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नई दिल्ली (ब्यूरो, चौथी दुनिया)। नोटबंदी के दर्द से पूरा देश अभी निकल भी नहीं पाया कि एक बार फिर से इस दर्द को बढ़ाने की खबरों का कारवां चल निकला है। कई विशेषज्ञों ने सरकार के नोटबंदी जैसे कदम को बेअसर माना था। सरकार को भी एहसास होने लगा है कि नोटबंदी से सिर्फ अफरा-तफरी और चर्चाओं का बाजार गर्म हुआ। फायदा जनता के सामने दिखा पाना मुशिकल हो रहा है। ऐसे में सरकार फिर से नोटबंदी पर विचार कर रही हैं। हांलाकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन कयासो का बाजार गर्म है।

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आरबीआई के कानपुर कार्यालय द्वारा जारी किए गए आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि 2000 के नोटों को बड़ी मात्रा में दबाया जा रहा है। कानपुर कार्यालय के मुताबिक नवंबर 2016 के बाद से कानपुर की सभी करंसी चेस्ट में 2000 के नए नोटों के 6000 करोड़ रुपये दिए जा चुके है। मार्च तक नोट जमा होने की रफ्तार ठीक रही लेकिन अप्रैल से नोट गायब होने का सिलसिला शुरू हुआ है। हालांकि वित्त मंत्रालय का मानना है कि ये सिर्फ एक क्षेत्र विशेष के आंकड़ें हैं इसके आधार पर किसी स्थिति की तस्वीर नहीं बनाई दा सकती है।

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