कोरोना से मृत्यु ) होने पर पीड़ित के परिवार को 50,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी. केंद्र सरकार ने कहा कि ये अनुग्रह राशि COVID-19 महामारी के भविष्य के चरणों में भी या अगली अधिसूचना तक जारी रहेगी. उन मृतकों के परिवारों को भी मुआवजा दिया जाएगा जो कोविड राहत कार्यों में शामिल थे या तैयारी गतिविधियों से जुड़े थे. इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार मृत्यु के कारण को कोविड -19 के रूप में प्रमाणित करने की आवश्यकता होगी. राज्यों द्वारा राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) से मुआवजा प्रदान किया जाएगाण्हलफनामे के अनुसार, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ( DDMA )/जिला प्रशासन मुआवजे का वितरण करेगा.
शिकायतों के लिए बनाई जाएगी कमेटी
केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया है कि शिकायतों के निवारण के लिए भी एक कमेटी गठित की जाएगी. जो जिला स्तर पर काम करेगी. सरकार ने अपने हलफनामे में बताया है कि इसमें उन लोगों को भी शामिल किया गया है जो कोरोना के राहत बचाव कामों में जुटे थे.
बता दें कि कोरोना से हुई मौतों पर मुआवजा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. जिस पर पिछले कई दिनों से सुनवाई चल रही थी, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इस पर हलफनामा दाखिल करने को कहा था. याचिकाकर्ता ने 4 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 22 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का वक्त दिया था, जिसके बाद अब इस मामले पर 23 सितंबर को सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने NDMA को दिए थे निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को जून में आदेश दिया था कि वो COVID-19 की वजह से मरने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजे के भुगतान के लिए गाइडलाइन बनाए. ऐसा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 हफ्ते का वक्त दिया था. साथ ही मुआवजे में कितना पैसा दिया जाना है, इसका फैसला भी NDMA पर छोड़ा गया था.
सुप्रीम कोर्ट में मुआवजे के अलावा एक और याचिका में कहा गया था कि, जिन लोगों की कोरोना से मौत हुई है, उनके परिवार के पास इसका कोई भी सबूत नहीं है. इसीलिए मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना से मौत को शामिल किया जाए. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, COVID-19 से मरने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत की तारीख और कारण शामिल होना चाहिए, साथ ही अगर परिवार संतुष्ट नहीं है तो इसके निवारण के लिए भी अलग से व्यवस्था होनी चाहिए.
इसके अलावा हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा था कि, कोरोना मौतों के मुआवजे में उन लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए, जो कोरोना से पीड़ित थे और इसी दौरान उन्होंने आत्महत्या कर ली.