सुप्रीम कोर्ट आज यानी की 29 अक्टूबर 2018 को देश और जनमानस को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा मुद्दा राम मंदिर और बाबरी मस्जिद प्रकरण की सुनवाई करने जा रहा है.

बीते 27 सितंबर को कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अब इस मसले की सुनवाई कोर्ट की नई बैंच करगी जिसमें नवनिर्वाचित न्यायाधीश रंजन, गोगोई, एम किशन कौल, केएम जोसेफ शामिल है. बता दें कि पूराने बैंच में पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, अब्दुल नजीर और अशोक भूषण शामिल थें.

अयोध्या विवाद कब क्या हुआ?

1949: बाबरी मस्जिद में भगवान राम की मुर्ती देखी गई थी, सरकार ने परिसर को विवादित घोषित करते हुए भीतर जाने वाले को दरवाजे को बंद कर दिया.

1950: हिंदू पक्षकारों ने फैजाबाद अदालत में याचिका दाखिल कर उस विवादित स्थल पर पूजा करने की मांग की.

1959: निमोही अखाड़ा ने याचिका दाखिल कर मस्जिद पर नियंत्रन की मांग की,

1961: सुन्नी वर्फ बोर्ड ने याचिका दाखिल कर कहा कि मस्जिद से मर्तियों को हटाया जाए.

1984: विश्व हिन्दू परिषद ने मंदिर निर्मान के लिए जनसमर्थन जुटाने का प्रयास किया.

1986: फैजाबाद कोर्ट ने पूजा करने के लिए मस्जिद के दुवार खोलने के आदेश दिए.

1989: राजीव गांधी ने विश्व हिन्दू परिषद को विवादित स्थल के करीब पूजा करने की इजाजत दी, साथ ही लाल कृष्ण आडवानी ने मंदिर निर्मान के पक्ष में जनसमर्थन जुटाने के लिए रथ यात्रा निकाली, बिहार के समस्तीपुर में लालू यादव ने आडवानी को गिरफ्तार करवाया.

1992: कारसेवकों ने मस्जिद को गिराया और अस्थायी मंदिर का निर्मान करवाया, लेकिन इस कृत्य के कारण देशभर में दंगे हुए और तकरीबन 2000 लोगों की जाने गई.

1992: केंद्र सरकार ने जस्टिस लिब्रहान की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया.

2003:  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ASI को उस विवादित स्थल की खुदाई करने का आदेश दिया और ASI की रिपोर्ट में इस बात का खुलाशा हुआ कि मस्जिद के नीचे मंदिर था.

2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का निर्दश दिया था जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी.

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