marketबिहार को विशेष दर्जा मिले या फिर विशेष पैकेज इसे लेकर लोकसभा चुनाव और बिहार विधानसभा चुनाव में लंबी बहस चली. आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरा के कार्यक्रम में बिहार के लिए विशेष पैकेज का ऐलान कर इस तरह की तमाम बहसबाजी का पटाक्षेप कर दिया. ठीक उसी दिन से यह उम्मीद की जा रही थी कि अगामी बजट में केंद्र सरकार बिहार के लिए पैकेज के अनुरूप पैसे का आवंटन करना शुरू कर देगी. लेकिन जेटली साहब ने जो बजट पेश किया उससे बिहार के लोगों को खासकर 1.25 लाख करोड़ के पैकेज के सर्ंदभ में निराशा ही हाथ लगी है.

हालांकि एनडीए से जुड़े लोग कहते हैं कि बजट में बिहार का पूरा ध्यान रखा गया है, पर जब बिंदुवार बहस होती है तो उनकी आवाज धीमी पड़ती जाती है. बात यहीं खत्म नहीं हुई है. चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में बिहार को केंद्रीय करों से मिलने वाली राशि में 1339 करोड़ रुपये की कटौती होगी यानी 31 मार्च 2016 तक कम राशि मिलेगी.

चालू वित्त वर्ष में केंद्र ने केंद्रीय करों से राज्यों को 5.20 लाख करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया था, लेकिन बजट के संशोधित अनुमानों से इसे घटाकर 5.06 लाख करोड़ कर दिया गया. यह 14 हजार करोड़ रुपये कम है. बिहार को केंद्रीय करों से 50 हजार करोड़ मिलने का अनुमान था जबकि संशोधित बजट के बाद यह राशि कम होकर 48661 करोड़ रुपये रह गई है. इस तरह राज्य को 1339 करोड़ रुपये कम मिलेंगे. सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बजट से बेहद निराश हैं. नीतीश कुुमार कहते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले प्रधानमंत्री ने एक चुनावी सभा में बोली लगाई थी.

पचास हजार करोड़ दें या साठ हजार करोड़ या सत्तर हजार करोड़ दें, लो एक लाख 25 हजार करोड़ दिया. इसका क्या हुआ कहीं बजट में जिक्र नहीं है.
बीआरजीएफ के रास्ते से बिहार को विशेष सहायता का जिक्र था की 8300 करोड़ रुपये बिहार को मिलेगा इसका भी बजट में उल्लेख नहीं है. बीआरजीएफ एनेक्सचर से गायब है. इनको बात करने की आदत है, जैसे रेल बजट में कुछ नहीं वैसे ही आम बजट में भी कुछ नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा की बजट में बार-बार किसानों की बात की गई है. वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने की बात की गई है.

इकोनॉमिक सर्वे में किसानों की आमदनी बहुत कम दिखी है. अगर यह आमदनी पांच साल के अंदर दोगुनी भी हो जाती है, तब भी कोई फर्क नही पड़ने वाला है. मुद्रा स्फीति के कारण रुपये की कीमत गिरने से किसानों की माली हालत खराब ही होगी. दो साल पहले केंद्र सरकार ने किसानों की लागत में 50 प्रतिशत जोड़ कर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बात की थी वह वादा आज तक अधूरा है. नीतीश कहते हैं कि बजट में बिहार के साथ केंद्र का भेदभाव साफ दिख रहा है. पीएमजीएसवाई में सर्वाधिक आवंटन का दावा किया गया, लेकिन अब इसमें केंद्र 60 प्रतिशत राशि देगा और 40 प्रतिशत राशि राज्य लगाएंगे. इससे राज्यों का कौन सा कल्याण होगा?

मुख्यमंत्री का आरोप है कि इस बजट से आम लोगों को नहीं सिर्फ कालाधन रखने वालों को फायदा होगा. लोकसभा चुनाव के पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि कालाधन लाएंगे गरीबों के खाते में पंद्रह से बीस लाख रुपये मिल जाएंगे. बजट में कालाधन वाले लोगों के लिए एमनेस्टी स्कीम चला दी गई है. कालाधन को वैध बनाने के लिए मात्र 45 प्रतिशत राशि जमा करना होगा बची हुई 55 प्रतिशत राशि लेकर वे मौज करेंगे. दूसरी तरफ लालू प्रसाद भी बजट को लेकर बेहद गरम हैं. लालू प्रसाद कहते हैं कि अरुण जेटली ने वित्तीय वर्ष 2016-17 की जगह 2022 का बजट पेश कर दिया.

वह कह रहे हैं की 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे. अभी किसानों की आय कितनी है इसका कोई सर्वे कराए हैं क्या? किसानों को उपज का सही मूल्य देंगे. अभी तो फसल खरीद समय पर करते ही नहीं है. आम बजट चलाकी से बनाया गया दस्तावेज है यह हाथी के दांत के समान है. उन्होंने मान लिया है कि 2019 के आम चुनाव में जीतेंगे तभी रेल बजट में 2020 तक सबको कंफर्म टिकट और 2022 में किसानों की आय दोगुना करने की घोषणा कर रहे हैं.

लालू प्रसाद ने जनधन का खाता खुलवाने वाले लोगों से कहा कि ऊपर से सेटिंग हो गया अब कुच्छो नहीं मिलने वाला है. हालांकि सुशील मोदी केंद्रीय बजट का जमकर बचाव कर रहे हैं. सुशील मोदी कहते हैं कि वित्त मंत्री ने हर परिवार को 1 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा, डेढ़ करोड़ बीपीएल परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन और तीन साल में 6 करोड़ परिवारों को कम्प्यूटर साक्षर बनाने की घोषणा की है.

देशभर में 1500 बहु कौशल प्रशिक्षण केंद्र खोले जाएंगे गुरु गोविंद सिंह की 350वीं जयंती के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. जिससे पटना साहिब का विकास होगा. प्रत्येक स्थानीय निकाय के लिए औसतन 21 करोड़ व पंचायतों को 80 करोड़ देने की घोषणा कर गांवों के विकास पर अधिक जोर दिया गया है. राष्ट्रीय उच्चपथों के लिए 55 हजार करोड़ दिए गए हैं, मुद्रा बैंक के लिए 1 लाख 80 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. इन सबका सबसे ज्यादा लाभ बिहार के युवाओं को मिलेगा.

लेकिन बजट प्रावधानों पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि बजट में किस तरह बिहार के हितों की अनदेखी की गई है. सड़क और परिवहन के मामले में केंद्र सरकार ने बजट में बिहार की उपेक्षा की है. बजट में राज्य के लिए इस क्षेत्र में कोई नई योजना मंजूर नहीं की गई है. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वरा घोषित सवा लाख करोड़ के पैकेज में पहले से चल रही जिन योजनाओं की चर्चा थी उनकी भी गति तेज करने का कोई प्रयास नहीं दिखा.

नरेन्द्र मोदी ने पटना-आरा-बक्सर फोरलेन का शिलान्यास किया था, लेकिन अब तक एक किलोमीटर सड़क का भी निर्माण नहीं हो सका. पैकेज की घोषणा के बाद बिहार के लिए एनएचआई को कोई पैसा नहीं मिला है. राज्य को उम्मीद थी बजट में पटना में गंगा पर गांधी सेतु के समानांतर चार लेन का पुल बनाने की घोषणा की जाएगी. यह पीएम के पैकेज में भी शामिल था, लेकिन इसकी कोई चर्चा नहीं है. इतना ही नहीं गांधी सेतु का सुपर स्ट्रक्चर बदलने के लिए भी राशि नहीं दी गई है.

केंद्र सरकार इसके लिए पैसा देने की घोषणा पहले ही कर चुकी थी. केंद्र को 2800 करोड़ देने थे और इसी पैसे से गांधी सेतु का कंपोजिट सुपर स्ट्रक्चर तैयार करना था. लेकिन बजट के बाद उम्मीद पर पानी फिर गया. हालांकि यह योजना अभी पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड में है, वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही कोई कार्यवाही होगी. इसी तरह बिरपुर-बिहपुर के एनएच 106 पर फुलौत के पास कोसी पर महासेतु बनाने की योजना केंद्र के पास लंबित है. इस योजना की भी बजट में कोइ चर्चा नहीं की गई है. बजट में कोई नई सड़क नहीं दी गई है.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा पटना की सड़कों पर बैट्री वाली बस चलने और गंगा सहित सभी नदियों में जल परिवहन शुरू करने की योजना खटाई में पड़ गई है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार कहते हैं कि आम बजट में इंदिरा आवास और जीविका जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए कोई खास प्रावधान नहीं किया गया है. बिहार जैसे राज्य में 75 से 90 लाख लोग बिना घर के हैं, इसके लिए बिहार को फोकस कर विशेष योजना बनाई जानी चाहिए थी. मगर बजट में इसका कोई जिक्र नहीं है.

जीविका के मद का हमारा 40 करोड़ अब भी केंद्र के पास बकाया है इससे महिलाओं और गरीबों से जुड़ी जीविका योजना प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि इंदिरा आवास के लिए इस बार 19 हजार करोड़ का प्रावधान है. मगर इसमें 9 हजार करोड़ तो बिहार का ही केंद्र सरकार पर बकाया है. श्री कुमार ने कहा कि केंद्र से राशि नहीं मिलने से डीआरडीए का कार्य भी प्रभावित हो रहा है. मजदूरों को भुगतान करने में दिक्कत आ रही है. इसी तरह आम बजट में बिहार की शिक्षा व्यवस्था को न के बराबर मिला है.

राज्य सरकार के शिक्षा महकमे में बजट के विश्लेषण के बाद जानकारों ने बताया की बहुत उम्मीद थी लेकिन निराशा ही मिली. उच्च शिक्षा में 20 वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव है, लेकिन इनमें बिहार को एक भी नहीं मिलेगा. अलबत्ता चंद नवोदय स्कूल और कुछ कौशल विकास केंद्र ही मिलेंगे. इस तरह देखा जाए, तो केंद्र का आम बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार के साथ किए गए वादे पर ही सवाल उठा रहा है. बजट के बाद बिहार के कई मंत्री और सांसदों ने रेल मंत्री से मुलकात कर बिहार की हुई उपेक्षा पर उनका ध्यान दिलाया है. देखना है केंद्र सरकार खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार को किए अपने वादे पर कितना खरा उतरते हैं.

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