साथियो इस साल भागलपुर दंन्गेको तैतीस साल पुरे हो रहे हैं ! इसी दंगे के बाद हजारों की संख्या में लोग पारंपरिक हथियारों को लेकर अल्पसंख्यक समुदायों के उपर हमला करने की शुरुआत हुई है ! गुजरात इस दंगे के तेरह साल बाद हुआ है ! भागलपुर दंगे के पहले भी दंगे हुए हैं ! लेकिन ज्यादातर चंद गली – मोहल्लों के होते थे ! भागलपुर दंगे में लगभग संपूर्ण भागलपुर कमिश्नरी का इलाका शामिल था ! पडोसी मुंगेर, गोड्डा, बांका, साहेबगंज, दुमका तक शामिल थे ! उसके बाद लगातार बाबरी मस्जिद – रामजन्मभूमी विवाद को बढ़ावा देते हुए ! नियोजित ढंग से संपूर्ण देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करते हुए ! बीजेपी दिल्ली के तख्त तक पहुंचने में सफल होने की वजह सिर्फ और सिर्फ सांप्रदायिकता है !


अब कोई भारत जोडो तो कोई नफरत छोडो अभियान में लग गए हैं ! लेकिन इन तीस – पैतिस सालों में सांप्रदायिकता का विष देश भर में फैल चुका है ! सिर्फ सांकेतिक अभियान निकालने से नस – नस में फैला हुआ जहर कम नहीं होने वाला ! काश यही पहल तीस साल पहले की होती तो शायद आज यह नौबत नहीं आई होती ! और युपीए के दस साल के कार्यकाल में पार्टी सत्ता में आने के बावजूद ! नरेंद्र मोदी के उपर गुजरात दंगों के बाद ! कारवाई करना तो दूर की बात है ! उल्टा बेस्ट मुख्यमंत्री का राजीव गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ! और हम भी कुछ कम नही है कि होड में मंदिरों चक्कर जनेऊ पहनकर राहुल गांधी के फुहड प्रयासों ने रहा सहा जनाधार भी गवाने की गलती की है ! 1984 श्रीमती इंदिरा गांधी जी के हत्या के बाद ! शिखो के खिलाफ राजधानी दिल्ली में, किया गया दंगे का अपराध भी, कांग्रेस के नाम पर जमा है !


और इसके पहले भारतीय जनता पार्टी को सांप्रदायिक कार्यक्रम देने की गलती 1985-86 में शाहबानो के संदर्भ में ! सर्वोच्च न्यायालय ने दिये गये फैसले को, मुलतत्ववादी मुस्लिम समुदाय के दबाव में आकर ! तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने, लोकसभा में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को बदलने का काम ! और बाबरी मस्जिद के ताले को खोलने की गलतियों के कारण ! सौ साल से अधिक समय से हिंदुत्ववादीयो की, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की राजनीति के लिए लॉन्चिंग पॅड बनाने के बाद ! बटवारे के बाद सिंध प्रांत से विस्थापित लोगों में से एक ! श्रीमान लालकृष्ण आडवाणी ने, बाबरी मस्जिद रामजन्मभूमी के विवाद का उपयोग कर के, रथयात्राओके दौरान ! यह भागलपुर दंगे का आज ही के दिन तैतीस साल पहले, तथाकथित शिलापूजा के यात्रा का कार्यक्रम था !


24 अक्टूबर 1989 के दिन दंगेकी शुरुआत हुई थी ! कहा जाता है “कि तातारपूर चौक में इस यात्रा पर पथराव हुआ !” हालांकि तातारपूर के रास्ते से जुलुस जाने की मनाही थी ! लेकिन हमेशा की तरह, जानबूझकर उसी रास्ते से जाना ! यह भी दंगे की पूर्वतयारी ही होती हैं ! यह पचहत्तर साल के आजादी के बाद के लगभग सभी दंगों के बाद देखने में आया है ! ज्यादा से ज्यादा दंगों में बाजा बजाने से लेकर, मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में से जोर-जबरदस्ती से जुलूस निकालने से लेकर ! मस्जिद में सुअर को फेकने से लेकर, मंदिर में गाय का मांस फेकने से, या मूर्ती की शक्ल को बिगाड़ने जैसे ! सस्ते हथकंडे अपनाने के बाद ही, ज्यादातर दंगे हुए हैं ! और सत्तर के दशक में महाराष्ट्र के जलगांव और भिवंडी दंगों की जांच-पड़ताल के लिए गठित जस्टिस मादान कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में साफ – साफ लिखा है “कि प्रत्यक्ष दंगों में संघ के लोग थे या नहीं ! यह बात दिगर है ! लेकिन दंगे के लिए लोगों की मानसिकता बनाने का काम ! संघ लगातार करता रहता है ! और इसी कारण लोग बहुत बड़ी संख्या में दंगों में शामिल होकर, अल्पसंख्यक समुदायों के उपर हमले करने के लिये उद्युक्त होते हैं ! ” और भागलपुर दंगा उसकी जिती – जागती मिसाल है !
मैं उस समय कलकत्ता वासी था ! कलकत्ता भागलपुर का फासला 400 कीलोमीटर का है ! भागलपुर कभी बंगाल प्रोविन्स का हिस्सा था ! राज्य पूनर्रचना के बाद आज बिहार में है ! बंगालियों की जनसंख्या भी हैं ! शरदचंद्र चटर्जी की ननिहाल यहिपर थी ! उनके श्रीकांत उपन्यास का लेखन, भागलपुर-कलकत्ता की गंगा नदी के किनारे, और उसके जलयात्रा पर आधारित है ! बँगला भाषा के कवि लेखक बनफूल,मशहूर विचारकों मेसे एक आशिष नंदी,फिल्म निर्माता तपन सिन्हाजी यही के थे ! जो बाद में कामकाज के कारण बाहर गये !


वैसेही भागलपुर महाभारत कालीन शहर है ! इसके बगल का चंपानगर यही पूराना भागलपुर, और अंगप्रदेश ! यानी महान योध्दा और सर्वस्व दान करने वाले दानी ! कर्ण के अंगप्रदेश की राजधानी (चंपानगर भागलपुर का उपनगर ) रहा है ! और इसीलिए भागलपुर की लोकल डायलेक्ट (बोली-भाषा) अंगिका है !
गंगा नदी के किनारे, और सबसे बडी विशेषता यही से गंगा, 90 डिग्री के कोण से बंगाल के तरफ मुडती है ! बहुत ही विशाल पात्र हैं ! और डालफीन मछलियों की भरमार है ! रात में डालफीन मछलियों की उछलकूद देखकर मनविभोर हो जाता है !


भागलपुर की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार चार लाख के आसपास होगी ! 1989 मे ढाई-तीन लाख होगी ! जिसमें मुसलमानों का अनुपात 29% है और हिंदूओकी जनसंख्या 70 % जो हमारे मुल्क का अनुपात है ! तातारपूर, चंपानगर इत्यादि मुस्लिम बहुल इलाके है ! और उनका मुख्य व्यवसाय भागलपुर का मशहूर सिल्क बुनने का है ! जो भारत में कम विदेशो में ज्यादा बिकता है ! ज्यादातर यंत्रमाग के मलिक हिन्दु मारवाडी है ! मेहनत और हुनर के कारण कुछ मुसलमानों के भी यंत्रमाग होने लगे थे ! जो दंगे मे चुन -चुन कर जलाए गए हैं ! और इस करतूत के लिए यंत्रमाग के हिंदुत्ववादी मालिको ने, पडदे के पिछेसे बाकायदा पैसे दे कर मुसलमानों के उपर आक्रमण करने का काम किया है ! और लगभग सभी संघ के समर्थक है ! और आज उसी संघ की राजनीतिक इकाई बीजेपी के समर्थक है !

वैसे गंगा नदी के किनारे बसे, हजारों-हजार साल गंगा की मट्टी से तैयार जमिन से ! इस शहर के अगल-बगलमे खेती भी अच्छी-खासी होती है ! चावल,दलहन तथा अन्य जरुरत की चीजे, सब कुछ यही उगाया जाता है ! सब्ज़ियों मे हर तरह की सब्जी होती है ! परवल,खीरा,अन्य सभी तरह की पत्ती वाली सब्जियां ! फलोमे आम,केला कुछ हद तक लीची भी होती है ! एक तरह से सुजलाम सुफलाम इलाका है ! बारह महीने हरियाली दिखते रहती है !
ज्यादातर मुसलमानों का बुनकरों में समवेश होता है ! अन्य उससे सम्बंधित व्यवसाय जैसे धागा,मशीन और मशीनरी के लिए उसका,साजो-सामान, रिपेयरिंग,बुने हुये कपड़े की खरीद फरोख्त ! हालाकि इसमे सबसे ज्यादा मारवाडीयोकी दखलंदाजी है ! वजह पूँजी ! उनके पास लागत लगाने के लिए बेतहाशा पैसा है ! सो उन्हीका दबदबा इस धंदेमे है ! इसलिए ज्यादातर मालिकोंमें मारवाडी है ! इक्का दुक्का मुसलमानों में से कोई है ! और लगभग सभी मारवाडी शूरू सेही संन्घ परिवार के सदस्य हैं ! या इन्हीकी वजह से संन्घ भागलपुर में हैं ! यह सिलसिला कम अधीक प्रमाणमे पुरे भारत का है ! सभी साधन संपन्न, और उंची जाति के लोग अनायास संघ के समर्थक होते हैं ! क्योंकि यथास्थिति को बनाए रखना, यही संघ का उद्देश्य होने के कारण ! सभी साधन संपन्न और उंची जाति के पूंजीवादी समाज ही संघ का असली समर्थक है ! और दंगे के समय पिछडी, दलित और आदिवासियों की भी मदद से मुसलमानों के उपर हमले करने के लिए बहुत ही आसानी से उन्हें उकसाकर इस्तेमाल किया जाता है ! भागलपुर से लेकर गुजरात तक का यही नजारा है !
और अविभाजित भारत का भी लगभग यही चरित्र रहा है ! एक खास बात है कि ! दंगे को पडदे के पिछेसे जरूर संघ ने हवा दी ! लेकिन डायरेक्ट एक्शन में संपूर्ण मंडल कैटिगरी के लोग शामिल थे !


तेरह साल बाद के गुजरात के दंगे का भी यही हाल है ! 27 फरवरी 2002 के दिन से शुरू किया गया ! भारत के इतिहास का सबसे पहले दंगा जो शत-प्रतिशत राज्य प्रायोजित था ! और वर्तमान समय के भारतीय प्रधानमंत्री ! उसके लिए सबसे ज्यादा उत्तरदायी है ! और यह सिर्फ मै नहीं कह रहा हूँ ! तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद गुजरात के दंगों को देखते हुए, “मुख्यमंत्री ने राज धर्म का पालन नहीं किया यह अहमदाबाद में मोदीजी के मुहपर बोल कर आये है ! ”
और भागलपुर दंगे के बाद मेरा आकलन था ! ” कि आने वाले पचास साल की भारतीय राजनीति सिर्फ और सिर्फ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के इर्द-गिर्द ही रहेगी ! और वह आज वास्तव सबके सामने है ! अब गंगा, साबरमती और देश की अन्य नदियों से इतना सारा पानी बह जाने के बाद ! भारत जोडो ! और नफरत छोडो ! जैसे अभियान करने पड रहे हैं !
मेरे हिसाब से निचली जातियों की कुंठा को ! गत पचासवर्षसे भी ज्यादा समय हो रहा है ! बहुत ही चतुराई से हरावल दस्ते के तौर पर, इन जातियों को पुचकारते हुए ! बहुत ही प्लानिंग के साथ, तथाकथित पिछडी जातियों के लोगों को संघ में शामिल करके ! उनके द्वारा दंगे-फसाद,माबलिंचिग तथा गोहत्या के नाम पर अल्पसंख्यकों के उपर आक्रमण करने का काम कर रहे हैं ! और नरेंद्र मोदी उसके सबसे बड़े उदाहरण है !
इसलिए ब्राह्मणोके संघ को हमारे प्रगतिशील मित्र पानी पी-पीकर कोसते रहते हैं ! लेकिन खैरलांजि से लेकर भागलपुर, गुजरात के लिए प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी ज्यादा तर पिछडी जातियों के लोगों की है ! और इस बात का संज्ञान जबतक जातिनिर्मुलन करने वाले लोग नहीं लेते तबतक दंगे करने की परंपरा जारी रहने वाली है !


उल्टा हूँ किल्ड करकरे जैसी किताब लिखने वाले ! मेरे मित्र एस एम मुश्रीफ ने तो मिल्ली गॅझेट नाम की अंग्रेजी पत्रिका में “आज भारत का एकमात्र राजनेता है कि जो ब्रामण वादी आई बी और सीबीआई का बंदोबस्त करेंगे ! ” और कमाल की बात नरेंद्र मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे ! और वह आज प्रधानमंत्री बनने के बाद ! सभी एजेंसियों से लेकर सभी संविधानिक संस्था और मिडिया तक किस तरह का बंदोबस्त कर रहे हैं ? यह आज संपूर्ण दुनिया के सामने मौजूद हैं ! नरेंद्र मोदी सिर्फ गैरब्राम्हण है ! इतनी सी बात पर फुले – आंबेडकर और शाहूमहाराज का, नाम लेने वाले लोगों को क्या हो गया था ? क्योंकि उम्र के शत्रहवे साल में, संघ की शाखा में जाने वाले आदमी से बहुजन बुध्दिजीवियों को उम्मीद दिखाई देना ! मेरे जैसे पचास साल सार्वजनिक जीवन में रहने वाले कार्यकर्ताको बहुत ही अचरज लगता है ! और हमारे मित्रों की ! इस तरह की भूमिका को देखते हुए बहुत ही हैरानी होती है !
और इसी तरह कुछ सत्यशोधक मित्रों के मुहसे, नरेंद्र मोदी और अन्य दलित, पिछडी जातियों के नेता ! जो संघ के पाले में चले गए ! उनके प्रति सम्मान, और संघ को बदलने के लिए गये ! जैसे गलतफहमी के शिकार होते देखकर, लगा कि सही मायने मे महात्मा ज्योतिबा फुले की विरासत चला रहे हैं ! और ज्योतिबा ने भी पेशवाई के अत्याचारों को देखकर अंग्रेजों की तरफसे साफ्ट कार्नर मनमें पाले हुए थे ! और इसीलिए 1857 के युद्ध में उनकी सहानुभूति अंग्रेजी सल्तनत के तरफ से थी ! सर सैयद अहमद ने भी यही गलती की है !


आज आठ साल से भी ज्यादा समय हो रहा है ! नरेंद्र मोदी के कार्यकाल का जायजा लिया जाए ! तो मेरे अजिज दोस्त मुश्रीफ का विशफूल थिंकिग वास्तव में सामने ही है ! और नरेंद्र मोदी का सत्ता के तरफ रथ जाने के वक्त ! ज्योतिबा फुले और डॉ बाबा साहब अंबेडकर को मानने वाले काफी लोगों को ! नरेंद्र मोदी के पिछडी जातियों के होने के कारण, अगर आज संघ परिवार का बंदोबस्त अगर कोई कर सकता है तो वह सिर्फ नरेंद्र मोदी ! यह भी हमारे इन मित्रों का खुद का डी कास्ट न होना यही स्पष्ट प्रमाण है ! इन लोगों को सिर्फ वह ब्राम्हण नही है इतनी सी बात पर वह प्रगतिशील लगने लगता है !
आज महात्मा ज्योतिबा फुले के जाति निर्मूलन की मुहिम को, दो सौ से भी ज्यादा समय हो रहा है ! और तब भी उन्होंने अंग्रेजों के बारे मे यही ऐतिहासिक गलती की थी ! और आज भी उनके अनुयायियों मे यही ऐतिहासिक गलती करने की परंपरा जारी है ! मै पंद्रह – बीस साल से भी ज्यादा समय हो रहा है ! और हमारे इन सभी मित्रों के साथ माथा-पच्ची करते हुए ! उन्हें समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि ! गांव की सत्ता मुख्यतः जमीन ज्यादातर ओबीसी समाज के पास है ! और दलितों, आदिवासी, महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों, तथा अल्पसंख्यक समुदाय के साथ दंगे के, डायरेक्ट एक्शन करने वाले ज्यादातर लोग पिछडी जातियों के ही है ! और यह तैतीस साल पहले के भागलपुर, उसके तेरह साल बाद, और आने वाले 27 फरवरी के गुजरात के दंगे को ईक्कीस साल हो रहे हैं ! और उसमे शामिल लोगों को देख लीजिए !
वैसे ही खैरलांजि, झज्जर, हाथरस, वुलगढी, खर्डा, भीमा-कोरेगाव के सभी दलितों के उपर अत्याचार करने वाले कौन लोग है ! मध्य जातियों का जातिवाद कबतक ब्राम्हणी षड्यंत्र के नाम पर ! खपाने की कोशिश करेंगे ? शतुर्मुर्ग की तरह रेत में सर गडाने से काम नहीं चलेगा ! मध्य जातियों का जातिवाद जबतक जारी रहेगा, तबतक जातिनिर्मुलन कभी भी नहीं होगा ! यह चेतावनी तैतीस साल से लगातार लिख-बोल रहा हूँ ! अगर सही मायने मे जाति-धर्मनिरपेक्ष,लिंगभेद के खिलाफ लड़ाई करकेही नया समाज बनाया जा सकता ! तो इस तरह के नरेंद्र मोदी जैसे सत्ता के मदमस्त लोगों के भरोसे ! आज दो सौ साल से भी ज्यादा समय हो रहा यही अवलंबित होने की निति के कारण आज यह दिन आये है ! इसमेंसे मुक्त हो ये बगैर सही जातिनिर्मुलन नहीं होगा !
बिहार में स्वतंत्रता के बाद 1967 तक लगातार कॉग्रेसी सरकारे रही ! 1967 से डॉ राममनोहर लोहिया के गैरकांग्रेस सिध्दांत के कारण भारत में पहली बार मिलिजुली सरकारे बनने की शुरूआत हुई ! अलग-अलग राज्योमें बननेका सिलसिला शुरू हुआ ! जिसका नतीजा 1977 की जनता पार्टी की सरकार बनने के लिए गत 50 साल पहले से जो भूमि तैयार की गई थी ! उस बीच 1974 का बिहार-गुजरातके नवनिर्माण आन्दोलन ने ,रही सही कसर भी पूरी कर दी ! इन सब आन्दोलनोंमें सन्घ परिवार सबसे संघटित होनेके कारण सबसे ज्यादा लाभाविन्त रहा है ! जिसकी वजह से वह आज केन्द्र में, और कई-कई राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब रहा है ! कभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे ! लेकिन बीजेपी की कृपा से ! और अभी उन्होंने पाला पलटा तो ! उनमें भावी प्रधानमंत्री की संभावना देखते हुए ! कुछ तथाकथित सेक्युलर लोगों ने पुनः उनकी पार्टी की राह पकड़ ली है ! यह भी राजनीतिक दिवालिया पन का लक्षण है !


लेकिन यह सब अनायास नहीं मिला ! इसकेलिए संघ परिवारवालों की सौ साल की मेहनत, और लगातार अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दुष्टप्रचार करने के कारण ! देशमे साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने का नियोजित काम किया ! जिसकी वजह आजकी तारीख में देश जबरदस्त ध्रुवीकरण की प्रक्रिया गुजर रहा है ! और इसी कारण इतनी नालायक सरकार, और उसको चलाने वाले घोर सांप्रदायिक मानसिकता वाले लोगों के हाथों में पूरा देश जा चुका है ! हालाकि हर स्तरपर वर्तमान सरकार नाकामयाब होने के बावजूद सिर्फ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की प्रक्रिया करके महंगाई,बेरोजगारी, किसान, मजदूर और लगभग सभी मुद्दोपर फेल होनेके बावजूद दोबारा सत्ता में आने के कारण ! भागलपुर दंगेसे शूरू हुई ध्रुवीकरण की प्रक्रिया, दिन प्रतिदिन बढ़ाते- बढ़ाते ! आज रोजमर्रा की जिंदगी के सवाल बद्से बदतर होते हुए भी ! दोबारा इतनी बड़ी संख्या में ! लोक सभा का चुनाव, और उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव जीतने की, और कोई वजह मुझे नजर नहीं आती ! कार्ल मार्क्स की धर्म अफीम वाली बात मुझे पहले कभी पसंद नहीं थी ! लेकिन भागलपुर दंगे के बाद के मेरे अनुभव के कारण मुझे धर्म अफीम वाली बात मुझे सच लगने लगी !
दंगे के बाद मै, और हमारे शांतिनिकेतन के मित्र वीणा आलासे, श्यामलीखस्तगिर, बाणी सिन्हा और मनिषा, मंदिरा जैसी विद्यार्थीनो के साथ, बाबुपूर नाम की जगह पर ! मै और मनिषा ऊसके चप्पल खो जाने के कारण पिछे छूट गए थे ! तो बाबुपूर के एक दरिद्री नारायण की प्रतिमूर्ति ने हमें रोक कर पूछा की” हम लोग कौन हैं ? और कहाँ से आये हो ? और क्यों आए ?” एक साथ सवालों की झड़ी लगा दी ! तो मैंने कहा “कि मै कलकत्ता से हूँ और यह लडकी शांतिनिकेतन से है ! और आगे जो लोग निकले हैं ! वह भी शांतिनिकेतन के है !” तो उसने पूछा “यहाँ काहे को आयें हो ?” तो मैंने “कहा कि यह जो दंगे मे चुन चुन कर मुसलमानों के मकान मटियामेट किए है यह सब देखने आये है !” तो वह तपाकसे बोला कि” बहुत ही अच्छा हुआ !” तो मैंने पुछा” कैसा अच्छा हुआ ?” तो वह बोला” कि हमारे रामजी के मंदिर को मियाँ लोग विरोध किया है ! इसलिए ऊनके सब मकान तोड़ दिया है !” तबतक वहां अच्छी-खासी भीड इकठ्ठा हो गई थी ! तो मैंने उसके अधनंगे शरीर के तरफ इशारा करते हुए कहा कि “अगर मंदिर बनने से आपके शरीर पर नया कपडा आ जायेगा ! और बगल में ही एक टूटी फूटी झोपड़ी थी ! तो मैंने पुछा कि यह मकान आपका है ! तो वह बोला कि हमारा है ! तो मैंने कहा” कि अगर यह मकान नया बना ! या इसके अंदर आपको खाने-पीनेका सामान, अगर मंदिर बनने से आ जायेगा ! तो हम आप मिलकर, दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर बनाने के लिए लग जायेंगे ! तो वह बोला कि ऐसे कैसे होगा ? तो मैंने” कहा कि अगर आप लोगों की और जिनके मकान तोड़ दिया है ! उनकी माली हालत में कुछ भी बदलाव नहीं होता है ! तो ऐसे मंदिर और मस्जिद के झगड़े को तूल देना कहाँ तक ठीक है ?” तो भिडमेसे कोई बोला “कि ऐसे बात करने वाले आप पहले लोग आये हो ! अबतक मंदिर-मस्जिद की बात करने वाले आते रहे हैं ! क्या आप लोग और नहीं आओगे ? ” यह बाबुपूर के एक फटेहाल सज्जन ने हमें रोक कर ! हमारे भागलपुर के भावी कार्यक्रम की दिशा तय करने के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है ! शायद आज तैतीस साल के पस्चात भी मै भागलपुर लगातार आने की वजह क्या आप लोग फिर से नहीं आओगे के सवाल ने प्रेरित किया है !


क्योंकि वापसिके सफर में हम सभी कलकत्ता, शांतिनिकेतन के साथी, रातभर ट्रेन भागलपुर मे भविष्य में भी आने का संकल्प करने के बाद ही सो सके ! और आज तैतीस साल हो रहे हैं ! और हमारे शांतिनिकेतन के, और कुछ स्थानीय साथियों की मदद से लगातार भागलपुर के शांतिसदभावना का काम बदस्तूर जारी है ! अब तो परिधि और गंगा मुक्ति, झुग्गी झोपड़ी संगठनों के साथीयो के अलावा राष्ट्र सेवा दल के और कुछ शिक्षक तथा जेपि आंदोलन के साथी रामशरण, उदय, ललन, डॉ योगेन्द्र रामपूजन,सार्थक भारत अनिरुद्ध,रिजवान, हुदा साहब, संगीता, राहुल, उसकी पत्नी शुष्मा तथा कला केंद्र के गुरूजी और उनके शिष्यों की मदद से लगातार काम कर रहे हैं ! तथा शांतिनिकेतन से मनिषा बैनर्जी और उसीके दोस्तों के साथ ! भागलपुर दंगे को तैतीस सालों के बावजूद ! लगातार प्रक्रिया जारी है !


और एक तरह से इन, तैतीस सालों के बावजूद ! देश भर में 1992 और अन्य समय में काफी सारे दंगे हुए है ! लेकिन हमें फक्र है कि “भागलपुर मे एक कंकड़ भी नहीं उठा है ! यह हमारे सभी साथियों का अथक प्रयास से ही संभव हुआ है !
जो बात गत तैतीस वर्षों से मैं लगातार बोल-लिखते रहा हूँ !


सन 1985-86 के शाहबानो की केस मे मुसलमान मूलतत्ववादियोने सन्घ परिवार के राम मन्दिर-बाबरी मस्जिद विवाद के वीमान के लिये लॉन्चिग पैड उप्लब्ध करा दिया ! और सवाल कानुन का नहीं है ! आस्था का है ! इस नारेको मान्यता शाहबानो केससे शूरू होती है !
लालकृष्ण आडवाणी ने अपने रथयात्राओ की राजनीति की शुरुआत इससे शूरू कर 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस, और उसके तीनसाल पहले, भागलपुर में शिला पूजा जुलुस के समय 24 अक्तूबर 1989 के दिन जो दंगा शुरु हुआ ! वह सिर्फ भागलपुर शहर तक मर्यादित नही रहा वह अगल बगल के लगभग सभी जिलों में बाँका,मुंगेर,गोड्डा,साहेबगंज,दुमका याने लगभग पूरे भागलपुर कमिशनरी के क्षेत्रों में फैल गया ! जिसकी एकमात्र वजह संघपरिवार के द्वारा फैलाई गई अफवाहें ! पहली अफवाह, भागलपुर के महिला कॉलेज की 400 छात्राओं पर बलात्कार ! और दूसरी अफवाह भागलपुर यूनिवर्सिटी के छात्र जो विभिन्न प्रयावेट हॉस्टल में रहने वाले (ज्यादातर मुसलमानों के घरोमे कयोंकि यूनिवर्सिटी का इलाका मुस्लिम बस्तिमे पडता जो है !) 400विद्यार्थियो की हत्या की खबर ! अगल-बगल के गावोमे हीरों होण्डा मोटर साईकिल पर सवार भेजकर ! यह अफवाहें फैलाने का काम किया गया ! (उस समय मोबाइल फोन नहीं आये थे !) इसमेसे एक भी अफवाह सही नहीं पाई गई ! और इन अफवाहों को फैलाने का संघ का काम देखने के बाद हमने संघ का नाम( Rumors Spreading Society) RSS रखा है !
यह दंगा युध्द की तरह 300 से अधिक गावोमे आगकी तरह फैला था ! क्यौंकि जिनके बच्चे भागलपुर में पढ रहे थे ! उह्ने कोई और खबरें नही मिल रही थी ! तो यही सुनी सुनाई बातों पर विश्वास करते हुए ! हजारों की संख्या में लोगों ने परम्पारीक हथियार उठाये ! और मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई करने में, कोई कसर नहीं छोड़ी ! 300 से अधिक गावोमे रहनेवाले मुसलमानों के मकान, उनके रेशमी कपड़े की बुनाई के मशीनरी को जलाकर राख कर दिया था ! और 3000 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी गई है !
बटवारे के बाद 75 साल में भारत के विभिन्न शहरों में, काफी दंगे हुए है ! और बाद मे भी हो रहें ! लेकिन भागलपुर की दंगेकी तीव्रता को देखते हुए ! मुझे लगता है कि “इसके पहले के सभी दंगे कुछ चंद गली-मुहल्ले के दंगे हुए हैं ! लेकिन भागलपुर का दंगा पहला दंगा है ! जिसमें काफी बड़ा क्षेत्र और बहुत बडी संख्या में लोग मारे गए ! और वह भी गुजरातके 2002 के दंगेके 13 साल पहले ! राजनैतिक रूप में कोई मोदी-शाह पैदा नही हुआ था !”


उस दंन्गेकी तीव्रता देखते हुए मैंने देशभर बोला,लिखा ” कि आजादी के बाद के दिनों में भागलपुर का दंन्गेका स्वरुप देखकर मुझे लगता है ! कि भारतीय राजनीतीका आनेवाले 50 साल का केंद्र बिंदु सिर्फ साम्प्रदायीकता ही रहेगी ! हमारे रोजमर्रा के सवाल,जिसमें किसान-मजदूर, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा, रोजी-रोटी,मकान,भ्रष्टाचार,अत्याचार एवं अन्य सभी सवाल आदिवासी, महिला, दलितों से लेकर और भी बहुत सारे सवाल शोषण,गैरबराबरी,महंगाई ,विस्थापन,पर्यावरण,जल,जंगल और जमीन के सवाल हशियेपर चले जायेंगे ! और सिर्फ भावनिक मुद्दे हावी हो जायेंगे ! मंदिर-मस्जिद के इर्द गिर्द पूरी राजनीति चलेगी ! तो अभिसे हमारे सभी साथियों ने चेतकर साम्प्रदायिकता के खिलाफ मोर्चा खोलने की जरूरत है ! ” यह सब मै 1990 से लगातार संपूर्ण देश में बोलते हुए कहने कि कोशिश की ! एन ए पी एम जैसे जनांदोलनों के समन्वय करने वाले फोरम में यह बात उठाई तो मुझे सुरेश भागलपुरी या सांप्रदायिकतावाला जैसे जुमले बाजी करते हुए मेरे बातो का मजाक उड़ाया गया ! और वह आज नफरत छोडो अभियान कि बात कर रहे हैं !


और सबसे महत्वपूर्ण बात राष्ट्र सेवा दल की है ! क्योंकि जहाँ तक पचाससे ज्यादा साल हो रहे हैं ! मैं राष्ट्र सेवा दल के सैनिक होने के नाते, मुझे तो आर एस एस के साथ मैंदान में भारत में सिर्फ और सिर्फ राष्ट्र सेवा दल ही है जो मुकाबला कर सकता है ! और इसी लिए मैंने( 1990-91) प्रमिला ठाकुर के सहयोग से सबौर के कृषि महाविद्यालय में, एक सप्ताह का सव्वा सौ बच्चे-बच्चीयोका शिबिर, लोगों के घरों से खाना मांग कर एक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया था ! और उसीके कारण ! शंकर नाम के एक पूर्ण समय कार्यकर्ता की मदद से ! एक दर्जन शाखाओं की शुरूआत हुई है ! और इस कारण संपूर्ण दंगे की दहशत का माहौल कम होने मे काफी मददगार साबित हुआ है ! और बादमे 115 मोहल्ले समिति का गठन किया गया ! जिसमें सभी तरह के नागरिकों को शामिल किया था ! और 6 दिसम्बर 1992 के दिन ! मै खुद भागलपुर मे ही कैंप करके बैठा था ! और हमारे मोहल्ले समिति का उपयोग ! उस समय बहुत ही कारगर साबित हुआ है ! और इसी कारण ! भारत में कई-कई जगहों पर दंगे हुए ! लेकिन भागलपुर में एक कंकड़ भी नहीं उठा ! इसलिए राष्ट्र सेवा दल के, और मोहल्ला समिति का प्रयोग बहुत ही महत्वपूर्ण है ! और उसे हर जगह करने की आवश्यकता है !
साथियो कुछ साथी जरूर इस काममे लगे पर 140 करोड़ आबादी वाले देश में यह बहुत अधूरा प्रयास रहा है ! इसके उल्टा संन्घ परिवार अधिकृत रुपसे 2 करोड़ सदस्य ,सवा लाख से अधिक शाखाये ! और उससे ज्यादा सरस्वती शिशुमन्दीर के स्कूलों के साथ ,वनवासी सेवा आश्रमों के साथ ! शायदही जीवन का कोई क्षेत्र होगा जिसमें उनकी पैठ नही है ! इसलिए उस तुलना में, उनके खिलाफ काम करने वाले लोगों की तादाद बहुत बिखरी हुई, आज दिख रही है ! और आज सत्ता में आ बैठे हैं ! इसलिए समय की नजाकत को देखते हुए मुझे लगता है कि !


इस साल भागलपुर दंगेको 33 साल हो रहे हैं ! तो मैंने यह मुक्तचिंतन आप लोगों के साथ शेअर किया है ! और पिछले साल की दुर्गा पूजा के समय, बंगला देश में कोमील्ला के पास ! चांदपूर नाम की जगह पर जो 13 अक्तूबर को दंगा हुआ था ! वह देखने के बाद लगता है कि “हमारे भारतीय उपमहाद्वीप में त्योहारों के समय अक्सर दंगे करने की परंपरा जारी है ! और एक तरह से हमारे उपमहाद्वीप की संपूर्ण राजनीतिक गतिविधियाँ सिर्फ और सिर्फ सांप्रदायिक राजनीति के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है ! और 24 अक्तूबर को संपूर्ण चर्चा सिर्फ इसी विषय-वस्तु को ध्यान में रखकर भागलपुर के आमंत्रण नाम के होटल में कुछ साथियों के साथ हालांकि इस 24 अक्तूबर को दिपावली भी है ! लेकिन हमारे साथियों का जज्बा देखते हुए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है ! सभी साथियों को दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
डॉ सुरेश खैरनार 24 अक्तूबर 2022, भागलपुर

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