मेरे पचास साल से भी अधिक समय के मित्र ! डॉ. राम पुनीयानी को आज इस दुनिया में आनेके, सतहत्तर साल हो रहे हैं ! मतलब राम गव्हरमेंट मेडिकल कॉलेज, नागपुर में रजिस्ट्रार रहा है ! 19 72-73 के समय, वह और डॉ. वैद्य तथा अन्य मित्र मिलकर, सिताबर्डि के मातृसेवा संघ के ब्लड बैंक के कमरे में, स्पार्क सोशलिस्ट फोरम चलाते थे ! तबसे हमारा बीच परिचय है ! क्योंकि हम भी हमारे अमरावती मेडिकल कॉलेज में राष्ट्र सेवा दल के नाम से, आभ्यास मंडल चलाते थे ! उसकी मुख्य वजह आज जिस तरह की देश की वर्तमान स्थिति है ! (हालांकि वर्तमान समय की स्थिति भारत के पचहत्तर साल के इतिहास में सबसे भयानक स्थिति है ! यह बात अलग है ! ) लगभग उस समय भी महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार विरोधी जनआंदोलन हौले-हौले शुरू हो रहे थे ! सिर्फ सांप्रदायिकता का जहर नही था ! और सांप्रदायिक शक्तियों का मनोबल महात्मा गाँधी जी के हत्या के बाद गिरावट के दौर की बात है ! तो वह भी महंगाई, बेरोजगारी तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने की कोशिश कर रहे थे !
भारत की आजादी के पच्चीस साल ! 1972 में होने के बाद ! काफी चर्चा तथा आलोचना सार्वजनिक क्षेत्र में हो रहीं थीं ! और मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कालेज तथा स्कूल – कॉलेजों में आभ्यास मंडल नाम से गतिविधियों का दौर शुरू था ! चारपाच साल पहले ही लॅटिन अमेरिका के क्यूबा, चिली, पनामा आदी देशों में क्रांतियों के अलावा, वीएतनाम के युद्ध और भारत के बगल में पूर्वी पाकिस्तान के बंगला देश में, परिवर्तित होने की लड़ाई ! और बंगाल के नक्सल प्रभावित होने की, हलचल भरें दिनों में ! हम बीस साल के ! और राम, जितेंद्र शाह, प्रफुल्ल बिडवाई, सुधीर बेडेकर, सुभाष, जैसे आई आई टीयन दोस्तों की उम्र पच्चीस तीस सालों की रही होगी !


और इसके अलावा जयप्रकाश नारायण के तरुण शांति सेना, युवक क्रांती दल और दलित पैंथर जैसे नए – नए अंगडाई ले रहे संघठन ! मतलब सत्तर से अस्सी के दशक में भारत में, और युरोपीय देशों में फ्रांस के विद्यार्थीयो के आंदोलन से लेकर कमअधिक प्रमाण में समस्त विश्व में सबसे अधिक हलचलों वाले दशक के दौरान हम भी अपने तई योगदान देने वाले लोगों में से एक थे !

हमारे उस समय के इन सभी मित्रों में डाॅ. राम पुनीयानी, जितेंद्र शाह, प्रफुल्ल बिडवाई, किशोर देशपांडे, दिनानाथ मनोहर, सुधीर बेडेकर, लतीफ खाटिक, नामदेव ढसाळ, डॉ कुमार सप्तर्षी, डॉ अरुण लिमये, इनके अलावा सिनियर लोगों में प्रोफेसर नरहर कुरुंदकर, हमीद दलवाई, ए बी शाह, यदुनाथ थत्ते, बाबा आमटे प्रोफेसर ग प्र प्रधान, दि के बेडेकर, प्रभा गणोरकर, वसंत आबाजी डहाके, डी वाई देशपांडे – नातू मैडम, आचार्य दादा धर्माधिकारी, मामा क्षीरसागर जैसे लोगों के प्रभाव में आने के कारण आज इतना खुलकर देखने – समझने का मौका मिला है ! और स्पार्क सोशलिस्ट फोरम से लेकर युवक क्रांती दल, दलित पैंथर, तरुण शांति सेना तथा मेरे अपने मातृ संघठन राष्ट्र सेवा दल की गतिविधियों में समान रूप से शामिल होने की वजह से ही आज देश और दुनिया के सवाल पर विचार विमर्श करने की दिशा में आगे बढ़ने की संभावना – शक्यता जारी है !


डॉ राम पुनीयानी का परिवार पाकिस्तान से बटवारे के समय भारत में नागपुर में आकर बसा हुआ है ! वैसे तो राम का जन्म नागपुर में ही हुआ है ! लेकिन पैदा होने के बाद से ही घर में बटवारे की चर्चा सुनते – सुनते ही बडा हुआ है ! लेकिन लालकृष्ण अडवाणी के जैसा सांप्रदायिक राजनीति में जाने की जगह कुलदीप नायर या न्यायमूर्ती राजेंद्र सच्चर, गौरकिशोर घोष जी के तरह उल्टा सांप्रदायिकताके खिलाफ लड़ाई में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहे हैं !
और यही जज्बा होना चाहिए कि, और बटवारा नही हो ! लेकिन ज्यादातर लोगों को बंग्लादेश या पाकिस्तानी हिस्से से भारत में आनेके वजह से सबसे ज्यादा मुस्लिम विरोधी देखने में आ रहा है ! अन्यथा सिर्फ सांप्रदायिकता के उपर ! एक राजनीतिक दल को, भारत के आजादी के पचहत्तर साल के भीतर ही ! हिंदुत्व के आधार पर सत्ता में आने का मौका मिलने का, और कोई कारण नहीं है !
हालांकि बटवारे की मार झेले हुए लोग फिर वह बंगाल के हो या पंजाब के अभिभी उस पिडासे मुक्त नहीं हो सके ! और इसी कारण संघ के विस्तार में एक कारक तत्व बटवारे के जख्मों को हरा कर के संघ और भी कई बटवारो की निंव खोदने का काम लगातार कर रहा है !
डॉ राम पुनीयानी के नागपुर के परिवार ने, थोक कपड़े के काम में सफलता हासिल करने के कारण ! राम नागपुर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करने के बाद ही ! रामदास पेठ जैसे प्राईम लोकेशन में दस हजार स्क्वेअर फूट की जगह खरीद ली थी ! ताकि वह भी अन्य डाक्टरों के जैसा अपना खुद का अस्पताल शुरू कर सके ! जो आज नागपुर शहर का मेडिकल हब है !
लेकिन डॉ. राम पुनीयानी को सामाजिक – राजनीतिक धुन सवार होने के कारण ! सबसे पहले नागपुर के औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों के बीच काम ! और वह देखने के बाद प्रफुल्ल बिडवाई ने कहा “कि तुम बहुत ही अच्छी हिंदी बोल लेते हों तो तुम मुंबई चलो ! और वहां के मजदूरों को संघठीत करने का काम शुरू करो !”
और अनायास अस्सी वाले दशक में आई आई टी मुंबई में पहले आई आई टी के अस्पताल में डाॅक्टर के रूप में काम करने का मौका मिला ! और बाद में बायो मेडिकल इंजीनियरिंग की शाखा शुरू होने के बाद प्रोफेसर बना !


सामाजिक सरोकार तो पहले से ही था ! और संघ की सांप्रदायिक राजनीति ने रामजन्मभूमी – बाबरी मस्जिद विध्वंस के के बाद राम का संपूर्ण जीवन ही सांप्रदायिकताके खिलाफ लिखने – बोलने में ! लगभग तीस साल से भी अधिक समय से जारी है ! और गुजरात दंगों के बाद तो उसने अपने नौकरी से मुदतपूर्व रिटायर्मेंट ले लिया ! और पूर्ण समय सांप्रदायिकताके विषय पर लिखने और बोलने वाले लोगों में ! पहले दस लोगों में एक नाम राम का है ! और अंग्रेजी, हिंदी धाराप्रवाह बोलने – लिखने के कारण भारत में और भारत के बाहर भी वह आज जाना – पहचाना नाम है ! अबतक सौ से अधिक किताबें ! और हजारों सेमिनार तथा शिबीरार्थियो को मार्गदर्शन करते हुए आज सतहत्तर साल की उम्र में भी सक्रिय हैं !


मेरा भी विषय यही होने के कारण हम पहले से ही जुड़े हुए हैं ! और सांप्रदायिकता के कारण और भी अधिक जुडकर काम कर रहे हैं ! ऐसे मेरे प्रतिबध्द मित्र को जन्मदिन के अवसर पर स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए उसे और जीवन जीने की उम्मीद के साथ
डॉ सुरेश खैरनार 25 अगस्त, 2022, नागपुर

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