सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित होने के बावजूद भी मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाया जा सकता है.

गौरतलब है कि जब से सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मसले को लेकर सुनवाई टाल दी है, तभी से संघ परिवार लगातार ये मांग कर रहा हैं कि राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाया जाए, जिससे मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त हो सकें.

मालूम हो कि जब संघ परिवार ने मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की मांग की थी. तभी पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बयान जारी कर कहा था कि अभी जबकि मसला कोर्ट में लंबित है तो ऐसे समय में अध्यादेश लाना कानूनी तौर पर संभव नहीं होगा.

अब चिदंबरम के इस बयान के बाद पूर्व न्यायाधीश का ये कहना कि हां.. राम मंदिर निर्माण के लिए कानून लाया जा सकता है. ये दोनों बयान कहीं न कहीं आपस में विरोधाभास को जन्म दे रहे हैं.

पूर्व न्यायाधीश ने उक्त बयान कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक संगठन ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था. साथ ही उन्होंने इस तरह की कई बानगी भी पेश की थी.  बता दें कि ये वही न्यायाधीश हैं, जिन्होंने इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर केशों के आंवटन में भेदभाव को लेकर प्रेश कांफ्रेंश में शामिल हुए थें.

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