सविता वाजपेयी मध्यप्रदेश की पूर्व मंत्री तथा समाजवादी विचारधारा की प्रतिबद्ध विदूषि का 26 दिसंबर 2024 को प्रातःकाल 4 बजे निधन हो गया है ! भावपूर्ण श्रद्धांजली
उत्तर भारत में सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी अन्य प्रदेशों की तुलना में कम ही रही है ! जिसका मुख्य कारण सामंतवाद की मानसिकता ! जिस तरह से बंगाल महाराष्ट्र तथा दक्षिणी प्रदेशों में सामाजिक सुधार के आंदोलनों की शेकडो सालों की परंपरा होने की वजह से महिलाओं की शिक्षा से लेकर उनके सार्वजनिक जीवन में भागीदारी भारत के अन्य क्षेत्रों की तूलना में संपूर्ण उत्तर भारत काफी पिछे चल रहा है !
लेकिन मंडला के एडवोकेट वाजपेयी इस बारे में अपवाद थे ! उन्होंने स्वतंत्रता के बाद अपनी बेटियों को पढाया, यहां तक कि मंडला के बाद तत्कालीन मध्य प्रांत की राजधानी नागपुर में तक अपनी बेटी सविता को भेजा था ! सविताजी नागपुर के छात्रावास में रहकर पढ़ाई पूरी की है ! एम ए तथा एलएलएम तक पढी थी ! लेकिन पिताजी भी समाजवादी आंदोलन से जुड़े होने की वजह से सविताजी भी पढ़ाई के बाद समाजवादी पार्टी की कार्यकर्ता रही ! प्रजा समाजवादी पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई की सचिव रही है ! दीदी के जीवन पर महात्मा गांधी, आचार्य विनोबा भावे तथा जयप्रकाश नारायण का काफी प्रभाव था ! इसलिए वह कुछ समय आचार्य विनोबा भावे के सत्तर के दशक के शुरुआती दौर में भूदान आंदोलन में भी शामिल रही है ! और 1974 – 75 के जयप्रकाश आंदोलन में भी मध्यप्रदेश में शामिल थी ! इसी वजह से उन्हें आपातकाल की घोषणा के बाद जेल में बंद कर दिया था !
शादी मशहूर हिंदी अखबार नवभारत ग्रुप के अंग्रेजी अखबार एम पी क्रॉनिकल में वरिष्ठ पत्रकार बालमुकुंद भारती से हुई ! तो मंडला से भोपाल में आना पड़ा ! लेकिन पत्रकार बालमुकुंद भारतीजी भी सविताजी को प्रजा समाजवादी पार्टी के काम के लिए रोकना तो दूर की बात है ! उल्टा हमेशा ही उनका सहयोग रहा है ! यह बात भी मध्यप्रदेश जैसे प्रदेश में अपवादात्मक बात रही है ! और भारतीजीकी खासियत है कि उन्होंने नही कभी अपने आप को समाजवादी या स्रिमुक्ति के पक्षधर होने का दावा किया ?
उन्होंने अपनी जिवन संगिनी के सार्वजनिक क्षेत्र की रुचि को देखते हुए, खुद-ब-खुद अपने पत्रकारिता के व्यवसाय के साथ घर के आवश्यक कामों को भी बहुत ही सहजता से करते हुए हुए मैंने अपने आंखों से देखा है ! सविताजी के राजनीतिक जीवन में इतना प्यारा-सा सहयोग मुझे तो बहुत ही अच्छा लगता था ! और भाईसाहब की भूमिका दीदी के तुलना में कम – या – अधिक नहीं लगी ! ऐसा लगता था कि दोनों एक-दूजे के लिए ही है ! हालांकि दोनों बेटियों के ( डॉ. श्रध्दा और निष्ठा ) आजसे साठ साल पहले दीदी और भाईसाहब को कभी भी लड़की या लडके के जार्गन में फंसे हुए नही देखा ! बहुत ही बढ़िया ढंग से दोनो बेटियों के लालन-पालन तथा शिक्षा करते हुए देखा हूँ ! बड़ी बेटी श्रध्दा भोपाल के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज से गायनॅकॉलॉजिस्ट की पढ़ाई के बाद हमीदिया अस्पताल में अपनी ड्यूटी निभाई है ! और छोटी बेटी निष्ठा न्यूट्रिशन में पढ़ाई करने के बाद विवाह की वजह से जबलपुर में रह रही हैं !
उत्तर भारत जिसे काऊ बेल्ट भी बोला जाता है ! और भले ही महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना ( 1925 ) हुईं हैं ! लेकिन वह फलाफुला इस काऊबेल्ट में ! राममंदिर आंदोलन को ज्यादा से ज्यादा सफलता इसी क्षेत्र में मिली है ! इस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सांप्रदायिक ध्रुविकरण को देखते हुए ! महाराष्ट्र के पुणे में समाजवादी नेता एस एम जोशी, एन जी गोरे तथा शिरुभाऊ लिमये, भाऊसाहेब रानडे, रावसाहेब पटवर्धन तथा अण्णासाहेब सहस्रबुद्धे ने मिल कर 1941 में राष्ट्र सेवा दल की स्थापना की है ! हालांकि यह संगठन भारत के अन्य क्षेत्रों की तुलना में महाराष्ट्र में ज्यादा सक्रिय हैं !
लेकिन महाराष्ट्र के बाहर मुख्य रूप से समाजवादी नेता श्री सुरेंद्र मोहन ने राष्ट्र सेवा दल के महत्व को बहुत ही अच्छी तरह से समझा हुआ था ! और उन्हीं की प्रेरणा से मध्य प्रदेश में जमुना प्रसाद शास्त्रीजी तथा सविता वाजपेयी ने अस्सी के दशक की शुरुआत में ही राष्ट्र सेवा दल की गतिविधियों को शुरू करने के लिए शुरुआत की थी ! उन्होंने मेरे सहयोग से भोपाल के रविंद्र सदन के प्रांगण में शाखा की शुरुआत की ! जिसमें उनकी दस – बारह वर्ष की श्रध्दा और निष्ठा यह दोनों बेटियों को भी इस गतिविधि में शामिल किया ! और भोपाल के प्रोफेसर कॉलनी के 40 – 50 लडके तथा लडकियां इस शाखा में शामिल होते थे ! उस समय सविताजी चालिस के आसपास की उम्र की रही होगी ! खुद भी सेवादल के मैदानी कार्यक्रमों में शामिल होती थी ! बादमें आपातकाल की घोषणा के बाद जेल में बंद होना पडा और आपातकाल के बाद हुए चुनाव में सिहोर से विधायक बनी थी ! और जनता पार्टी की सरकार में मंत्री भी रही है ! लेकिन मंत्री बनने के बावजूद नही उन्होंने अपने घर को बदला और न ही मंत्री के तामझाम के झंझटों में पडी ! इस वजह से बाद का जीवन भी बहुत सहजता से जी है ! अन्यथा एक बार मंत्री बनने का चस्का लगने के बाद बहुत लोग आगे के जीवन में वीआईपी सिंड्रोम के शिकार हो जाते हैं ! इस वजह से बहुत ही असहज महसूस करते रहते हैं ! क्योंकि सामान्य जीवन जीने की आदत जो बिगड जाती है !
मेरी कॉलेज के दिनों की (1969-75 ) सभी छुट्टियां भोपाल में उनके घर पर रहकर राष्ट्र सेवा दल के कामों में व्यतीत हुई है ! सविताजी खुद हिंदी में एम ए और कानून में एल एल एम तक पढी थी ! इसकारण उनके पास किताबों के संग्रहालय में जयशंकर प्रसाद , अमृतलाल नागर, विष्णु प्रभाकर, धर्मवीर भारती, अज्ञेय, मोहन राकेश, राही मासुम रजा, महादेवी वर्मा, सुमित्रा नंदन पंत, इलाचंद्र जोशी, यशपाल, रघुवीर सहाय, फणीश्वरनाथ रेणु, बेनिपूरी, श्रीलाल शुक्ल तथा बंगला भाषा के मुर्धन्य साहित्यकार रविंद्रनाथ टागौर, विमल मित्र, शरतचंद्र चॅटर्जी, ताराशंकर बंदोपाध्याय जैसे लेखक कवियों की हिंदी किताबों का अध्ययन करने का मौका मुझे उनके घर पर मिला है ! सविताजी तथा भाईसाहब ने मुझे बेतहाशा स्नेह दिया है ! मैं एक किसान परिवार से हूँ ! इसलिए मध्य वर्ग के जीवन को इतना नजदीक से और मेरे उम्र के पंद्रहवे दौर के दौरान मुझे वर्गसंक्रमण के सुखद अनुभव से गुजरने का मौका मिला है ! बहुत संभावना है कि मुझसे कोई गलतीयां भी हुई होगी ! लेकिन मुझे एकबारगी भी भाईसाहब या दीदी ने एहसास नहीं होने दिया ! मै इस घर का सदस्य जैसे ही अनुभव पाया हूँ !
1980 में भाजपा ने जनता पार्टी की टूट के बाद अपनी नई पारी की शुरुआत की थी ! और काऊबेल्ट में हिंदुत्ववादीयो का भारी पलड़ा देखकर लोहियावादी सुषमा स्वराज, अरिफ बेग, और जीवन के अंतिम सफर में कुजात समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नाडिस ने तक अपनी निष्ठा भाजपा के साथ अर्पित कर दी थी ! लेकिन सविता वाजपेयी के घर में खुद जाकर कुशाभाऊ ठाकरे, कैलास जोशी जैसे मध्य प्रदेश के भाजपा के वरिष्ठ नेताओं उन्हें भाजपा में शामिल होने का आग्रह किया है ! लेकिन सविता दीदी ने विनम्रता से कहा कि मैं अपने विचारों के साथ सौदा नहीं कर सकती ! अन्यथा दीदी अपने जीवन के अंतिम समय तक सत्ता का सुख का अनुभव किया होता डॉ. राममनोहर लोहिया की भाषा में कुजात समाजवादियों में दीदी बचपन से ही शामिल रही होने की वजह से बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद भोपाल के रास्ते पर निकालें गए जुलूस में सबसे मुखर आवाज में बाबरी मस्जिद विध्वंस के खिलाफ नारे दिए हैं !
ऐसी प्रतिबध्द दीदी की स्मृति को विनम्र अभिवादन और भाईसाहब को अपने सहजीवन की साथीन चले जाने के बाद जिंदगी का बचा हुआ सफर चलने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ! एकला चलो रे – एकला !