिंदूहृदयसम्राट’ के साथ ही, चाय बेचने वाले से लेकर, मै पिछडी जाती से हूँ ! जैसी बातें फैलाने के लिए अपनी सैफ्रोन डिजिटल आर्मी खड़े करने की शुरुआत की थी ! जो आज लाखों की संख्या में चौबीस घंटे लगी हुई है ! और नमोएप पर, सांसदों के बारे में बताने की बात, सिधे-सिधे विरोधी दलों के सदस्यों के चरित्रहरन करने की कोशिश पहले ही सेफ्रोन डिजिटल आर्मी के द्वारा चौबीस घंटे बदनामी की मुहिम शुरू है ! स्वाति चतुर्वेदी ने अपने ‘आइ एम ए ट्रोल’ शिर्षक की किताब में इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला है ! और इन में से कुछ चुनिंदा ट्रोलर्स जो विरोधियों के खिलाफ बहुत ही आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं ! उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी खुद फॉलो करते हैं ! और सबसे आश्चर्यजनक बात, अपने सरकारी आवास पर बुलाकर उन्हें सम्मानित करते हैं ! स्वाति चतुर्वेदी ने अपने किताब में, प्रमाण के लिए फोटो भी दिए हैं !
शतप्रतिशत नमोएप के द्वारा यही सेफ्रोन डिजिटल आर्मि, जो शुरू में कुछ हजार की संख्या में थी ! अब लाखों की संख्या में हैं ! और बारह महीनों चौबीसों घंटों, सिर्फ सरकार की गलतियों पर लिखने – बोलने वाले लोगों को, ट्रोलिंग करना ! उनके व्यक्तिगत जीवन में घुसकर उनकी मां, बहन से लेकर पत्नी, बेटी को लेकर, बहुत ही अश्लील भाषा में धमकी देने से लेकर, उन्हें बदनाम करने की कोशिश करते हैं ! संघ अपने आप को सांस्कृतिक संगठन बोलता है ! लेकिन स्वाति चतुर्वेदी के आइ एम ए ट्रोल पढ़ने के बाद इन सभी स्वयंसेवकों की सांस्कृतिक पहचान देखकर लगता है ! कि अगर यही इनकी संस्कृति है ! तो हे राम हमें ऐसे सांस्कृतिक संगठन से बचाओ !

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