केंद्र सरकार के साथ काफी जद्दोजहद के बाद बिहार सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सभी 38 जिलों में लागू कर दी है. इस बीमा योजना के तहत् 2016 में धान फसल का बीमा राज्य के सभी 38 जिलों में एवं मकई फसल का बीमा राज्य के 28 जिलों मेें किया जायेगा. दोनों फसलों में किसानों को बीमित राशि का 2 प्रतिशत प्रीमियम देय होगा, शेष प्रीमियम राज्य एवं सरकार द्वारा बराबर-बराबर वहन किया जाएगा. इस योजना में संपूर्ण क्षतिपूर्ति बीमा कंपनी द्वारा दिया जायेगा. इस योजना में ऋृणी एवं गैर-ऋृणी दोनों किसान शामिल होंगे. क्षतिपूर्ति का निर्धारण फसल कटनी प्रयोग के आधार पर किया जायेगा. लेकिन केंद्र सरकार ने इस मामले में जिस तरह से बिहार सरकार की सारी मांगों को दरकिनार कर दिया उससे साफ है कि आगे फसल बीमा योजना की राह इतनी आसान नहीं रहेगी. दरअसल प्रधानमंत्री की यह महत्वाकांक्षी योजना पूरे देश में लागू हो चुकी है, लेेकिन बिहार ने इसकी प्रीमियम शर्तों व नाम को लेकर कुछ आपत्ति उठाई थी.
सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने केंद्र सरकार के सामने राज्य सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने राज्य सरकार की ओर से बीमा का प्रीमियम उत्तर प्रदेश के लिए तय दर यानी 4.09 प्रतिशत करने और प्रीमियम मद में आनेवाले खर्च का 90 प्रतिशत केंद्र और 10 प्रतिशत राज्य सरकार को वहन करने की मांग की. लेेकिन, केंद्र ने दोनों ही मांगों को ठुकरा दिया. गौरतलब है कि बिहार के 16 लाख किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ मिलना था. केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये पर असंतोष जाहिर करते हुए सहकारिता मंत्री आलोक मेहता कहते हैं कि बिहार की जनता सब कुछ देख रही है. उन्होंने कहा कि यूपी के बलिया जिले में बीमा की प्रीमियम दर 6 प्रतिशत और उससे सटे बिहार के बक्सर जिले में 15 प्रतिशत प्रीमियम की दर को कैसे स्वीकार किया जायेगा? मंत्री ने कहा कि फसलों की जितनी क्षति नहीं होती है, उससे अधिक बीमा कंपनी को प्रीमियम देना होगा. हम यही प्रीमियम की राशि किसानों में बांट देंगे. हमारा काम किसानों की मदद करना है, न कि बीमा कंपनी को. मेहता ने कहा कि पीएम सड़क योजना की तरह ही पीएम फसल योजना में भी शत-प्रतिशत राशि केंद्र को देनी चाहिए. बीमा योजना में कम से कम 90 प्रतिशत राशि तो केंद्र सरकार दे, अन्यथा पीएम फसल बीमा योजना का नाम बदलकर पीएम-सीएम फसल बीमा योजना करें. नाम और क्रेडिट केंद्र ले और पैसा राज्य सरकार दे यह नहीं चलेगा.
सहकारिता मंत्री आलोक मेहता कहते हैं कि हम केंद्र सरकार से कोई टकराव नहीं चाहते हैं लेकिन अपनी बात केंद्र सरकार को कहते रहेंगे. फिलहाल यह योजना राज्य में लागू की जा रही है. उन्होंने कहा कि केसीसी के माध्यम से कर्ज लेनेवाले 16 लाख किसानों को इसका सीधे लाभ मिलेगा. वहीं, गैर ऋृणी किसान भी पीएम फसल बीमा योजना में शामिल हो सकेंगे. सहकारिता मंत्री ने कहा कि राज्य में कम संख्या में गैर ऋृणी किसान हैं, इसलिए इस निर्णय से किसानों को बड़ी क्षति नहीं होगी. सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि सरकार इस योजना के लागू होने की प्रक्रिया पर पैनी नजर रखेगी. राज्य सरकार देखेगी कि इस बीमा योजना से कितने किसानों को लाभ मिलता है और हमें कितना प्रीमियम देना पड़ा है? उन्होंने कहा कि अनुभव रहा है कि बिहार में फसलों की अधिकतम क्षति 685 करोड़ रुपये की हुई है. अब हमें बीमा कंपनी को बिहार से 1500 करोड़ रुपये देने होंगे यानी क्षति से अधिक बीमा कंपनियों को प्रीमियम में देना होगा. इस पीएम फसल बीमा योजना में किसानों को कम और बीमा कंपनियों को अधिक लाभ मिलनेवाला है. मेहता ने कहा कि देश में इस बीमा को लागू करने पर तीन हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. बिहार और यूपी की प्रीमियम दरों पर केंद्र सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि एक फर्लांग की दूरी पर बलिया में बीमा की दर कम और बक्सर में प्रीमियम दर अधिक हो जाती है. बिहार में जहां लगभग 15 प्रतिशत प्रीमियम देना होगा, वहीं यूपी को चार प्रतिशत ही देना पड़ेगा, जबकि बिहार में फसलों का रिस्क फैक्टर अन्य राज्यों की अपेक्षा कम है, क्योंकि यहां किसानों को फसल बचाने के लिए डीजल सब्सिडी दी जाती है. यह सुविधा अन्य राज्यों में किसानों को नहीं मिलती है. उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 1.62 करोड़ किसान हैं. इनमें से सिर्फ केसीसी लेनेवाले 16 लाख ऋृणी किसानों को ही बीमा का लाभ मिलेगा. सिर्फ 65 हजार गैर ऋृणी किसानों ने पिछले साल फसल बीमा कराया था. मेहता ने कहा कि यह बीमा बड़े किसानों के लिए है. हम इसके विरोध में नहीं हैं, पर सरकार को छोटे किसानों के लिए भी प्राथमिकता तय करनी होगी. इधर केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि समझ में नहीं आता कि फसल बीमा लागू करने के लिए बिहार सरकार को बधाई दूं या ईश्वर को, जिन्होंने बिहार की सरकार को सद्बुद्धि दी. राज्य सरकार ने इस संबंध में पिछलेे कुछ दिनों में काफी गलतबयानी की और आखिरकार इस योजना को लागू करने की घोषणा कर दी. बिहार सरकार की बेवजह की यह देरी समझ से परे है. केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव कहते हैं कि अगर राज्य सरकार को किसानों की चिंता होती तो योजना को लेकर इतनी रगड़ा-रगड़ी नहीं होती. पूरे देश ने इस योजना को हाथों हाथ लिया पर बिहार सरकार ने बेवजह अड़गा लगा दिया. राज्य सरकार कहती है कि योजना का नाम बदल दीजिए. अब यह सोचने वाली बात है कि किसानों का हित देखना है कि नाम देखना है.
पीएम फसल बीमा योजना पर राज्य में अब तक की कार्रवाई
- कैबिनेट ने 26 मई को खरीफ, 2016 मौसम से इस बीमा योजना लागू करने का संकल्प पत्र जारी किया और इसे गजट में प्रकाशित किया.
- राज्य सरकार ने 14 जून को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति, पटना को सभी ऋृणी किसानों से अनिवार्य रूप से फसल बीमा का प्रीमियम काटने का निर्देश दिया.
- सहकारिता विभाग द्वारा योजना शुरू करने की विज्ञप्ति जारी की गई.
- 21 जून को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति ने सभी बैंकों को प्रीमियम काटने का निर्देश दिया.
- राज्य के सभी केसीसी धारक किसानों को मिले कर्ज की राशि से बीमा पद में प्रीमियम के लिए दो प्रतिशत राशि की कटौती की.