-कब्रस्तान की जमीन पर कब्जा दिलाने पुराना शहर ‘लॉक’
-वक्फ बोर्ड के काम पर उठी उंगलियां, क्यों नहीं हुई ऊंची अदालत में अपील
भोपाल। जमीनों के विवाद, उनको लेकर कानूनी लड़ाई और आने वाले फैसले के बाद बनने वाले हालात न पहली बार हुए हैं, न इसके भविष्य में न होने की कोई दलील है। लेकिन जो पहली बार हुआ, वह यह है कि इस जमीनी विवाद को अंजाम पर पहुंचाने और जीतने वाले पक्ष को जमीन का आधिपत्य दिलाने के लिए पूरे शहर को अशांति और अव्यवस्था की भट्टी पर चढ़ा दिया गया। पुराने शहर की लाखों की आबादी को मुश्किलों से लड़ने के लिए छोड़ दिया गया। एक पूरे दिन का होने वाला करोड़ी कारोबार भी बलि चढ़ा दिया गया। तर्क महज यह था कि इस आधिपत्य प्रक्रिया के दौरान अशांति के हालात बन सकते हैं। जबकि इस तरह के किसी विवाद या एतराज को लेकर किसी व्यक्ति, संगठन या संस्था द्वारा कोई अपील या मंशा शासन-प्रशासन को जाहिर नहीं की गई थी।
डीआईजी बंगला से लेकर रेलवे स्टेशन तक, शाहजहांनाबाद से लेकर टीला जमालपुरा तक और चौक बाजार से लेकर जहांगीराबाद और सुल्तानिया और हमीदिया रोड तक का पूरा कारोबार इस रविवार को एक नए लॉक डाउन को देखता नजर आया। शहर के तीन थाना क्षेत्रों में कफर््यू और आठ थानों के इलाकों में धारा 144 की स्थिति मौजूद थी। नतीजा यहां बसने वाले लोगों को घरों से निकलने से लेकर अपने जरूरी काम निपटाने तक के लिए असमंजस और परेशानी भरे हालात से गुजरना पड़ गया। रविवार को लगने वाले बैरसिया रोड, हमीदिया रोड, इब्राहिमपुरा के साप्ताहिक बाजारों से लेकर चौक बाजार, जहांगीराबाद, मंगलवारा, जुमेराती के दैनिक बाजारों में तालाबंदी के हालात ने करोड़ी नुकसान के हालात बना दिए। शहर में चलते रहे अफवाहों के दौर ने शहर को आशंकाओं से घेरे रखा और अगले पल आने वाली किसी अप्रिय खबर से भरे रखा है। हालात महज सिर्फ एक 30 हजार स्केयर फीट की जमीन का कब्जा अदालती आदेश के मुताबिक दिलाने के लिए बनाए गए थे। प्रशासनिक और पुलिस अफसरों का कहना है कि यह निर्णय महज शहर की शांति को बनाए रखने के लिए किया गया था, लेकिन आश्वर्य की बात यह है कि इस जमीन विवाद को लेकर किसी धर्म, जाति, वर्ग, संगठन, संस्था ने अपना कोई एतराज शासन-प्रशासन को जाहिर ही नहीं किया था। न ही इस कब्जा प्रक्रिया को लेकर किसी तरह की रुकावट डालने का ऐलान किया गया था।
मामला इसलिए गंभीर माना गया
न्यू कबाड़खाना की करीब 30 हजार स्केयर फीट की जमीन एक कब्रस्तान का हिस्सा है, जिसका प्रमाण यहां मौजूद कब्रों से मिलता है। लेकिन लंबे समय तक चलते रहे अदालती मामले के बाद इसका फैसला केशव नीडम के हक में दिया गया है। जिसके बाद उन्हें इस जमीन का आधिपत्य सौंपने की प्रक्रिया रविवार को करने के लिए शहर में यह हालात बनाए गए थे।
वक्फ बोर्ड की लापरवाही का असर
वक्फ जानकारों का कहना है कि किसी भी तरह के कब्रस्तान के लिए मौजूद जमीनों की दो स्थितियां होती हैं। पहली सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई निस्तार भूमि और दूसरी व्यक्ति विशेष द्वारा वक्फ की गई जमीन। दोनों ही मामलों में जिस जमीन के साथ कब्रस्तान का नाम जुड़ जाने के बाद इसका लैंड यूज बदले जाने की व्यवस्था नहीं है। किसी व्यक्ति द्वारा वक्फ की गई किसी भी जमीन के एक बार वक्फ रजिस्टर्ड हो जाने के बाद उसकी स्थिति बदल जाने का अधिकार खुद वाकिफ (वक्फ करने वाले) को भी नहीं होती। ऐसी स्थिति में किसी भी तरह के जमीनी विवाद को लेकर मप्र वक्फ बोर्ड को कानूनी लड़ी जाना चाहिए। लेकिन सूत्रों का कहना है कि बोर्ड अक्सर ऐसे मामलों में वाकिफ या किसी व्यक्ति विशेष को ही अदालती लड़ाई लड़ने की अनुमति दे देता है, जिसमें पर्याप्त सुनवाई, दस्तावेजी सबूत और समय पर लिए जाने वाले निर्णय की कमी से अधिकांश मामलों में वक्फ को हार का सामना करना पड़ता है। न्यू कबाड़खाना वक्फ कब्रस्तान वाले मामले में भी ऐसी ही स्थिति बनी है। जिसमें एक अदालत से मामला हार जाने के बाद अगली अदालत में जाने के लिए वक्फ बोर्ड ने कोताही की। अगर इस मामले के हाईकोर्ट से विपरीत फैसला आने के बाद इसकी अगली अपील उच्च अदालत में की जाती तो मामला फिलहाल वक्फ के पक्ष में बना रहता, लेकिन यहां के जिम्मेदारों ने इस तरह की कोई कोशिश नहीं की।
ये रहा दिनभर का घटनाक्रम
-रात में ही जगह-जगह बैरिकेडिंग, लोगों को लगा कि 26 जनवरी की तैयारी चल रही होगी, सुबह पता चला कि कर्फ्यू है
-काजी कैंप इलाके में चारों ओर बैरिकेडिंग की गई थी
-शनिवार रात से सुबह 5 बजे तक इलाके में बैरिकेड लगाकर रास्ते बंद किए गए। सुबह अनाउंसमेंट से लोगों को कर्फ्यू की जानकारी हुई
-पुराने भोपाल में जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई थी, शहर के सबसे व्यस्त रहने वाले इलाके सुनसान दिखाई दिए
-चप्पे-चप्पे पर पुलिस और आरएएफ मुस्तैद की गई थी
-शहर के आठ थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू की गई थी, लेकिन पुराने भोपाल के लगभग सभी बाजार सुबह से शाम तक पूरी तरह बंद करवा दिए गए थे
-पुराने भोपाल से नए शहर की तरफ जाने वालों को कई किलोमीटर लंबा चक्कर लगाकर और गलियों का सहारा लेकर अपना सफर पूरा करना पड़ा
-नादरा बस स्टैंड से एक भी बस नहीं चली, मिनी बस और मैजिक भी नहीं निकले
-भोपाल रेलवे स्टेशन के छह नंबर प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए यात्रियों को परेशान होना पड़ा
-भोपाल टॉकीज से भारत टॉकीज तक कपड़ों का मार्केट लगता है, वह भी नहीं खुला
-हमीदिया रोड पर लोहा बाजार, दवा बाजार, मोबाइल मार्केट, ट्यूब टायर मार्केट, गैरॉज एरिया, मोटर पंप मार्केट आदि सब बंद रहा
-आवाजाही पर रोक रही, चौक बाजार भी नहीं खुला
-केवल मेडिकल स्टोर्स और दूध डेयरियां कुछ जगहों पर आंशिक रूप से ही चालू रहे
-जुमेराती, इतवारा, बुधवारा पर भी सख्त पाबंदियां थीं, पुरानी सब्जी मंडी भी नहीं लगी है
-नादरा बस स्टैंड से विदिशा, सागर, अशोकनगर, रायसेन के लिए गाड़ियां नहीं मिल सकीं
-बैरसिया रोड के साथ छोला से हनुमानगंज जाने वाली रोड बंद करा दी गई
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खान आशु