22 सितम्बर 2019 के दिन मै आसाम के बारपेटा मे धीरज देवारी जी का मेहमान था वह पडौस के बोडोलैंड के बक्सा जिले मे भी लेकर गये थे और मानस राष्ट्रीय उद्यान की सैर की और आसामका राज्य प्राणी गेंडा तथा अन्य प्रकार के जिव-जंतु भी देखा और सबसे बड़ी बात कई कारण से चर्चा में रहें बोडो समुदाय के लोगों को मिलना उनसे बातचीत करते हुए उनकी जीवन शैली को नजदीक से देखा  !

इतना स्वावलंबी समाज भारत के और कौनसे क्षेत्र में होगा  ! औरते जिस तरह से कपड़े बुनने से लेकर मछली पकड़ने के लिए और मकानों की रखरखाव लाजवाब! जूट और मट्टी के प्लास्टर देकर दिवारे और उसपर चित्रकारी बहुत ही सुंदर रचना है और कपडों की क्वालिटी नंबर वन  ! सदा हसमुख चेहरे! उनके हिंसक होने की खबरों पर प्रश्नचिन्ह लगा  !
और भारत के जितने भी असंतोष चल रहे इलाके के लोगों के बारे में कम अधिक प्रमाणमे देखकर लगता नहीं कि यह लोग हिंसा के लिए खुद जिम्मेदार है मैंने अपनी आँखो से गढ़चिरौली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तर बंगाल, उत्तर पूर्वी राज्यों से लेकर पंजाब, कश्मीर तक का अपना 50 सालों के दौरान देखा, सुना और पढने के बाद लगा कि इन सब जगह पर सरकारी रवैये के कारण लोग ज्यादा नाराज होकर आज यह नौबत आ गई है  !


हालाँकि इन 73 सालों के दौरान कई-कई दलों की सरकार ने इन प्रदेशों में राज कीया है लेकिन वह कोई भी स्थानीयलोगों के मिजाज को ना समझेंअपने ढंग से और वह भी सुरक्षा बलों के मदद से  ! उससे ज्यादा बिगडा है  ! कहीं भी सुरक्षा बलों के कारण सवाल हल नहीं हुए उल्टा और पेचीदगियों से उलझ गये  !
जबतक स्थानीय लोगों की भावनाओं को नहीं समझेंगे और सिर्फ दिल्ली के इशारों पर हजारों किलोमीटर दूर दराज के इलाकों पर राज करने का अंग्रेजी संस्करण कम-से-कम आजादी के बाद तो बदलना चाहिए था लेकिन सिर्फ गोरे साहब की जगह काले साहब आकर कानूनों से लेकर काम के तरीके भी अंग्रेजोंके है  ! कुछ भी बदलाव नहीं  !

 

तो इन सब कारणों से ये प्रदेश सतत अंसंतोष मे रहते आए हैं इनके साथ जबरदस्ती करने से और भारत विरोधी करने का काम सुरक्षा बलों के कारण दिन प्रतिदिन बढते जा रहा है  ! स्वतंत्रता के बाद जयप्रकाश नारायण जी ने अपने स्तर पर इन लोगों के साथ कुछ पहल की थी और इसीलिये नागा समस्या के लिए पिझो से बात करने लंडन में जेपीजी ने पहल की थी  ! वही बात कश्मीर को लेकर शेख अब्दुल्ला जी को जेल से रिहा करने के लिए भी उनकी भूमिका रही है और आज सबसे पीडा इसी बात की है कि उनके स्टेचर का कोई भी नेता बचा नहीं की जो सरकार को खरी-खोटी सुना सके  !

यह नजारा पिछले साल आज ही के दिन शिवसागर, जोरहाट के क्षेत्र में चाय बगानोका है प्राकृतिक सौंदर्य तो बहुत ही मन लुभावन है लेकिन शेकडो वर्षों से ओरिसा, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के एक करोड़ से भी अधिक संख्या में जो मजदूर अंग्रेजो के समय से वहां पीढी दर पीढी खप रहे हैं और उनको मजदूरी आज 167 रूपये है  ! बाकी हालात घरों से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा का बदहाल मामला है  !

27 सितम्बर को गुवाहाटी प्रेस कांफ्रेंस में मैंने एन आर सी से लेकर पर्यावरण, चाय बगानोका मजदूरों के शोषण से लेकर आसाम के प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर विस्तार से चर्चा की लेकिन वह हमारे पत्रकार मित्रों के लिए कोई महत्वपूर्ण नहीं लगा  ! शायद हमारे देश के काफी बडे संख्या के लोगों की संवेदनाए थोथी हो गई है  ! और उसीका फायदा राजनीति करने वाले उठा रहे हैं और उसमें बीजेपी जैसी असंवेदनशील पार्टी सबसे ज्यादा उठा रही है  !

यह आसाम के गोअलपारा से 22 किलोमीटर की दूरी पर जिनका नाम एन आर सी की लिस्ट में नहीं है उनके लिए डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है ! गुवाहाटी से 125 किलोमीटर दूर है ! मैं 24 सितम्बर को यहां पर जाकर आया हूँ ! इस जगह पर रहते हुए मुझे हिटलर ने जर्मनी में यहूदियों के लिए इसीतरह का निर्माण किया था जिसे कॉन्सट्रेशन कॉम्प कहा जाता था ! अब भारत के भीतर और भी प्रदेशके भीतर ऐसे कॉम्प्लेक्स बनाये जा रहे हैं और यह एन आर सी जो भारतीय जनता पार्टी को अल्प संख्यक समुदाय को डराने के लिए और एक हथकण्डे के रूप से इस्तेमाल करने का हथियार मील गया है ! हमारे मुख्य न्यायाधीश महोदय कह रहे हैं की कोई भी इसका राजनीतिक रूप में इस्तेमाल नहीं करेंगे ! लेकिन कोलकाता में कुछ समय पहले गृहमंत्री अमित शाह ने साफ तौर पर कहा कि हम एन आर सी को पूरे देश में लागू करेंगे और सीख,पारसी,हिन्दू,जैन,को कुछ भी करके भारतीय नागरिकता देंगे ! आखिर गृहमंत्री का इरादा क्या है ? यह मुख्य न्यायाधीश महोदय को नहीं पता ????????????????
मानस राष्ट्रीय उद्यान जिला बक्सा बोडोलैंड, मानस का एक हिस्सा भुटान में है इस द्वार से 40 किलोमीटर की दूरी पर भुटान है ! दोपहरका खाने के बाद थोडा सुस्ता रहा था तो अचानक आसामका राज्य प्राणी घास खाते-खाते हमारेसे सौ फिटकी दुरिपर आ गया था तो उसकी भी झलक दिखलाइ दी !
बारपेटासे गोअलपारा आते हुए बहुत सुन्दर जंगल और धानके खेतोका नजारा देखते हुये मन आनंदित हो गया ! वैसे तो पूरे आसामकी यही सुंदरता है सिर्फ उसके रंग अलग-अलग हैं ! ग्वाल्पारा और मेघालय सटे हुये हैं ! वैसे ही कलका बारपेटा और भुटान वैसेही तेजपूर अरुणाचल,शिवसागर नगालैंड धुबरी बँगला देश !

आसाम के गोअलपारा से 22 किलोमीटर की दूरी पर मटिया कदमतला मे जिनका नाम एन आर सी लिस्ट में नहीं है ऐसे लोगों के लिए डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है कुल 3000 की संख्या में लोग यहां रखेंगे जिसमे 2500 पुरूष और महिलाये 500 रहेंगी डिसेंबर 2019 तक यह बनकर तैयार हो जायेगा ! यह गुवाहाटी से 125 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मै 23 सितम्बर को यहां खुद भेंट के बाद यह पोस्ट कर रहा हूँ ! लगभग 100साल पहले हिटलर ने जर्मनी में यहूदियों के लिए इसी तरह के यातनाशिविर बनाये थे ! 1947 के बाद पहली बार भारत में इस तरह की बात हो रही है ! और हमारे देश में इस बात पर ध्यान देने की बजाय तथाकथित देशभक्ति के नाम पर एक जुनून बनाया जा रहा है वह भी महात्मा गाँधी जी के 150वे जन्मदिन के अवसर पर ! सूचना है की इसी तरह के सेंटर भारत में और भी जगह बनाने जा रहे हैं ! अगर यह सच है तो भारत के आजादी के 72 साल बाद 100 पूर्व जर्मनी में यहूदियों के लिए हिटलर ने इसी तरह के यातनाशीबीर बनाये थे ! क्या हम फासिस्ट काल में जा रहे हैं ? और वह भी देशभक्ति के नामपर ! हम सभी को समय रहते हुए इसका विरोध करना चाहिए क्योंकि मोदी-शाह की जोड़ी तो सिर्फ हिन्दु-मुस्लिम का खेल खेलते हुए पूरी तरह से सम्प्रदायिक राजनीति करने के लिए तैयार हो गये हैं और हमारे सेक्युलर,मानवतावादी,सम्तामुलक समाजका सपना देखने वाले लोग सिर्फ यह अमानवीय कृत्य देखते रह जायेंगे ? नही यह महात्मा गाँधी जयंती का 150 वाँ तथा इश्वरचन्द्र विद्यासागर जी का 200वाँ जयंती के अवसर पर तथा आनेवाले दो साल में भारत की आझादी का 75वाँ साल के भीतर यह सब अमानवीय कृत्य को हर हालत में रोकना होगा !


एम के गाँधी का महात्मा तक की यात्रा की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका के भारतीय लोगों के साथ भी ऐसा ही कानुन लागू करने की खबर पढ़कर भारत वापस लौटने के लिए गाँधी निकलने वाला  गाँधी इस कानुन के विरोध करने के आंदोलन की शुरूआत की और 20 साल अफ्रीका में रह कर जितने के बाद 1915 में भारत वापस लौटे ! और हम 150वीं जयंती समारोह में व्यस्त हो गये हैं !
अगर हमें महात्मा गाँधी के प्रति  सचमुच कुछ आदर सम्मान है तो उनके फोटो को माला पहना कर गीत-भजन कीर्तन करने के बजाय उह्नोने जिस सत्याग्रही जज्बों से अफ्रीका से लेकर भारत में काम किया उसी सत्याग्रही गांधीजी की आधुनिक दुनिया को जो अनुपम देन आज दुनिया के कोने-कोने में विभिन्न प्रकार के आंदोलन हो रहे हैं हमें भी इस अमानवीय कृत्य के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है ! बराबर आजसे एक हप्तेके बाद उनका 150वाँ जन्मदिन हम मनाने जा रहे हैं !!!!!!!!!

         डाॅ सुरेश खैरनार 22 सितम्बर 2020 ,नागपुर
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