‘एक वर्ष पहले मेरी बेटी की शादी तय हो चुकी है. मेरे पास रुपए नहीं हैं. सोचा था जमीन बेच कर बेटी की शादी करूंगा. लेकिन मेरी जमीन के खरीददार ही नहीं हैं. मेरे माता-पिता की तबियत खराब थी, मैं उनके इलाज के लिए दो कट्‌ठा जमीन बेचना चाहता था, लेकिन वह नहीं बिक नहीं पाईं. जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई.’ यह दर्द है नोखा नगर पंचायत के वार्ड नंबर 13 नोखा टोला लालगंज के एक निवासी का. इनकी अपनी जमीन काम नहीं आ रही है. इन ग्रामीणों की गलती यही है कि उनके गांव को नोखा नगर पंचायत में शामिल कर लिया गया है. जिसके बाद वे शहरी कहलाने लगे हैं.

शहरी बनने की गांव के लोग विडंबना भूगत रहे हैं. शहर घोषित होने के बाद उनकी जमीन के खरीददार नहीं मिल रहे हैं. नगर पंचायत में गांव शामिल हुआ, तो सरकार ने जमीन की कीमत दस गुना बढ़ा दी. जमीन का वर्तमान मूल्य 7 लाख रुपए बिघा है, तो सरकारी दर के अनुसार, उसी जमीन की कीमत 53 लाख रुपए हो गई है. हालात ये हैं कि खरीदारों को वर्तमान मूल्य के बराबर सरकार को टैक्स देना पड़ रहा है, जिससे जमीन की कीमत दो गुनी होने के कारण खरीददार भड़क जा रहे हैं. गांव के लोग परेशान हैं. मुसीबत के समय में उनकी ही जमीन उनके काम नहीं आ रही है.

गौरतलब हो कि नोखा नगर पंचायत में लालगंज गांव के शामिल होते ही वहां की जमीन को सरकार ने व्यवसायिक घोषित कर दिया. गांव में सड़क, नालियां तो बनी. लेकिन, नोखा बाजार से करीब 4 किलोमीटर दूर होने के कारण वर्तमान समय में भी लालगंज गांव ही बना हुआ है. सरकार ने लालगंज गांव की भूमि की कीमत प्रति एकड़ 85 लाख रुपए घोषित कर दी है. एक एकड़ जमीन में 32 कट्‌ठा और एक कट्‌ठा खेत की कीमत 2.65 लाख रुपए हो गई है. जबकि, गांव में प्रति कट्‌ठा खेत की वर्तमान कीमत मात्र 35 हजार रुपए है. जो कि किसी नगर पंचायत के जमीन के बराबर है. ऐसे में खेतों के खरीददार नहीं मिल रहे हैं.

गांव में रूकने लगी बेटियों की शादियां

नोखा टोला लालगंज के निवासी राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि मेरी बेटी की शादी एक वर्ष से तय है. मेरे पास रुपए नहीं हैं, जिस कारण शादी रूकी हुई है. जमीन बेचने की कोशिश कर रहा हूं. लेकिन, हमारी जमीन की सरकारी कीमत बाधक बन रही है. हमारी जमीन के खरीददार नहीं हैं. यही हाल राम प्रताप सिंह का है. वे कहते हैं कि बेटी की शादी काफी दिनों से तय है. सोचा था जमीन बेचकर बेटी की शादी कर दूंगा. लेकिन, हमारी जमीन के खरीददार नहीं मिलने के कारण बेटी की शादी की चिंता हमें सता रही है. शादी अप्रैल में होनी तय है, लेकिन जमीन बिकेगी तभी तो शादी हो पाएगी.

बिन दवा मर रहे लोग

गांव के दशरथ सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष 21 नवंबर 2017 को मेरे पिताजी की मृत्यु इलाज के अभाव में हो गई. इलाज के लिए मेरे पास रुपए नहीं थे. मैं पिता जी के इलाज के लिए अपना खेत बेचना चाह रहा था. लेकिन, कोई खरीददार नहीं मिला. अंत में मेरे पिता की इलाज के अभाव में मृत्यु हो गई. सरकार ने ऐसा किया कि हमारी जमीन अब बिक ही नहीं रही है. वहीं, गांव के शिवनाथ सिंह ने बताया कि मेरी माता स्व. राजमुना देवी की तबियत जब खराब हुई थी. उस वक्त उनके इलाज के लिए मेरे पास रुपए नहीं थे. मैं अपना तीन कट्‌ठा खेत बेचना चाह रहा था. कई लोगों से बात भी की लेकिन, जमीन का टैक्स ज्यादा होने से कोई खरीदने को तैयार नहीं हुआ. अंतत: इलाज के अभाव में मेरी माता जी स्वर्गवासी हो गईं. गांव में अभी और भी ऐसे लोग हैं, जो चाहकर भी अपनी जमीन नहीं बेच पा रहे हैं. इसका एक ही कारण है, जमीन का सरकारी दर वर्तमान मूल्य से ज्यादा होना.

योजनाओं के लाभ से वंचित हैं लोग

नोखा टोला लालगंज की जनसंख्या लगभग 1200 है. अधिकांश लोग खेती पर निर्भर हैं. उनकी मुसीबत में उनका खेत ही काम आता है. नगर पंचायत में शामिल होते ही, उनके खेत पेट तो भर रहे हैं, लेकिन मुसीबत के समय काम नहीं आ रहे हैं. हालत यह है कि नगर पंचायत में शामिल होने के बाद गांव में आधी पक्की सड़क व आधी कच्ची सड़क के साथ कुछ दूर तक नाली बनी है. इसके बाद भी गांव में सुविधा के नाम पर अगर कुछ नगर पंचायत से मिला होगा, तो वह जमीन पर दिखाई नहीं पड़ता. लालगंज के निवासी शिवनाथ सिंह, कामेश्वर सिंह, लालबाबू सिंह, रामाशंकर सिंह, राजकिशोर सिंह, चन्दन सिंह, मोहन सिंह, नागेश्वर सिंह, कामेश्वर सिंह, अनिश कुमार, नीतीश कुमार, छठू सिंह, धर्मवीर कुमार, ददन सिंह, अर्जुन सिंह, कौशल कुमार, नौमी चौहान आदि ने बताया कि हमारे वार्ड को तो विकसित नहीं किया जा रहा है, लेकिन जमीन की कीमत सरकार ने बढ़ा दी है.

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि व अधिकारी

जरा देखिए वर्तमान वार्ड पार्षद कौशल्या देवी के पति को, कहते हैं कि हमें इसकी जानकारी ही नहीं है. अगर ऐसा है, तो इसके लिए बात आगे बढ़ाई जाएगी. वहीं, नगर पंचायत के प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी वीरेन्द्र कुमार प्रभाकर कहते हैं कि मुझे आए हुए करीब डेढ़ माह हुआ है, लेकिन मुझे इस संबंध में कोई आवेदन नहीं मिला है. मुझे जमीन की कीमत के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

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