विनोबाजी के बारे में जे पी आंदोलन में उनकी भूमिका को लेकर मैं बेहद नाराज था लेकिन गाँधी अब नहीं रहे आगे क्या यह गोपाल कृष्ण गांधी ने सम्पादित की हुई किताब पढ़ने bके बाद मेरे मन से वह नाराजगी एकदम साफ हो गई ! गाँधी हत्या के बाद सेवाग्रामे  1948 के मार्च के प्रथम सप्ताह में एक बैठक हुई थी जिसके कारण आज का सर्व सेवा संघ की स्थापना हुई ! जिसमें नेहरु,पटेल,मौलाना आजाद,राजेंद्र प्रसाद,जे पी,तुकड़ोजी महाराज,कृपलानी ,और विनोबाजी भि शामील थे डॉ राम मनोहर लोहिया बैठकमे नहीं शामिल हो सके इसका अफसोस गोपाल कृष्ण गांधी जी ने किताब की प्रस्तावना में विषेश रुप से लिखा है !  उस तीन दिन की बैठक में विनोबाजी दो दिन हो गये तो भी कुछ नहीं बोले थे तो राजेंद्र प्रसाद जो बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे तो उन्होंने विनोबाजी को कहा कि दो दिन हम गये हैं लेकिन आप कुछ नहीं बोले कृपया आप बोलिये तब विनोबाजी बोले !

बापुकी हत्या होनेके आक्रोश में आपसभी बहुत  बोल रहे हैं लेकिन मुझे उनकि हत्याके बाद लज्जाबोध हूआ है ! इसलिए मैं मौन हो गया हूँ !! क्योंकि बापुकी हत्या करने वाले की और मेरी जात एक ही है महाराष्ट्र के ब्राह्मण ! भले मैने जातीका त्याग किया है पर यह भूल नही सकता की उसका जिस संगठन के साथ संबंध था वह भी महाराष्ट्र के ब्राह्मणों ने बनाया है और उनके सभि प्रमुख कर्यकर्ता  महाराष्ट्र के ब्राह्मण है और उनके अभिके प्रमुख(गोल्वल्करका) का एक वक्तव्य मैने देखा है कि हमारा आदर्श अर्जून होना चाहिए क्योंकि अर्जून को यह कहा गया था की युध्द में सामने तुह्मरे रिस्तेदार,स्नेहीजनों को प्रणाम करो और उनका वध करो ! गीता का भक्ततो  मै भी हूँ पर एक गीता का अर्थ वे इसतरह लगाते हैं ! बेचारी गीता !! इसलिए सन्घपरिवारके लोगों को सिर्फ दंगा फसाद करने वालेही मत समझो वो फिलॉसॉफर भी है ! धर्म ग्रंथों का अर्थ लगाने की उनकी अपनी पद्दती हैं इसि कारण आज हमने बापुको खोया है !

संघ फासिस्ट विचार वाला संगठन है और इसके खिलाफ मोर्चा हमारा अपना होना चाहिए जिसमे समाजवादी और जो अपने आपको इन्सान समझते हैं ऐसे सभी लोगों का मोर्चा बनाकर सन्घपरिवारके खिलाफ काम शुरु करने की जरूरत है !
क्या विनोबाजी की सिर्फ जयंती पुन्यस्मरण ही करते रहेंगे या उह्नोने दिखाये हूआ रास्तेसे चलना चाहिए ? मैं गत एक सप्ताह से आसाम में हूँ यहाँ पर भी सन्घपरिवारके कई तरह के काम चल रहें हैं और विनोबाजी,गाँधीजी के संस्थाओं का काम आखिरी साँस लेते नजर आ रहा है ! हम लोगों ने विनोबाजी के 125 वर्ष और गांधीजी के 150 वर्ष के बहाने संकल्प करना चाहिए कि सन्घपरिवारके खिलाफ जिस मोर्चे की बात विनोबाजीने की थी आज उस बात को 71 साल हो चुके हैं लेकिन उसपर चलना तो दूर हम लोग सिर्फ अपने रोजमर्रा के कर्मकांड में व्यस्त हैं ! अभीभि समय है हमने विनोबाजी की बात को अमली जामा पहनाने के लिए लग जाना चाहिए क्योंकि अब कश्मीर कल नॉर्थ ईस्ट बादमे 5वी और 6ठी अनुसूची जो आदिवासियो के लिए विशेष प्रावधानों के लिए हमारे सविंधान निर्माताओने बनाया है वह सब कुछ बदल ने के लिये सन्घपरिवारकी शुरुआत हो चुकी है कश्मीर,एन आर सी यह उसकी शुरुआत हुई है और आगे बहुत कुछ होनेवाला है उसकेलिये हम लोगो ने विनोबाजी की भाषा में एक मोर्चा खोलने की शुरुआत करनी चाहिए यही विनोबाजी और गाँधीजी को सही स्मरण हो सकता है

डॉ सुरेश खैरनार,शिवसागर,आसाम 11 सितम्बर

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