क्या मृत्यु भी राजनीति के लिए इस्तेमाल होनी चाहिए?

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संतोष भारतीय

मुझे नहीं पता मैं सही कर रहा हूं या गलत अगर गलत कर रहा हूं तो देश से अग्रिम क्षमा याचना कर रहा हूं. क्या मृत्यु भी राजनीति के लिए इस्तेमाल होनी चाहिए?
श्री अरुण जेटली के बारे में यह खबर फैली थी कि वे हमें छोड़ गए हैं, लेकिन सरकार ने इसका खंडन किया कई सांसदों ने यह कहा की वे अभी-अभी अरुण जेटली से मिलकर आए हैं, उनका परिवार भी लगातार यह कहता रहा की उनकी हालत स्थिर है. जब तय समय बीत गया तभी यह खबर आई की उनकी हृदय गति रुक गई है. अधिकांश लोग सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दे चुके थे.

इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई के मामले में भी हुआ. सोशल मीडिया पर खबर फैली लोगों ने श्रद्धांजलि दी, लेकिन मंत्री गण कहते रहे की उनकी हालत ठीक है. परिवार के लोग भी यही कहते रहे की उनकी हालत स्थिर है.. जब तय समय बीत गया तभी उनके निधन की घोषणा हुई.

और अब भारत रत्न और भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के बारे में खबर फैली है वे अब नहीं रहे. उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी जा रही है, और अभी थोड़ी देर पहले उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री राजेंद्र चौधरी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दे दी. सरकार अभी खामोश है लेकिन उनके परिवार के लोग उनके पुत्र और उनकी पुत्री यही कह रहे हैं उनकी हालत सेना के अस्पताल में स्थिर है और उनका उचित इलाज चल रहा है.

सनातन धर्म में या हिंदू समाज में नश्वर देह का बहुत महत्व है. उसे पूरे रीति रिवाज के साथ धार्मिक कर्मकांड के साथ अंतिम विदाई दी जाती है. सभी धर्मों में ऐसी ही परंपरा है. पर हमारे देश में अब मृत्यु भी अपना सम्मान समाप्त करती
जा रही है.. यह परंपरा सनातन धर्म में नहीं है पर शायद हिंदू धर्म में इस नई राजनीतिक परंपरा का समावेश हो रहा है. हमारे महान धर्माचार्य इस प्रश्न पर क्या कोई अपनी राय देंगे या वे इसे हिंदू धर्म का सामान्य कर्म बताएंगे…. या खामोश रहेंगे!!!

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