दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने कांग्रेस से जुड़े कई मुद्दों पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती ‘नेतृत्व का सवाल है।’ पूर्व सांसद ने बुधवार (19 फरवरी, 2020) को आरोप लगाया कि इतने महीनों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नया अध्यक्ष तलाशने में नाकाम रहे, क्योंकि सब डरते हैं है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे। इंडियन एक्सप्रेस बातचीत में दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस में कम से कम छह से आठ लोग ऐसे हैं जो पार्टी का नेतृत्व करने में सक्षम हैं। हालांकि उन्होंने यह कहकर वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधा कि ‘कभी-कभी आप निष्क्रियता चाहते हैं क्योंकि आप नहीं चाहते हैं कि कुछ हो।’
संदीप दीक्षित ने कहा, ‘मुझे वास्तव में अपने वरिष्ठ नेताओं से निराशा हो रही है। उन्हें आगे आना होगा। इनमें से अधिकांश जो राज्यसभा में हैं और वो जो पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं, यहां तक की हमारे कुछ मौजूदा मुख्यमंत्री जो बहुत वरिष्ठ हैं। मुझे लगता है कि यह समय उनके आगे आने का है और पार्टी को आगे ले जाने की जरुरत है। कांग्रेस में अमरिंद सिंह, अशोक गहलोत और कमलनाथ हैं, वो एक साथ क्यों नहीं हैं? पार्टी में एकके एंटनी हैं। पी चिदंबरम, सलमान खुर्शीद, अहमद पटेल जैसे नेता हैं। इन सभी नेताओं ने कांग्रेस के लिए बहुत कुछ किया है। मगर वो सभी अपनी राजनीति की शाम में हैं। राजनीति में उनके पास शायद चार या पांच साल का समय बचा है। मुझे लगता है कि ये समय उनके लिए बौद्धिक रूप से योगदान देने का समय है। वो नेतृत्व चयन की प्रक्रिया में जा सकते हैं। केंद्र में या राज्यों में या कहीं और बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।’संदीप दीक्षित ऐसे अकेले नेता नहीं हैं जिन्होंने स्थिति पर सवाल उठाए। इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने राय देते हुए कहा था कि पार्टी को खुद पुनर्जीवित करने के बारे में सोचने की जरूरत है जो ‘काफी समाजवादी’ बनी हुई है और धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीयता के ब्रांड के सवाल पर स्पष्टता लाती है।
वहीं संदीप दीक्षित ने कहा, ‘मौजूदा समय में स्थिति यह है कि सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं। राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष बनना चाहते नहीं हैं। तो आइए हम उनके बयान का सम्मान करें और आगे बढ़े। अगर किसी समय कांग्रेस को लगेगा कि राहुल गांधी को वापस आना है या वो खुद वापस आने चाहते हैं तो अवसर हमेशा खुले रहेंगे। ऐसा अन्य राज्यों में भी हुआ है।’
दीक्षित ने पुरानी बातों को याद करते हुए बताया कि कैसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा (हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री) और शीला दीक्षित (दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री) को उनके राज्यों में नेतृत्व की स्थिति में लाया गया था। उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब यह नहीं है कि पार्टी भविष्य में अपने अच्छे नेताओं का इस्तेमाल नहीं करेगी।’
पूर्व सांसद ने कहा, ‘राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेताओं से नए अध्यक्ष की तलाश करने के लिए कहा था, मगर वो नाकाम रहे। किसी एक नेता पर उंगली उठाना बहुत आसान है। मगर बाकी के 30, 40, 50 नेता क्या कर रहे हैं? आपको एक चुनौती दी गई है। तब के हमारे अध्यक्ष ने कहा कि वो अब पार्टी अध्यक्ष बनने के इच्छुक नहीं है। अब आपके लिए चुनौती यह थी कि आपस में मिलजुल कर रहें, लोगों को एक साथ रखें, एक आम सहमति बनाएं और एक नया कांग्रेस अध्यक्ष चुनें। यह सिर्फ यह दर्शाता है कि किसी भी स्तर पर, हम कोई भी निर्णय लेने से डरते हैं। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस में नेता नहीं हैं, हमारे पास नए लोग नहीं हैं।