हर साल पूरी दुनिया से तक़रीबन 20 लाख लोग हज अदा करने सऊदी अरब पहुंचते हैं, जिसमें अकेले भारत की भागीदारी एक लाख से अधिक होती है. इस साल भी भारत से तक़रीबन 1.36 लाख मुसलमान इस मुक़द्दस फ़र्ज़ की अदायगी के लिए सऊदी अरब रवाना होंगे. दरअसल, इतने बड़े पैमाने पर लोगों के आने-जाने, उनके ठहरने, खाने-पीने के साथ-साथ हज अदायगी की व्यवस्था करना पेचीदा और कठिन काम है. इसलिए हज का सफ़र शुरू करने से लेकर वतन वापसी तक हाजियों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. चौथी दुनिया अक्सर हज और हाजियों से जुड़े मसले उठाता रहा है. भारत सरकार ने इस बार हज के महकमे की ज़िम्मेदारी विदेश राज्यमंत्री जनरल (रिटा.) वीके सिंह को सौंपी है. इसलिए हज और हाजियों से जुड़े तमाम मुद्दों की तऱफ सरकार का ध्यान आकर्षित करने और उनके हल के लिए चौथी दुनिया ने जनरल वीके सिंह की एक प्रेस कांफ्रेंस दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित की. इस प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली के नामचीन उर्दू अख़बारों के साथ-साथ अधिकांश छोटे-बड़े मीडिया हाउसेस को शिरकत की दावत दी गई थी. उनमें से कुछ के नुमाइंदे आए और बाकियों ने हाजियों की समस्याओं को ध्यान देने के काबिल नहीं समझा. उनमें उर्दू के बड़े अख़बार भी शामिल थे. प्रस्तुत है जनरल वीके सिंह की प्रेस कांफ्रेंस पर आधारित चौथी दुनिया की रिपोर्ट…

hudge-commetiभारत सरकार इस बार हाजियों के लिए नए तरीके से काम कर रही है. इस बार हज यात्रा की ज़िम्मेदारी विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह को दी गई है, जिसे पूरा करने के लिए जनरल वीके सिंह जद्दा का दौरा भी कर चुके हैं और हज यात्रा से संबंधित कई मामलों पर सऊदी सरकार के साथ बातचीत भी. पहले की तुलना में कई प्रमुख बदलाव किए गए हैं. स्टैंडर्ड बैगेज, लोगों के खाने-पीने, आने-जाने, ठहरने और कुर्बानी जैसे कई बुनियादी मसलों पर दोनों सरकारों के नुमाइंदों के बीच रजामंदी हुई. इन्हीं तमाम बातों का इजहार जनरल वीके सिंह ने चौथी दुनिया की हज से जुड़ी इस प्रेस कांफ्रेंस में किया. उन्होंने कहा कि इस बार हज यात्रा की कमान एक फौजी के हाथों में है, इसलिए किसी भी तरह की अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
इस बार 20 देशों के लोगों से कहा गया है कि हज यात्री स्टैंडराइज्ड बैगेज लेकर आएं, जिनमें भारत भी शामिल है. सऊदी की अथॉरिटीज ने सवाल उठाया कि भारत के हज यात्री बोरियां और कई तरह के नॉन स्टैंडर्ड बैगेज लाते हैं, जिन्हें लाने-ले जाने, सुरक्षा जांच और कनवेयर बेल्ट पर रखने में असुविधा होती है तथा सामान गुुम होने, देरी से पहुंचने जैसी शिकायतें मिलती हैं. इसलिए सऊदी सरकार ने भारत सरकार से अनुरोध किया कि वह अपने हज यात्रियों को स्टैंडर्ड बैगेज के साथ भेजे, जिसे भारत सरकार ने मान लिया है. जनरल सिंह ने कहा कि जब बांग्लादेश अपने हज यात्रियों को स्टैंडराइज्ड बैगेज के साथ भेज सकता है, तो भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता. ऐसा करने से यात्रियों को सहूलियत होगी, उनका सामान उनके साथ ही पहुंचेगा. जब बैगेज की गुणवत्ता और क़ीमत के बारे में सवाल खड़े किए गए, तो जनरल सिंह ने कहा कि हमने वीआईपी और सेमसोनाइट जैसी कंपनियों से इस संबंध में निविदाएं मंगाई थीं. वीआईपी 5,100 रुपये में हर शहर में बैग उपलब्ध कराने की हमारी शर्त पर राजी हो गया, इसलिए वीआईपी को यह काम दे दिया गया. लेकिन जब क़ीमतों में अंतर के संबंध में जनरल सिंह से सवाल पूछे गए, तो उन्होंने कहा कि हमने पूरी तफ्तीश और जांच के बाद ही यह फैसला लिया है. उक्त बैग हज यात्रियों को बाज़ार मूल्य से 40 प्रतिशत कम दाम में मिलेंगे. बावजूद इसके कोई शिकायत या असंतोष हो, तो सैंपल विदेश मंत्रालय के हज विभाग में उपलब्ध हैं, जिन्हें कोई भी जांच सकता है और आपत्ति दर्ज करा सकता है. यदि कंपनी किसी तरह की गड़बड़ी करती है, तो उसे परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा. उन्होंने यह भी बताया कि कुछ राज्यों ने बैगेज की क़ीमत अदा करने की इच्छा जाहिर की है. केंद्र सरकार ने उन्हें इसके लिए अनुमति दे दी है.
जहां तक हज कोटे का सवाल है, तो सऊदी सरकार का इस संबंध में एक फॉर्मूला है. वह प्रत्येक 1,000 लोगों में से एक को हज करने का मा़ैका देता है. मक्का और मदीना में विस्तार का काम चल रहा है, इसलिए सऊदी सरकार ने दूसरे देशों के हज कोटे में 20 प्रतिशत की कटौती की और अपने कोटे से 50 प्रतिशत की. पिछले कुछ सालों से भारत का कोटा 1.76 लाख से घटाकर 1.36 लाख कर दिया गया है. जनरल सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने सऊदी सरकार से अपील की कि भारत के कोटे का निर्धारण 2001 की जनगणना के बजाय 2011 की जनगणना के आधार पर किया जाए. इस पर सऊदी सरकार की तऱफ से आश्वासन मिला कि वह इस अनुरोध पर विचार करेगी.
जहां तक प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स का सवाल है, तो हाजियों की शिकायत उनके बारे में यह रहती है कि वे मनमानी करते हैं, जिसकी वजह से हाजियों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है. इस संबंध में जनरल सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार उनके 27 प्रतिशत के कोटे को बरकरार रखा गया है, हालांकि सरकार ने इस बार प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स के लिए नियमों में सख्ती कर दी है. जो टूर ऑपरेटर्स सरकार की शर्तों को पूरा नहीं करेंगे, उन्हें हाजियों को ले जाने की अनुमति नहीं होगी. इसके अलावा जिस किसी प्राइवेट टूर ऑपरेटर के संबंध में अनियमितताओं की शिकायत मिलेगी, उसे ब्लैक लिस्टेट कर दिया जाएगा.
हाजियों की सहायता के लिए खुद्दामों और अन्य अधिकारियों की टीम उनके साथ जाती है. आम तौर पर हाजियों की शिकायत यह रहती है कि इन खुद्दामों को न तो वहां के रास्तों की जानकारी होती है और न वहां की बोली की. ऐसे में वे हाजियों के लिए मददगार साबित नहीं हो पाते. यदि कोई वीआईपी डेलिगेशन हज पर जाता है, तो वे उसी की खिदमत में लग जाते हैं या फिर अपनी इबादत में मशगूल रहते हैं. जनरल सिंह ने कहा कि इस बार खुद्दामों और दूसरे अधिकारियों के लिए न्यूनतम अर्हता रखी गई है और उनका चुनाव उसी आधार पर पारदर्शी तरीके से किया जाएगा. उनके चुनाव के वक्त इस बात की अच्छी तरह तस्दीक की जाएगी कि वे वहां के रास्तों और वहां की भाषा से अच्छी तरह वाकिफ हों. उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. यदि उनके संबंध में शिकायतें मिलती हैं, वे अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन अच्छी तरह नहीं करते हैं, तो उन्हें तत्काल हटा दिया जाएगा. इस बार कोशिश की गई है कि कोई वीआईपी डेलीगेशन हज पर न जाए. यदि जाए, तो खुद्दाम उनकी सेवा में न लगे रहें. हाजियों के साथ डॉक्टरों का एक दल भी जाता है और वहां एक मेडिकल कैंप लगाता है. इसके लिए पहले हज कमेटी दवाइयां खरीदती थी, लेकिन इस बार सरकार ने ऑर्म्ड फोर्सेस सर्विसेस के हेड के मार्फत दवाएं मंगाई हैं, ताकि दवाइयां सही क़ीमत पर और गुणवत्ता वाली हों. साथ ही दवाओं की खरीद में किसी तरह की धांधली भी न हो. सरकार ने ऑर्म्ड फोर्स के कुछ डॉक्टरों की भी मांग की है, ताकि हाजियों के स्वास्थ्य का ख्याल रखा जा सके.
सऊदी सरकार की ओर से यह प्रावधान है कि हाजियों को कुर्बानी के लिए इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक के कूपन दिए जाते हैं. भारत सरकार भी अपने हाजियों के लिए कूपन लेती रही है. लेकिन, सऊदी अधिकारियों ने भारत का नाम लिए बगैर कहा कि दक्षिण एशिया के कुछ देशों के दलाल नकली कूपन बांटने का धंधा करते हैं. जाहिर है कि यदि ऐसे दलालों से कोई कूपन खरीदता है, तो उसकी कुर्बानी नहीं होगी. इसलिए इस बार भारत सरकार कूपन उपलब्ध कराएगी और काउंसलेट जनरल को हिदायत दी गई है कि हर कुर्बानी की पुष्टि के लिए एक व्यक्ति तैनात करें, ताकि हाजियों को संतुष्टि हो जाए कि उनका हज मुकम्मल हो गया है.

हाजियों की सहायता के लिए खुद्दामों और अन्य अधिकारियों की टीम उनके साथ जाती है. आम तौर पर हाजियों की शिकायत यह रहती है कि इन खुद्दामों को न तो वहां के रास्तों की जानकारी होती है और न वहां की बोली की. ऐसे में वे हाजियों के लिए मददगार साबित नहीं हो पाते. यदि कोई वीआईपी डेलिगेशन हज पर जाता है, तो वे उसी की खिदमत में लग जाते हैं या फिर अपनी इबादत में मशगूल रहते हैं.

हाजियों को हवाई यात्रा के दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस बार हज यात्रियों को ले जाने के लिए इंडियन एयरलाइंस को 30 प्रतिशत कोटा दिया गया है. पिछले साल तक इंडियन एयरलाइंस को 50 प्रतिशत कोटा दिया जाता था, जिसमें से कुछ हिस्सा इंडियन एयरलाइंस आउटसोर्स कर देती थी. ऐसे में कई कांट्रेक्ट एयरलाइंस बीच में आ जाती थीं, जिससे हाजियों को उड़ान भरने और उतरने के लिए घंटों विमान में इंतजार करना पड़ता था. इस बार इंडियन एयरलाइंस को कहा गया है कि उसे जिन निजी ऑपरेटर्स के विमान लेने हैं, वह उनसे पहले ही समझौता कर ले. बीच में किसी और को घुसने नहीं दिया जाएगा. सरकार ने इस बार सीधे तौर पर विमानन क्षमता के अनुरूप इंडियन एयरलाइंस का कोटा घटाकर तीस प्रतिशत कर दिया, ताकि वह सही तरीके से हाजियों को ले जा सके. बाकी 70 प्रतिशत कोटे में से 60 प्रतिशत सऊदी एयरलाइंस और 10 प्रतिशत सऊदी अरब की एक अन्य एयरलाइंस को दिया गया है. और, ऐसी एयरलाइंस को ज़िम्मेदारी दी गई है, जो नियमित तौर पर अपने विमानों से एयर सर्विसेस उपलब्ध कराती हैं. इस बार मान्यता प्राप्त एयरलाइंस को कोटा दिया गया है, इसलिए इस बार फ्लाइट्‌स में देरी नहीं होगी. एक मसला आब-ए-जमजम का भी है. पिछले साल शिकायत आई कि कई हाजियों का आब-ए-जमजम उन्हें नहीं मिला. ज़्यादातर लोगों का आब-ए-जमजम उनके साथ भारत नहीं आया. जनरल सिंह ने कहा कि स्टैंडराइज्ड बैगेज होने की वजह से आब-ए-जमजम हाजियों के साथ ही आएगा.
भारत में खाने को लेकर भी विविधता है. इस बात का ध्यान रखते हुए लोगों के लिए चार तरह के मेन्यू रखे गए हैं. यह ज़िम्मा भी विश्वसनीय और जानी-मानी कैटरिंग एजेंसियों को दिया जाएगा. उनमें से एक सऊदी एयरलाइंस को खाना मुहैया कराती है. ऐसा करने से हर किसी को अपनी पसंद का गुणवत्ता वाला भोजन यात्रा के दौरान मिल सकेगा. हाजियों की रिहाइश एक बड़ा मसला है. इस बार सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एक लांग टर्म एकोमोडेशन कमेटी बनाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हाजियों के रहने के लिए जगह हर साल लेते हो, तो आप एक साथ चार-पांच साल के लिए जगह क्यों नहीं लेते हो? इससे खर्च भी कम होगा और जगह भी अच्छी मिल सकेगी. शाहनवाज हुसैन की अध्यक्षता में एक कमेटी जद्दा इसी सिलसिले में गई थी, लेकिन वहां लांग टर्म के लिए बात नहीं बन पाई. लोग दो साल के लिए तो जगह देने को तैयार हैं, लेकिन हम कम से कम तीन साल के लिए चाहते हैं. इस बार सऊदी सरकार द्वारा स्वीकृत जगहों पर ही हाजियों के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है, जहां खाना बनाने के लिए किचन भी उपलब्ध रहेगा. इसके लिए सऊदी के काउंसलर जनरल ऑफ इंडिया की देखरेख में एक मॉनीटरिंग कमेटी बनाई गई है. इसके साथ ही जनरल सिंह ने आश्वासन दिया कि उम्रदराज हाजियों के रहने के लिए भूतल और पहली मंजिल पर व्यवस्था की जाएगी, ताकि उन्हें किसी तरह की तकलीफ न हो. साथ ही उन्हें काबा के निकट रुकने की जगह देने की कोशिश की जाएगी.
शिकायत के लिए सेंट्रलाइज्ड ई-मेल और ऐप्प
जनरल वीके सिंह ने कहा कि वह कोशिश कर रहे हैं कि हाजियों की शिकायतों और सुझावों के लिए एक ऐप्प और ई-मेल उपलब्ध कराएं. अब तक हम हाजी लोकेटर नामक एक ऐप्प उपलब्ध कराते हैं. हम एक नया ऐप्प डेवलप करेंगे, ताकि शिकायत या सुझाव एक साथ चार-पांच लोगों के पास पहुंच जाए, जिससे हाजियों की समस्याओं का समाधान हो सके.
हज कमेटी को सरकारी उपक्रम बनाने पर विचार
हज कमेटी का हाजियों के साथ कोई लीगल कॉन्ट्रेक्ट नहीं होता है. हज कमेटी की कोई एकाउंटेबिलिटी नहीं है. ऐसे में हाजी हज कमेटी को कंज्यूमर फोरम या अदालत में चुनौती नहीं दे सकते. हज कमेटी यह दावा करती है कि वह मुफ्त में सेवाएं देती है, जो कि झूठ है. हज कमेटी को सरकार हर साल तक़रीबन आठ करोड़ रुपये देती है. प्राइवेट ऑपरेटर्स के साथ हाजी का एग्रीमेंट होता है, उसे आप कंज्यूमर फोरम में ले जा सकते हैं. तो क्या भारत सरकार के उपक्रम के रूप में हज कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का गठन नहीं किया जा सकता? इस सवाल के जवाब में वीके सिंह ने कहा कि इस मसले पर बहुत सलाह-मशविरा करने की ज़रूरत है. विभिन्न पक्षों के साथ बैठकर ़फायदा और नुक़सान देखकर इस दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है. साथ ही मौजूदा सेटअप में हज कमेटी को कैसे ज़िम्मेदार बनाया जा सकता है, इस पर भी विचार करेंगे.
उर्दू पत्रकारों की उदासीनता
छह जून को हज कमेटी की उक्त प्रेस कांफ्रेंस को कवर करने के लिए उर्दू के रिपोर्टर बड़ी तादाद में मौजूद थे, क्योंकि वहां खाने-पीने का बेहतरीन इंतजाम था. लेकिन, हज के मुद्दे पर जनरल वीके सिंह की प्रेस कांफ्रेंस में बहुत कम पत्रकार पहुंचे. इस पर तुर्रा यह कि दूसरे दिन के अ़खबारों में जहां हज कमेटी के चेयरमैन के वक्तव्यों को भरपूर कवरेज मिली, वहीं जनरल वीके सिंह को कोने में कहीं थोड़ी-सी जगह दी गई. जबकि हज के बारे में आधिकारिक तौर पर सभी निर्णय विदेश मंत्रालय ही लेता है. इससे पत्रकारों की इस मुद्दे को लेकर गंभीरता जाहिर हो जाती है.


हज कमेटी की प्रेस कांफ्रेंस
आम तौर पर हज कमेटी की तऱफ से कोई ऐलान किया जाता है, तो समझा जाता है कि वह सरकारी फैसला है. लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि हज कमेटी एक ग़ैर सरकारी संस्था है. इसके हज यात्रा से संबंधित अधिकार सीमित हैं. हाजियों के संबंध में तमाम बड़े फैसले विदेश मंत्रालय द्वारा लिए जाते हैं. हज कमेटी उन फैसलों की देखरेख करती है. सऊदी अरब में हाजियों की देखरेख की ज़िम्मेदारी वहां स्थित वाणिज्य दूतावास की होती है. जहां तक हज कमेटी का सवाल है, तो उसे सही तथ्यों की जानकारी नहीं होती, लेकिन वह उसकी अपने कार्यक्रमों में घोषणा कर देती है. मसलन, छह जून को ही हज कमेटी के चेयरमैन शमीम कैसर ने प्रेस कांफ्रेंस में हज के संदर्भ में ऐसी बातें बताईं, जो जनरल सिंह के बयान से मेल नहीं खाती. हाजियों की रिहाइश की परेशानियों के बारे में जब शमीम कैसर से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि ग्रीन कैटेगरी के लिए पांच टॉवरों का एक शानदार कॉम्पलेक्स चुन लिया गया है. हाजियों के रहने के लिए जिस कॉम्पलेक्स की बात कैसर कह रहे हैं, जनरल सिंह के अनुसार, वहां कमरों में रसोई घर नहीं है. रसोई की व्यवस्था होने पर ही अंतिम फैसला होगा, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार लांग टर्म एग्रीमेंट की बातचीत चल रही है. उस पर भी कोई ़फैसला नहीं हुआ है. हज कमेटी के चेयरमैन ने कहा कि वीआईपी को बैग का काम दे दिया गया, क्योंकि किसी और कंपनी ने निविदा नहीं भेजी. जबकि जनरल सिंह ने कहा कि वीआईपी और सैमसोनाइट के दाम एक जैसे थे, लेकिन हर शहर में डिलीवरी देने की सुविधा को ध्यान में रखकर वीआईपी को यह ज़िम्मेदारी दी गई.

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