डाॅ सुरेश खैरनार
आजसे 45 साल पहले आपात्काल की घोषणा हुई थी और 19 महीने इस देश में आजादी के बाद पहली बार तानाशाही का दौर देखनेमे आया था ! और अब छ साल से अघोषित आपातकाल में रह रहे हैं पहले 45 साल वाले आपात्काल की बात करते हैं !
जो लोग आज 50 साल के हो चुके हैं उनके लिए यह एक अनबुझी पहेली है जिसे कुछ लोग सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं उनमें मेरे मित्र जो आज कल राज्य सभा के कांग्रेस पार्टी के सदस्य भी हैं ! उन्होने 19 जून जो राहुंल गाँधी के50 वे जन्म दिन के उपलक्षमे एक लेख नैशनल हेरोल्ड मे लिखा है जो उन्होनें मुझे मेल से भेजा है!
वे मराठीभाषा के मूर्धन्य पत्रकार कुमार केतकर जो श्रीपाद अमृत डांगे कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक के प्रति वफादार रहे हैं हालांकि डांगे साहबके आपात्काल के समर्थन के निर्णय को सी पी आई के पाॅलिटब्यूरोने आपात्काल के बाद गलत निर्णय लिया था यह कबूल करते हुए डांगे साहब को पार्टी से बाहर कीया और सी राजेश्वर राव महासचिव बने थे इसलिए डांगेजी के अंतिम दिन गर्दीशमे गुजरे है !
मुख्य मुद्दा कुमार केतकरजीने आपात्काल के समर्थनमे जो तर्क दिये वह पूर्ण षडयंत्रकारी थेअरी पर अवलंबित होनेसे बहुतही कमजोर और हास्यास्पद भी है उन्होनें बंग्लादेश मे मुजबुररहमान और उनके परिवार के सद्स्योकी हत्या का उदाहरण दिया है !
बंगलादेश मे सेना द्वारा सत्ता पलटनेकी तुलना भारत मे भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षण तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र मे की बदहाली इन मुद्दोको लेकर मुख्यतः विद्यार्थीयोके आंदोलनको विदेशी षड्यन्त्र बताकर इंदिराजी और उनके परिवार की हत्या करने की बात ! जिस आंदोलनमे हमला चाहे जैसा हो हाथ हमारा नही उठेगा और शांततापूर्ण संघर्ष रहा हो उस आन्दोलनकारियों का बहुत बडा अपमान है !
और उस आन्दोलन के नेता जयप्रकाश नारायणकी नियत पर ऊंगली उठाना बिमार मानसिकता का परिचायक लक्षण है ! जिस जयप्रकाशजीको बंगला देश बननेके बाद इंदिराजीने विशेष विमान देकर पुरे विश्व के देशोमे भारत सरकारने अपने प्रतिनिधि के रूप में दूत बना कर बंगलादेश बननेके पहले क्या किया क्यों कीया यह भारत की भुमिका बतानेके लिये क्यों भेजा था !
और वही जयप्रकाश सालभर मे सी आई एके दलाल है यह प्रचार सी पी आई और कुछ काँग्रेस के लोग जो कभी कम्युनिस्ट रहे है के द्वारा बोलकर आखिरकार क्या हासील करना चाहते थे ? अगर जयप्रकाश जी किसी विदेशी शक्ति के खिलोने थे तो डांगे साहब के जी बी के थे ? मतभेदों की बात दीगर है लेकिन किसी को इस देश का दलाल किसीको उस देश के लिए कहना बहुत विकृत मानसिकता का परिचय देता है ! नहीं जेपी और नहीं डांगे साहबके निष्ठापर सवाल उठाया जाना चाहिए था लेकिन यह बयान बाजी का मै खुद साक्षीदार रहा हूँ !
सबसे अहम बात 1973-74 का आंदोलन जयप्रकाशजीने अचानक शूरू नही किया था वह तो विद्यार्थीयोका आन्दोलन था जेपी को विद्यारथियोने आग्रह करके मजबूर कर दिया था तब कहीं वो माने और शांतिमय तरीके से ही आन्दोलन चला तो ही मैं उसमें रहूँगा जैसी शर्त पर वे शामील हुए थे !
प्रधानमंत्री कार्यलयमे उस दरमियांन काम करने वाले दो अधिकारीयोकी किताबोसे मै यह लीख रहा हूँ एक उस कार्यालयके प्रमुख पी एन धर और दूसरें उनकेहि डेप्यूटी बी एन टंडन दोनोने अपनी-अपनी राय अपनी-अपनी लिखी हूई किताबमे पर्याप्त दी है और श्रीमती इंदिरा गांधी की कार्यशैली और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हूबहू एक जैसी दिखती है !
आन्दोलन के सालं दो साल पहलेसे जयप्रकाशजीं माय डिअर इंदू से पत्रकी शुरुआत करकेहि उन्हे पत्र लिखे है कयोंकि जवाहरलाल की बेटी याने अपनी बेटी ! और उन पत्रोमे कोई व्यक्तिगत बात नही सिर्फ देशके सवाल पुछे है ! लेकीन इंदिराजीने पत्रोका जवाब तो दूर एकनाॅलेज तक नही कीया और यह बात धर,टंडन दोनोने इंदिराजी के ध्यान मे लानेकी कोशिश की है ! लेकीन इंदिराजी टससेमच नही हुई !
राहुल गांधी उस समय 5 साल उम्रके थे तो हमारे मित्र कुमार केतकर उनके मानसपर क्या क्या गुजरा होगा इस दर्द से संजय गांधी की विमान हादसे मे हुइ मौत से लेकर, इंदिराजीकि और राजीव गांधीजीकी हत्याओ का क्या परिणाम हूआ होगा यह लिखते वक्त हत्याए कौनसे परिस्तिथि और किन कारणोसे हूई यह एक शब्द से भी नही लीख रहे !
कुमार केतकर देशके पहले दस पत्रकारोमे एक है बहुत बुध्दीमान और पढें-लिखे पत्रकार है ! लेकीन गांधी परिवार के तीनो महत्त्वपूर्ण लोग जिनमें दो प्रधानमंत्री पदपर थे ! और एक प्रधानमंत्रीका बेटा ! इन तिनोकी मृत्यू का मुझेभी दुख है ! लेकीन संजय कितना बिगडैल था और विमान चलाने से लेकर देश चलानेकी उसकी हरकते कितनी भयावह थी यह क्या कुमार केतकर को पता नही है ? जिस धिरेंद्र ब्रह्मचारी का वह विमान था क्या वह भारत का रासपूतीन या अभिके नाम लू तो रामदेव या रविशंकर नहीं था ? संजय कीस हैसियत से सरकारी कामकाज मे दखलअंदाजी करता था ? और वर्तमान ए बी वी पी का 70 और 80के दशकमेके युवक काँग्रेस को संजय सेना क्यों बोला जाता था ?
इंदिराजीको उनकेहि सुरक्षा रक्षकोने मारा ! जर्नलसिंह भिंद्रनवाला को पंजाब की राजनीति मे सबसे पहले किसने लाया ? जब झैलसिंग गृहमंत्री थे तब भींद्रनवाला उनकेहि लीये चुनावका एजंट नही था ? और अकाली दलके खिलाफ उसे पालने पोसनेका काम किसने कीया ?
जिस तरह मुम्बई मे 70 के दशक की शुरुआत मे बाळासाहेब ठाकरे को समाजवादी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टीयोके खिलाफ इस्तमाल कीया बिलकूल उसी तर्जपर पंजाबमे अकाली पार्टी के खिलाफ इस्तमाल करने हेतूसे भिंद्रनवाले को प्रोत्साहन देने वाले कौन थे ?
वही बात लीट्टे को एम जी रामचंद्रन की आडमे किसने बलशाली बनाने मे मदद की है ? मद्राससे जहाजोमे नमक दवा, अन्न- धान्नके नामपर युध्दसामुग्री जाफना पोर्ट पर कौन पहुचाकर देता था ? और यह सब करके शांतीसेना के नामसे भारत के सैनिक श्रीलंकामे कौन भेजा था ?
और दिल्ली के 1984 के दंगाईयोमे सिखोका वंश संहार करने के लिए कौनसे पार्टी के लोग शामिल थे ? और कितने सिखों की जाने ली गई ? और भी देश के कई हिस्सों में सिखों की हत्या कर दी गई है और उनके लूटपाट का कोई हिसाब नहीं है ?
कुमार केतकर काफी लोगोकी याददास्त कमजोर होती है और उसी का फायदा नरेंद्र मोदी और आप जैसेको मील जाता है ! इसलिए अगर बातोको रखना है तो पूर्ण रखनेकी आदत डालिये आप जेपी आंन्दोलनके शुरु से विरोधी रहे है और इसीलिये आपात्काल जैसी लोकतंत्र का गला घोटनेकी कृती का समर्थन करते आ रहे है ! एक वकील अपने मुवक्कील की केस जैसा लढता है वैसेही आपात्काल की केसका समर्थनमेआप तर्क देते आ रहे है !
आज हम नरेंद्र मोदी की तानाशाही का विरोध कर रहे है लेकीन याद कीजिए 70 के दशकसे शुरु हूई इंदिराजी की कार्य शैली और मोदीजीके कार्यशैलीमे मुझे बहुत साम्य दिखता है और इसीलिये मै नरेंद्र मोदी को मेल एडिशन ऑफ इंदिरा गांधी बोलते रहता हूं ! ईडी, सीबीआई और न्यायालय का दुरुपयोगकी शूरूआत वह भी अपने खुदके पार्टीके लोगोसे विरोधी पार्टीके लोगोतक किसने शुरु किया ?
दिल्ली से मुख्यमंत्री नियुक्त करने की शुरुआत कबसे और किसने शुरु की ?इंदिरा इज इंडिया & इंडिया इज इंदिरा नारा किस बातका परिचायक है ? 41-42 वा संविधान संशोधन किसके लिये और क्यों कीये गये थे ? अजित नाथ रे को सब नियमोकी अनदेखी करते हुए सर्वोच्च न्यायालयके मुख्य न्यायाधीश बनाना किस बातका परिचय देता है ? तो ऊन्हे फीमेल एडिशन ऑफ नरेंद्र मोदी कहना गलत होगा ?
संघ परिवार के बारेमे इंदिराजी कितनी साफ्ट थी और संघ परिवार की वे कितनी प्रिय पात्र थी यह 1971 के बंगलादेश निर्माण होनेके पस्चात पांचजन्न और ऑर्गनायझर के उस समयके अंक देख लीजिये ! मा दुर्गाकी उपमा किसने दी है ?
कश्मिरके सवाल पर 370 को खत्म करने की शुरुआत नेहरूके द्वारा की गई है ! 1953 मे शेख अब्दुल्ला को जेलकी कालकोठरीमे डालकर 82 साल के जिवनमे 22 सेभी ज्यादा साल के समय किसके समय जेलमे जाया हुआ है ? और कश्मिरके चुनाव एक 1977 का अपवाद छोडकर सभिमे धांधली आई बी, सेना की मदद लेकर किसने की है यह सब आई बी राॅ के रिटायर्ड अफसरोने वीस्तारसे लिखा है ! वैसेही बलराज पुरिजी, वेद भसीन, अनुराधा भसीन, ए जी नूरानी,नंदीता हक्सर, प्रबोध जमवाल आदी वरिष्ठ पत्रकार तथा लेखकोने लीखा है !
आज घोषित आपात्काल को 45 साल हो रहे है और गत छ सालोसे अघोषित आपात्काल जारी है ! सवाल इस तरह के लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करनेकी बातोका है इसलिए तानाशाह हमारी है तो बहुत अच्छी और दूसरा है तो बहुत बुरा इस तरह की भुमिका से हम कही नही पहुंच सकते है ! गलत को गलत कहनेकी आदत डालनेसे काहेका घबरानेका!
इतिहास में की गई गलतीयोकी माफी मांगने के लिए शर्म कीस बातकी अरे भाई हजारो साल पहले की हुई चर्च की गैलीलियो, कोपरनिकस वैग्यानिक के साथ की गई अन्यायकी गलती की माफी आजके पोप मांग सकता है, जापान कोरियाई महिलाओं के साथ इतिहासमे की हुई गलती की आज माफी मांगने का काम कर रहा है तो कांग्रेस को आपात्काल लगाने के लिए जो गलती की है उसके लिए माफी मांगने के लिए किस बात का डर है ? गांधी, नेहरू की विरासत की बातें करते हैं और गलत काम-काज पर देश से माफी मांगने के लिए देर किस बात की ?
और इसके आगे आपात्काल जैसी गलती का समर्थन करने की बात भी बंद कीजिये! अगर आप को लगता होगा कि इस तरह के लेख लिखने से आप राज्य सभा में भेजे गए हैं तो यह आपकी गलत फहमी है आप डिजर्व करते हैं इसलिए आप आज सर्वोच्च सदनोमे पहुंचे हैं !
राज्यसभा यह एकमात्र मंझिल नहीं है मानवीय मूल्यो की रक्षा यह सर्वतोपरी होना चाहिये और ऐसे तानाशाह कोई भी क्यों ना हो उनके खिलाफ खडे होने की जरूरत है और वर्तमान तानाशाह धर्म की आडमे काम कर रहा है इसलिए उसका मुकाबला करने के लिए सभीको एकजुट होकर मुकाबला करने के लिए आपसी मतभेदों से उपर उठकर काम करने की जरूरत है !