आपने संसद में आंदोलनजीवी की उपाधि देने के लिए विशेष रूप से धन्यवाद यापन के लिए यह पोस्ट कर रहा हूँ क्योंकि उन्हें कभीभी सच बोलते हुए नहीं देखा हूँ ! लेकिन आज उन्होंने भरी संसद में कुछ लोग आंदोलनजीवी होते हैं और वही चेहरे हर आंदोलन मे बराबर होते हैं तो मुझे बहुत ही गौरवान्वित महसूस हो रहा है ! और वह भी देश के सबसे प्रमुख पदपर बैठे हुए आदमी को हम लोगों की दखल लेने के लिए विशेष रूप से धन्यवाद !
माननीय प्रधानमंत्री जी आप ने चार फरवरी को चौरीचौरीचौरा के सौ साल पहले के एक वर्ष पूर्ण होने पर गर्व से हमारे देश के किसानों ने किया हुआ उस घटना का स्मरण किया जोके उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिलेके चौरीचौरा नाम की जगह आज से 99 साल पहले अंग्रेजों खिलाफ रौलट बिल के खिलाफ जैसे अभी के तथाकथित कृषी सुधार बिल के खिलाफ जारी है और क्या वह आंदोलन था ? याआंदोलनजीवीयोकी हरकत थी ? या सचमुच ही अंग्रेजी राज के काले कानून के खिलाफ आंदोलन था ?
माननीय प्रधानमंत्री जी 23 जनवरी को आप कोलकाता कोरोनाकी पर्वा किये बगैर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के 125 वे जन्मदिन को पराक्रम दिवस घोषित करने पहुंचे थे तो वह पराक्रम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने रसगुल्ले खाने के लिए किया था या आझाद हिंद फौज का गठन करके देश की मुक्ति के आंदोलनके उपलक्ष्य में था अपने जान की परवाह न करते हुए सचमुच ही देश को अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाने के लिए किया एक आंदोलन था या वह भी एक आंदोलनजीवी चंद लोगों की करतूत जोके 1756,1857 और उसके बाद भी जो भी जीवित रहे हालांकी वह भी चेहरे काफी लोगों के वही वही थे ?
आपने सरदार पटेल ने संघ परिवार के लोगों गाँधी जी के हत्या के बाद जेलो मे डालकर संघ के उपर बैन लगा दिया था ! इसलिये उनकी इतनी भव्य मूर्ति करोडो रूपये खर्च कर के सरदार सरोवर के पानी में लगाई या उनके खेडा-बारडोली के किसानों के आंदोलनके नेतृत्वकारी भुमिका निभाने के कारण जिसने उनके नाम के आगे सरदार उपाधि लगी और भारत की स्वतंत्रता के लिए अपनी वही सुरत लेकर मरने तक विशेष योगदान दिया है इसलिए लगाई हालाकि उनके चेहरे का बुढापे का असर छोड़ कर वही-वही चेहरा था ?
अभी दस दिन पहले की बात है कि उसी तरह से 30 जनवरी के दिन राजघाट की महात्मा गाँधी जी के समाधि स्थल पर माथा टेकने किस लिए गये थे ? महात्मा गाँधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत तक के आंदोलन के लिए या वह सुतकताई करते थे और बकरी का दुध पीते थे इसलिये और वह तो नाथूराम गोडसे द्वारा 30 जनवरी को नही मारे गए होते तो सव्वसौ साल वही चेहरे के साथ रहने वाले थे और वैसे भी वह दक्षिण अफ्रीका में पच्चीस साल और भारत के आजादी के आंदोलन मे भी 33 साल उसी चेहरे के साथ रहे हैं ?
और भारत की स्वतंत्रता के लिए भले आप जिस संघटन को अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय दे रहे थे और वह कभीभी स्वतंत्रता आंदोलन मे एक साजिश के तहत शामिल नही होने के बावजूद आप आने वाले समय में स्वतंत्रता आंदोलन की 75 वी वर्षगांठ मनाने के लिए उतावले है!और होना भी चाहिए क्योंकि हमारे अपने देश की मुक्ति के 75 साल जो है ! और यह बात हर भारत वासी के लिए विशेष रूप से गौरव की बात है ! तो समस्त स्वतंत्रता आंदोलन के लिए विशेष रूप से बलिदानियों और अन्य जीवित लोगों को क्या आंदोलनजीवी कहेंगे? जिस मे भले बाद मे मांफी मांगी थी और उस कारण अंदमान की जेल से बाहर आने के बाद भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर को कौनसीकैटिगरी मे शामिल करेंगे आंदोलनजीवी या आंदोलन कारी ?
अच्छा एक बात बताइए आपको कुछ चेहरों से इतनी आपत्ति क्यों है ? जिन्हें आप तुरंत शत्रु पक्ष मे शामिल कर देते हो फिर वह आपके अपने दल के संजय जोशी से लेकर श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी,मुरली मनोहर जोशी,यशवंत सिन्हा,शत्रुघ्न सिन्हा,अरुण शौरी,सुब्रमण्यम स्वामी,उमा भारती और विरोधी दलों के नेताओं को तो सबसे ज्यादा शत्रु मानते हो और आज आपने संसद में आंदोलनजीवी की उपाधि देने बहाने जो भी कुछ बोले हो उस समय की बाडीलैंग्वेज बहुत ही तिरस्कृत करने वाली मानसिकता का परिचय दे रहेथे ! और यह बात मैंने आपके गिनकर सत्ता में आने के बाद के 22 साल के जीवन में के पहले पंद्रह साल गुजरातके मुख्यमंत्री के रूप में और अब 2014 को 26 मई के प्रधानमंत्री की शपथग्रहण के तुरंत बाद ही आपकी बाडीलैग्वेज को देखा हूँ और मुझे संपूर्ण देश की चिंता सताने लगी है !
एक अत्यंत एकचालकानूवर्त संघटन के प्रतिनिधि के रूप में काम करने वाले और व्यक्तित्व वाले आदमी को भारत मे राज्य करने के लिए सबसे प्रमुख पदपर बैठे हो तभी से मै चिंतित हूँ और आपने चंद दिनों के भीतर मेरी चिंता को सही ठहराया ! योजना आयोग समाप्त करने के बाद भारत की हर संविधानिक संस्थाओं को आपकी मर्जी के हिसाब से ढालने की कोशिश की है और सबसे संगीन बात न्यायपालिका,सीबीआई,मिडिया यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के माध्यम से सेंट्रल यूनिवर्सिटीज मे दखलंदाजी के बली रोहीत वेमुला,कन्हैया,नजीब,उमर खालीद,शैलजा फिर आर्थिक क्षेत्र में विशेषज्ञोंकी अनदेखी करते हुए रिझर्व बैंक के विरोध के बावजूद नोटबंदी से लेकर देश की सभी वित्तीय संस्थाओं में भूकंप जैसी स्थिति बनाकर उनकी रही सही विश्वसनीयता पर बट्टा लगा दिया और लाकडाऊन ने तो देश की कमर तोड़ दी गई,ओवने पावने दामौमे सरकारी प्रतिष्ठान बेचना जिसमें रक्षाविभाग जैसे सबसे महत्वपूर्ण और देश की सुरक्षा का दारोमदार सह्माल्ने वाले विभाग मे विदेशी निवेश !
रेल ऊर्जा,संचार,स्वास्थ्य,शिक्षा और वह सब कम लगा तो कृषि क्षेत्र जिस पर आधी से भी आबादी अवलंबित है उसे कारपोरेट घरानों के हवाले बगैर किसानों से बात किये और सबसे संगीन बात संसद में हेराफेरी करते हुए तथाकथित पास करने की खानापूरी शायद संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में की गई पहली बात है कि संसद की भी परवाह न करते हुए तथाकथित पास करने की घोषणा कर के भी किसानों के आंदोलन को भला बुरा कहते हो तो कभी खालिस्तानी तो कभी पाकिस्तान और अब तो इंग्लैंड,अमेरिका,कैनेडा और कुछ योरोपियन देश के लोगों ने कुछ टिप्पणी की तो इतना गुस्सा करने जैसे क्या बात है कि उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया !
लेकिन प्रधानमंत्री बनने के चंद दिनों के भीतर बगैर बुलाये और कोई भी सूचना दिए बिना सर्जिकल स्ट्राइक के जैसे अचानक नवाब शरीफ के जन्मदिन पर पहुंच कर कौनसे राष्ट्रभक्तों की बात है कि आप जो भी कुछ कर रहे हैं वह सब कुछ राष्ट्रवादी विचारधारा के तहत कर रहे हैं और दुसरे आंदोलनजीवी दुसरे विदेशी एजेंट ! भाई डोनाल्ड ट्रंप जैसे आपके अमेरिकी एडिशन के चुनाव प्रचार के लिए वह भी एक साल पहले और कोरोनाके जैसे महामारी के रहते हुए अहमदाबाद में करोड़ों रूपये का चुना लगाकर भीड जुटाने की बात सबसे बड़ी देशभक्ति ?
यह देश ना होकर आपकी प्रायवेट प्रॉपर्टी हो गई ? यहाँ के संविधान,संसद,न्यायपालिकाऔर कायदे कानून का कोई मतलब नहीं है ? और अब संसद में आंदोलनजीवी की बोलना भारत के इतिहास के अबतक के सभी आंदोलनोंका अपमान करने वाले और वह भी एक प्रधानमंत्री पदपर बैठे हुए आदमी के द्वारा यह भी अन्य कीर्तिमानो कि तरह आप के नाम पर दर्ज हो गया है !
उसी तरह से अभी आप 71 साल के हो तो आप गुजरात के नवनिर्माण आंदोलन मे शामिल होने के समय बीस-बाईस साल के नौजवान लड़के थे और मै गलत नहीं तो आप उस आंदोलन के सचिव थे तो आप को क्या कहेंगे ? आंदोलनजीवी या आंदोलनकारी ? उस समय के तुरंत बाद ही बिहार में भी जेपी के नेतृत्व में वैसा ही आंदोलन शुरू हुआ है और उसमें भी विशेष रूप से अपने आप को पूछियेगा कि आप उसमें क्या थे ? नानाजी देशमुख ने अपने हाथ पर लाठी झेल कर जेपी की जान बचाने के लिए अपने हाथ को तुडवा लिया था ! आंदोलन के आंदोलनकारियों मे शामिलहोने वाले लोगों मे थे या आंदोलनजीवी थे ?
अब आखिरी बात आपको प्रधानमंत्री बनने के लिए कौनसा आंदोलनजीवी काम आया है ? और यह बात आपसे बेहतर कौन जानता है कि वह आंदोलन था या चंद आंदोलनजीवीयो की हरकतों से आप के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता बना ? क्योंकि आप प्रधानमन्त्री बनने के लिए काफी लोगों की जाने गई है और वह भी एक विशेष समुदाय के लोगों को बहुत ही नियोजन बद्ध तरीके से मारा गया है और वह घृणास्पद माहौल थमने का नाम नहीं ले रहा है उल्टा उसमें आप के आलोचक और विरोधी पार्टियोंके लोगों को भी आपने शत्रुओ की फेरहिस्त में डाल दिया है और उनमें से कुछ लोगों को अपनी जान भी गवानी पडी है !
नरेंद्रभाई लगता है कि आप चिढकर कभी आंदोलन को भला बुरा कहते हो तो कभी छोटी लडकीयो की टिप्पणी को हमारे देश के अंतर्गत दखलंदाजी बोल रहे हैं ! क्या आप भूल गये हैं कि किसी विदेशी सिरफिरे आदमी के लिए विशेष रूप से वोट मांगने के लिए हावडी मोदी और मोटेरा स्टेडियम में करोड़ों रूपये का चुना लगाकर कोविद के सायेमे लाखों लोगों को इकट्ठा वह सिर्फ और सिर्फ उस पागल वर्णद्वेषी और विश्व के आधुनिक समय के सबसे खतरनाक आदमी को मदद करने की बात कौनसे राष्ट्रभक्तों की बात है ?
और चुनाव हारने के बाद भी वह निर्णय को स्वीकार करना तो दूर उल्टा अपने कारिंदों से संसद पर हमला करने वाले लोगों को क्या कहेंगे ? आंदोलनजीवी या आंदोलनखोर या आतंकवादी ? नरेंद्रभाई 1985-86 के समय मे शाहबानो के निर्णय के बाद सवाल कानून का नहीं है आस्था का जुमला हाईजैक कर के बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि पर जो भी कुछ किया गया है उसे आंदोलनजीवी कहेंगे या आंदोलन कारी या आतंकवादियों का कारनामा ?
गत पैतीस सालों मे समय-समय पर देश में फिर वह 27 फरवरी 2002 हो या 6 दिसंबर 1992 हो या 24 अक्तूबर 1989 भागलपुर के तथाकथित रामशिला पूजा का आंदोलन मे शामिल होने वाले लोगों को क्या आंदोलनखोर बोलना ठीक होगा ? या आंदोलन कारी या आतंकवादियों का कारनामा ? नरेंद्रभाई लगता है कि आप बिल्लियों के जैसे आख बंद कर के दुध पीने की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं ! और आप इमानदारी से किसान आंदोलन के कारण बहुत ही विचलित हो कर खिसियानी बिल्ली खंबे नौचे कर रहे हैं !
और पूरे विश्व में आपने प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद ही जो चक्कर लगाना शुरू किया था शायद भारत के इतिहास का सबसे कम समय में यह यात्रा का रिकार्ड भी आपके ही नाम पर जमा हो रहा है ! लेकिन हजारों करोड़ रुपये जो हमारे देश के सभी करदाता के पैसेसे आपने जो भी कष्ट किया लेकिन लगता है कि सबकुछ गुडगोबर हो रहा है ! और इतना महंगा विमान शायद दुनिया का दूसरा देश है भारत की जिसके प्रधानमंत्री के लिए विशेष रूप से आधुनिक सुविधाओं युक्त वायुयान और वह भी कोरोनामे अर्थव्यवस्था गडबडाने के बावजूद ! अब उसका उपयोग कौनसे देश जाने मे काम आयेगा? और कौन सम्मान पूर्वक बुलायेगा ?
उसके बावजूद कौनसे सूत्र है पता नहीं आपके विश्व में लोकप्रिय होने के आकड़े आये दिन बताते हैं कि आप कितने मशहूर हो ! और उसके लिए विदेशी सर्टीफिकेट की आवश्यकता क्यों है ? क्या यह देश के अंतर्गत दखलंदाजी नहीं है ? अगर आप की तारीफ कर रहे हैं और कभी-कभी कोई थोड़ी टिप्पणी ही करने से ऐसा कौनसा आसमान टूट गया है और वैसे भी आपके लिए किसी भी आंदोलन की कोई भी अहमियत नहीं है तो इतना गुस्सा करने की क्या जरूरत है ?
हालांकि आप को जरूर पता होगा क्योंकि नागपुर के संघ के तरफसे चलाया जा रहा तरूण भारत अखबार का संपादकीयमे वर्तमान किसानों के आंदोलन के समर्थन में और आपको कुछ नसीहत देते हुए काफी लंबी टिप्पणी की है ! कहीं आप उससे तो नाराज नहीं ना ? क्योंकि घर वालों की बात है ! जो ज्यादा अखरती है !
यह जो सेफ्रोन डिजिटल आर्मी आपने 2007 से ही तैयार कर रखी है ! और अब तो इसकी संख्या शायद लाखों की हो गई होगी रोज आपकी इमेज बनाने के लिए विशेष रूप से आप के विरोधियों के उपर किस तरह से डिजिटल हमले करती है यह तो आप को अच्छी तरह से मालूम है क्योंकि इसमें से कुछ लोगों को आप खुद फालो करते हैं और इसके प्रमाण स्वाती चतुर्वेदी ने अपने आई एम ए ट्रोल नाम की किताब मे आपका और उनके संबंध के मेसेज फोटो के साथ दिया है ! और इस जमात को पालने की विधि को आंदोलनखोर बोलना शोभा देगा ? और अर्णव,कंगना,तेंदुलकर,लताजी जैसे लोगों का सहारा लेकर क्या सिद्ध करने जा रहे हैं ? याने कि हम तो डूबेंगे सनम लेकिन आपको भी लेकर ! बेचारोने अपनी इज्जत किसी और हुनर के कारण हासिल की है और एक आप हैं कि उनके जीते जी मट्टी पलित करवा रहे हैं !
डॉ सुरेश खैरनार