लिए निर्माता कंपनी से संपर्क कर रहा है। लेकिन सुधार पर होने वाले करोड़ी खर्च के बाद भी इसकी यात्रा को सुरक्षित नहीं कहा जा सकेगा।

फिर किराए की उड़ान

सूत्रों का कहना है कि हादसे का शिकार हुए सरकारी विमान का सुधार अब मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन जैसा है। ऐसे में सरकार के सामने अपनी जरुरी यात्राओं और कामों को पूरा करने के लिए किराए के विमान लेने की मजबूरी बन गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के तीसरे कार्यकाल में बीमार हुए पुराने विमान के समय से लगातार किराए के विमान से उड़ान होती रही है। सूत्रों का कहना है कि उस दौर में सरकार को विमान किराए के लिए 3 से 5 लाख रुपए प्रति घंटा किराया अदा करना पड़ रहा था। लेकिन ताजा हालात में ये किराया 4=5 गुना तक पहुंच गया है। सूत्रों का कहना है कि हादसा ग्रस्त होने से पहले जब सरकारी विमान मेंटेनेंस के लिए खड़ा किया गया था, तब दवाओं की आपूर्ति के लिए दमन और जयपुर से विमान किराए पर बुलाए गए थे। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान इसके किराए के लिए 15 लाख रुपए प्रति घंटा तक अदा करना पड़े हैं।

इनका कहना है

मरम्मत के लिए अमेरिकी कंपनी से संपर्क किया जा रहा है। सुधार कार्य होने तक जरूरी सेवाओं के लिए किराए के विमान की वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।

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