इतिहास में 14 अक्तूबर 1956 का दिन एक विशेष ऐतिहासिक महत्व का दिन है ।बाबा साहेब आंबेडकर के नेतृत्व में एक लाख से भी ज्यादा लोगों ने इस दिन नागपुर में वर्ण व्यवस्था ,अपमान ,अन्याय ,प्रताड़ना के प्रतिरोध हेतु बौद्ध धर्म को स्वीकार किया था ।बाबा साहेब आंबेडकर जी इसके पूर्व कहते भी थे कि मैं हिंदू धर्म में पैदा तो हुआ , लेकिन हिंदू धर्म में मरूंगा नहीं ।
इस ऐतिहासिक दिन का विश्लेषण और मूल्यांकन विश्व स्तर भी करना चाहिए ।संभवतः यह विश्व स्तर पर भी अपने तरह की एक मात्र घटना है ,जब इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने धर्म परिवर्तन किया था।
दरअसल जिस व्यवस्था में सम्मान और न्याय नहीं मिल सकता उसका प्रतिरोध तो करना ही चाहिए ।यह एक मानवीय मूल्य है ।
इससे यह संदेश भी मिलता है कि धर्म , जाति ,वर्ण ,नस्ल ,रंग ,लिंग ,भाषा के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव ,अन्याय ,अत्याचार नहीं करना चाहिए ।सम्मान और न्याय मिलना एक मानव अधिकार है ।इस मानव अधिकार की रक्षा हेतु प्रतिबद्धता और संवेदना एक महान मानवीय मूल्य है ।