इस मंदिर का निर्माण किसने करवाया, इसकी पुख्ता जानकारी मिल पाना संभव नही , क्यो की इसकी शिल्पकला ठीक उसी तरह है, जिस तरह 2 ढाई वर्ष प्राचीन मंदिरों की होती है ।
इस मंदिर का जिक्र चालुक्यों के इतिहास में भी आता है, की यह मंदिर चालुक्य नरेशो ने बनाया , उसके बाद उदयपुर वाले कहते है, की यह मंदिर हमने बनवाया, ओर जैनों का कहना है, की यह मंदिर हमने बनवाया ।
अतः इस मंदिर का सही इतिहास मिल पाना संभव नही, लेकिन जितना मेने मंदिरो के बारे में अध्यनन किया है, यह मंदिर 2000 साल से कम पुराना नही है, ओर संभवतः इसका निर्माण मोर्यो ने किया है, उसके बाद चालुक्यों ने उसका जीर्णोद्धार किया ।। बाद में जैनो ने महाराणा कुम्भा से इस मंदिर को खरीदकर खुद भी इसे भव्य बनाया ।
खैर जिसने भी इसे बनाया हो लेकिन हजारो साल पुरानी विरासत आज हम भारतीयों के पास है, जिस पर प्रत्येक भारतवासी गर्व करता है ।