संतोष भारतीय

आज मैं थोड़ा हिला हुआ हूं, मैंने हमेशा इस बात का पक्ष लिया की दो राज्यों के पुलिस में आमना सामना नहीं होना चाहिए लेकिन महाराष्ट्र पुलिस और बिहार की पुलिस में आमना सामना होने की स्थिति आ गई है. जो छुपे तथ्य सामने आ रहे हैं उन्हें देखकर लगता है की जांच किसी तीसरी एजेंसी के पास जानी ही चाहिए.

पहले इस खबर का आना कि सुशांत सिंह राजपूत की सेक्रेटरी दिशा की आत्महत्या के पीछे क्या क्या कारण हो सकते हैं, तब पता चला कि जिस दिन उसकी आत्महत्या की खबर आई वह एक पार्टी में थी और वहां जो लोग थे वह बड़े नाम वाले लोग थे. एक बड़े अभिनेता का बेटा जिसे लांच एक सुपरस्टार ने किया था और जिसके ऊपर गर्लफ्रेंड की हत्या का आरोप लगा था और जिसकी काफी दिनों तक जांच भी हुई, गर्लफ्रेंड अभिनेत्री की मां आज तक अपनी बेटी की मौत को हत्या बता रही है, एक बड़े मंत्री का बेटा उस पार्टी में था जिसकी एक फोटो रिया चक्रवर्ती के साथ कार में मैंने देखी है. खुद इस अभिनेत्री का भाई पार्टी में था और एक व्यक्ति वो था जो सुशांत राजपूत का करीबी था, शायद वही दिशा को बहला-फुसलाकर उस पार्टी में ले गया था|

सुशांत राजपूत की सेक्रेटरी दिशा ने सुशांत राजपूत को फोन कर उसके साथ पार्टी में हुए अमानुष व्यवहार और उसकी क्रूरता सुशांत को फोन कर बता दी थी. इसके बाद या तो उसे 14 मंजिल के उस फ्लैट से नीचे फेंक दिया गया या उसने इन लोगों के द्वारा भविष्य में संभावित क्रूरता को भाप आत्महत्या कर ली,इसी तरह अभिनेत्री दिव्या भारती की मौत हुई थी जो अभी तक रहस्य में है. सुशांत राजपूत की सेक्रेटरी दिशा की हत्या या आत्महत्या की कोई जांच नहीं हुई. इसके बाद सुशांत राजपूत के करीबी जो इस पार्टी में था और वही सुशांत राजपूत के साथ उसके फ्लैट में रह रहा था. इस बात की संभावना है कि सुशांत राजपूत के साथ हुआ हादसा स्वाभाविक नहीं है अस्वाभाविक है, उन्हें जूस में मिलाकर कुछ दिया गया हो और जब वह बेहोश हो गए हैं तो उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया गया हो, सुशांत राजपूत अपनी सचिव दिशा की हत्या या आत्महत्या से बहुत तनाव में थे और चूंकि उन्हें उस पार्टी की हकीकत पता थी इसलिए वह उसकी सच्चाई सामने लाना चाहते थे, शायद उन्हें धमकियां दी जा रही थी इसलिए वह लगातार अपना सिम कार्ड बदल रहे थे,
महाराष्ट्र पुलिस ने इस पार्टी के बारे में और वहां हुई घटना के बारे में जिसकी वजह से दिशा ने तथाकथित आत्महत्या की या उन्हें खिड़की से फेंका गया, की कोई जांच नहीं की..

परसों सुप्रीम कोर्ट का फैसला है महाराष्ट्र पुलिस उस फैसले का इंतजार कर रही है. उसने अमानवीय व्यवहार भारतीय पुलिस सेवा के एक अधिकारी के साथ किया है जो बिहार से मुंबई भेजा गया था. एक बड़े मंत्री का बेटा एक बड़े अभिनेता का बेटा और बाकी चार लोग शायद महाराष्ट्र पुलिस को किसी भी प्रकार की जांच को न करने देने में सफल हो गए और वे इतने ताकतवर हैं कि उन्होंने एक आईपीएस अधिकारी को भी कोरोना के बहाने 14 दिन के लिए आइसोलेशन सेंटर बना बताकर पुलिस क्लब में बंद कर दिया..

यह तथ्य सुप्रीम कोर्ट के सामने अपने आप आ जाने चाहिए और उसे एक तीसरी एजेंसी को इस पूरी जांच को सौंपना चाहिए . महाराष्ट्र पुलिस और बिहार पुलिस को इस जांच से अलग कर देना चाहिए, इस जांच के नतीजे भारतीय समाज के राजनीति के लोगों के और फिल्म इंडस्ट्री के ऐसे लोगों का चेहरा साफ करेंगे जिन पर लगातार हत्या का या बलात्कार का आरोप लगता रहा है, हमारी पुलिस व्यवस्था और हमारी न्याय व्यवस्था ताकतवर लोगों के खिलाफ कुछ कर नहीं पाती, इनकी ताकत सिर्फ कम ताकतवर लोगों का दमन करने में लगती है.5 तारीख का फैसला यह बताएगा की सर्वोच्च न्यायालय सच्चाई को कितना उजागर करना चाहता है.

 

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