दिल्ली-एनसीआर में 15 अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के क्रियान्वयन को लेकर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण-संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से पुख्ता प्लान मांगा है. चारों राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर पूछा गया है कि सर्दियों में प्रदूषण से जंग को एनसीआर कितना तैयार है? हफ्ते भर में चारों राज्यों के अधिकारियों को दिल्ली भी तलब किया जाएगा.

इस बार फिर सर्दियों में दिल्ली- एनसीआर गैस चैंबर न बने और हेल्थ इमरजेंसी लागू न हो, इसके लिए 15 अक्टूबर से ग्रेप लागू कर दिया जाएगा. चूंकि बीते साल पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) की ओर से केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय सहित विभिन्न एजेंसियों और प्रदूषण बोर्डों को सख्त हिदायत दे दी गई थी कि 2018 में आबोहवा काबू में ही रहे, लिहाजा ईपीसीए भी अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं छोडऩा चाह रहा है.

पहले चरण में ईपीसीए की टीम ने अगस्त और सितंबर माह में उक्त चारों राज्यों को स्वयं जाकर आला अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्हें यथा आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किए गए. अब दूसरे चरण में 15 अक्टूबर समीप आते देख इन सभी से वह प्लान मांगा गया है जो उनकी तैयारी के पुख्ता अथवा कमज़ोर होने की सच्चाई बयां करेगा. प्लान मिलते ही हफ्ते भर के भीतर चारों राज्यों के सभी संबंधित अधिकारियों को दिल्ली तलब कर बैठक की जाएगी.

इस बैठक में ईपीसीए की टीम प्रदूषण से जंग लड़ने वाले अधिकारियों की पर्यावरण एवं ग्रेप पर जागरूकता भी जांचेगी. ग्रेप क्रियान्वयन को लेकर इस अंतिम बैठक में उन्हें आपातकालीन स्थिति संभालने के गुर भी सिखाए जाएंगे और प्रदूषण थामने के लिए इस साल उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी भी दी जाएगी.

ईपीसीए के चेयरमैन भूरेलाल ने कहा कि 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक एनसीआर में ग्रेप लागू रहेगा क्योंकि इसी वकत पर दिल्ली गैस चैंबर में तबदील होती है. हम नहीं चाहते कि गत वर्ष की तरह इस बार भी किसी स्तर पर कोई खामी या तालमेल की कमी रह जाए इसीलिए एक प्राथमिक बैठक पहले की जा चुकी है और अब फाइनल समीक्षा बैठक होगी ताकि इस साल कोई भी हेल्थ इमरजेंसी लागू ना करनी पड़े.

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