वरिष्ठ साहित्यकार मंजूर एहतेशाम जी के निधन के समाचार से स्तब्ध हूं ।अभी 3 अप्रेल को उनके जन्म दिन पर उनसे फोन पर कुछ देर तक बात हुई थी ।

उनके साथ बातचीत में हम प्रायः फासीवाद के गहराते संकट को लेकर अपनी चिंताएं साझा करते थे ।वे हमेशा ही प्रतिरोध की अभिव्यक्ति पर जोर देते थे ।

प्रगतिशील ,धर्म निरपेक्ष मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता और मेहनतकशों के प्रति पक्षधरता से प्रेरित मंजूर एहतेशाम जी का अवदान अविस्मरणीय है ।

कट्टर पंथ और अंध विश्वासों का उन्होंने रचनात्मक स्तर पर कड़ा प्रतिरोध किया ।उनकी तसबीह जैसी कहानियां अत्यंत प्रेरक हैं ।

रमज़ान में एक मौत

जैसी उल्लेखनीय कहानी के रचनाकार मंजूर एहतेशाम जी रमज़ान में ही नहीं रहे ।
बहुत दुख और शिद्दत के साथ श्रद्धांजलि अर्पित है ।

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