उत्तर प्रदेश के बहराइच से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. जो न सिर्फ केंद्र बल्कि राज्य सरकार के स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलता नज़र आ रहा है. जहां एक तरफ बहराइच में भी 100 बेड का नया महिला अस्पताल शुरू हो गया है. तो वहीं दूसरी तरफ अस्पताल प्रशासन की लापरवाही ने गर्भवती महिला को फर्श पर ही बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर कर दिया.

मामला बहराइच के रिसिया इलाके का है. जहां लेबर पेन से जूझती एक महिला को जब परिजन अस्पातल लेकर पहुंचें तो घंटों तक अस्पताल के स्टाफ ने उसकी कोई सुध नहीं ली. जिससे उसका दर्द लगातार बढ़ता रहा और मजबूरी में महिला को फर्श पर ही बच्च्चे को जन्म देना पड़ा. परिजनों का आरोप है कि इलाज में हुई देरी की वजह से बच्चे की मृत्यु हो गई. जबकि उनका कहना है बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था.

बताया जा रहा है कि रिसिया इलाके के शंकरपुर की रहने वाली सरिता त्रिपाठी को जब लेबर पेन शुरू हुआ तो वह अपने पति कौशलमल त्रिपाठी और परिवारवालों के बहराइच ज़िला अस्पताल पहुंची. लेकिन काफी कोशिशों के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने उनकी एक ना सुनी और सरिता को एडमिट करने से इनकार कर दिया. इस दौरान सरिता लेबर पेन से जूझती रही. मजबूर होकर उसे वहीं फर्श पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा. जिसके बाद आनन-फानन में सरिता को प्रसव कक्ष में शिफ्ट किया गया. लेकिन इस बीच बच्चे की मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद सरिता के पति ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की वजह से बच्चे की मौत हुई है.

हालांकि मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉक्टर मधु गैरोला ने इस पूरे मामले पर कहा कि गर्भवती महिला को अस्पताल लाने में काफी देर हो गई थी. इस दौरान जब उसे प्रसव कक्ष में उसे शिफ्ट किया जा रहा था, तभी प्रसव हो गया. वहीं बच्चे की मृत्यु पर उनका कहना था कि
बच्चे की मौत में गर्भ में हो चुकी थी.

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