वरिष्ठ पत्रकार वाशिंद्र मिश्र

लैटिन अमेरिकी देश वेनेज़ुएला 70के दशक में दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक था .. लैटिन अमेरिका के बाकी देशों से अलग यहाँ लोकतांत्रिक सरकार थी … संवैधानिक नियमों का पालन करते हुए सत्ता चल रही थी .. वेनेजुएला के राजनैतिक इतिहास के इस वक्त को Venezuelan Exceptionalism का नाम दिया गया था … लेकिन ऐसा तभी तक चल पाया जब तक यहाँ तानाशाह का उदय नहीं हुआ था …

कुछ ही दशक के बाद वेनेजुएला ने एक तानाशाह का उदय देखा …जिसने सभी लोकतांत्रिक संस्थानों को खत्म कर दिया और अपनी तानाशाही नीतियों से देश के इतिहास का सबसे बड़ा आर्थिक और मानवीय संकट खड़ा कर दिया ….
वेनेजुएला का ये तानाशाह था ह्यूगो शावेज़ … शावेज़ की आर्थिक नीतियों, सभी उद्योगों को nationalise करने… खासकर कट्टरपंथी संवैधानिक सिद्धांतों को लागू करने की वजह से वेनेज़ुएला ने ऐसा वक्त देखा जिसकी किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी …

ह्यूगो शावेज़ का पूरा नाम ह्यूगो रफाएल शावेज़ फ्रीयस है .. 1954 में एक मिडिल क्लास परिवार में जन्मे शावेज़ सात भाई बहनों में दूसरी संतान था … शावेज़ अपने बचपन को गरीबी में बीता हुआ खुशियों से भरा वक्त कहा करता था … बारिनास राज्य के सबानेटा शहर में जन्में ह्यूगो के पिता एक स्कूल शिक्षक थे .. ह्यूगो की मां के परिवार में कई लोग सैनिक रहे थे … इसका असर ह्यूगो शावेज़ पर भी हुआ …

17 साल की उम्र में शावेज़ ने काराकस में वेनेजुएलन एकेडमी ऑफ मिलिट्री साइंसेज ज्वाइन कर ली थी …. कहते हैं मिलिट्री स्कूल में रहते हुए ह्यूगो शावेज़ ने वेनेजुएला के गरीब तबके के लोगों की ज़िंदगी को करीब से देखा था .. और तभी से शावेज़ सामाजिक न्याय की बातें करने लगा था .. हालांकि सामाजिक न्याय की इस धुन में शावेज़ अपने देश को और गरीबी में धकेलने वाला था …

मिलिट्री स्कूल में रहते हुए ही शावेज़ ने अमेरिकी क्रांतिकारी साइमन बोलीवर को पढ़ना शुरू कर दिया था … शावेज़ फिदेल कास्त्रो के सहयोगी और मार्क्सवादी क्रांतिकारी चेक गुएरा से भी काफी प्रभावित था … कहते हैं 1970 के दशक में शावेज़ की दोस्ती पनामा के तानाशाह उमर तोरीजोस के बेटे से हो गई थी .. जिसके साथ शावेज़ पनामा गया और वहाँ तोरीजोस के लागू किए गए लैंड रिफॉर्म्स को करीबी से देखा … मिलिट्री स्कूल के दौरान शावेज़ पर पेरु के राष्ट्रपति रहे जनरल युआन वेलास्को अलवैरैडो से इतना प्रभावित हुआ कि उनके भाषण याद कर लिए…यहीं से ह्यूगो शावेज़ के तानाशाह बनने की भी शुरुआत हो गई थी जो आगे चलकर वेनेजुएला के लोगों को मुश्किलों में धकेलने वाली थी …

मिलिट्री स्कूल में जन्म ले चुकी शावेज़ की तानाशाही महात्वाकांक्षा 1980 के दशक में परवान चढ़ने लगी थी ….. ह्यूगो शावेज़ ने एक बार कहा था … मुझे ऐसा लगता है कि जब मैंने एकेडमी छोड़ी थी तभी से मेरा झुकाव क्रांतिकारी आंदोलन की तरफ हो चुका था ….

इसका नतीजा हुआ ये था कि 1975 में जूनियर लेफ्टिनेंट के तौर पर पास आउट हुए ह्यूगो शावेज़ ने 1977 आते आते मिलिट्री के अंदर ही कुछ सैनिकों को मिलाकर एक गुट बना लिया था … जिसका नाम रखा वेनेज़ुएलन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी …. इनका मकसद देश की दक्षिणपंथी सरकार को हटाकर वामपंथ की स्थापना करना था … पांच साल बाद ह्यूगो शावेज़ ने मिलिट्री मे रहते हुए ही रिवॉल्यूशनरी बोलिवियन मूवमेंट 200 की शुरूआत की जिसे MBR 200 भी कहा जाता है .. ये वो वक्त था जिसमें वेनेजुएला में अब तक काफी प्रभावी रहे लोकतांत्रिक और आर्थिक व्यवस्था खोखली होने लगी थी .. 80 के दशक में दुनिया भर में तेल की कीमतें कम होने लगी थीं … तेल पर आधारित वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था पर इसका खासा असर पड़ा था .. इसका नतीजा ये हुआ था कि कभी दुनिया के चौथे सबसे अमीर देश में लोग गरीब होते जा रहे थे … इसी दौरान जब 1989 में राष्ट्रपति रहे कार्लोस एंड्रेस पेज़ेज़ की आर्थिक नीतियों ने वेनेजुएला के पहले से परेशान चल रहे लोगों में और गुस्सा भर दिया था … देश में जहां तहां दंगे शुरू हो गए थे इस पर काबू पाने के लिए सरकार ने सेना की मदद ली .. लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई .. कई लोग मारे गए .. उस वक्त चिकन पॉक्स की वजह से अस्पताल में भर्ती ह्यूगो शावेज़ ने इसे नरसंहार करार दिया .. उसने ऑपरेशन ज़मोरा के नाम से तख्तापलट की साजिश रची … ह्यूगो शावेज़ की ये साजिश तो नाकाम रही लेकिन इसकी बदौलत वो सुर्खियों में आ आ गया … ह्यूगो शावेज़ ने टेलीविजन पर आकर ऐलान किया कि वो फेल हुआ है लेकिन सिर्फ अभी के लिए … ह्यूगो अब देश के उन तमामा लोगों का हीरो बन चुका था जो देश की सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे थे .. ह्यूगो शावेज़ गिरफ्तार हो गया .. लेकिन इस गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध होने लगे … आने वाले सालों में कार्लोस एंड्रेस पेज़ेज़ को राष्ट्रपति पद से हटा दिया गया और ह्यूगो शावेज़ जेल से रिहा हो गया … शावेज़ ने फैसला कर लिया था कि वो चुनाव जीतकर देश का राष्ट्रपति बनेगा … बहुत जल्द वेनेज़ुएला की राजनीति में मची उथल-पुथल के बीच सामाजिक और आर्थिक बदलाव के वादे के साथ ह्यूगो शावेज़ 1999 में राष्ट्रपति की कुर्सी तक भी पहुंच गया ..

राष्ट्रपति बनते ही शावेज़ ने मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने शुरू कर दिए …. उसने सरकारी पदों पर वामपंथी विचारधारा और सेना में उसके सहयोगी रहे लोगों की नियुक्ति शुरू कर दी …कहते हैं इसी दौरान शावेज़ ने अपने कई रिश्तेदारों को भी सियासत में जगह दे दी जिसकी वजह से शावेज़ पर भाई भतीजावाद करने के भी आरोप लगने लगे …

ह्यूगो शावेज की सरकार शुरू में पूंजीवाद के आधार पर ही फैसले लिए … इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की गाइडलाइंस मानी और वेनेजुएला में विदेशी निवेश को बढ़ावा देते रहे … साल 2000 में ह्यूगो शावेज़ ने प्लान बोलीवर पर काम करना शुरू किया था … इसमें लगभग 113 मिलियन डॉलर इन्वेस्ट किए गए .. जिसके तहत देश में बड़े पैमाने पर वेलफेयर का काम शुरू किया गया और इसकी जिम्मेदारी सेना को सौंपी गई .. हालांकि इस योजना मे जमकर भ्रष्टाचार हुआ और आरोप सेना के जनरल्स पर लगते रहे … इसी साल संविधान में बदलाव कर राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 से बढ़ाकर 6 साल का कर दिया.. नए संविधान के तहत इसी साल एक मेगा इलेक्शन हुआ जिसमें प्रेसीडेंट, गवर्नर यहाँ तक कि क्षेत्रीय नेता के चुनाव के लिए भी एक ही दिन वोट डाले गए … शावेज़ दोबारा प्रेसीडेंट चुन लिए गए … लेकिन इस बार राह आसान नहीं थी देश में कई जगहों पर सरकार के खिलाफ विरोध शुरू हो चुके थे

साल 2002 एक विद्रोह के जरिए शावेज को कुछ घंटों के लिए सत्ता से बेदखल कर दिया गया …… इस तख्तापलट की कोशिश को ऑयल कंपनियों में शावेज़ की तरफ से की गई नियुक्तियों ने हवा दी थी … तख्तापलट वाले दिन खूनी झड़प भी हुई जिसमें 19 लोग मारे गए … हालांकि 47 घंटे बाद ही शावेज़ दोबारा राष्ट्रपति पद पर बहाल होने में कामयाब रहा .. शावेज़ ने इसके लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया.. हालांकि उस वक्त अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रही कोंडोलीज़ा राइस ने कहा ह्यूगो शावेज़ को ध्यान देना चाहिए कि उनकी नीतियाँ “काम नहीं कर रहीं, कोंडोलीजा ने ये भी कहा कि “हम आशा करते हैं ह्यूगो शावेज़ इस मौके का फ़ायदा उठाएगें और अपनी नाव को सही दिशा में ले जाएगें, जो काफ़ी समय से उल्टी दिशा में चल रही है.”

ये विद्रोह दरअसल शावेज़ की आर्थिक नीतियों की वजह से हुआ था .. जिसकी वजह से वेनेजुएला के समाP में और विषमताएं पैदा हो रही थीं.. ट्रेड यूनियन और व्यापार जगत से जुड़े लोग हड़ताल और विरोध प्रदर्शन कर रहे थे .. मीडिया अपनी फ्रीडम खत्म किए जाने को लेकर पहले ही ह्यूगो शावेज़ के खिलाफ हो चुका था … सरकार सेंशरशिप के जरिए मीडिया पर हावी होने की कोशिश कर रही थी …

ह्यूगो शावेज़ ने जो नीतियां बनाई थीं उससे देश के एक तबके को फायदा मिल रहा था … शावेज ने समाज में मौजूद आर्थिक असमानता को खत्म करने के लिए लैंड रिफार्म्स और सोशल प्रोग्राम शुरू किए .. इसकी वजह से वहां की गरीबी की दर में काफी कमी देखी गई … युनाइटेड नेशंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1999 से 2012 तक शावेज़ के कार्यकाल में वेनेजुएला की गरीबी दर उनचास फीसदी से 23 फीसदी आ गई थी … हालांकि सरकार की तरफ से सामाजिक कार्यक्रमों पर होने वाले खर्चे की वजह से भविष्य में होने वाली आर्थिक दिक्कतों के लिए सरकार पैसे नहीं बचा पाई … इसका नतीजा ये हुआ कि दुनिया भर में तेल की कीमतों में हो रही उटापटक के बीच देश में महंगाई बढ़ गई … लोगों की आय घट गई वेनेजुएला की करंसी की वैल्यू घटने लगी …
शावेज़ ने खाने पीने की चीजों की कीमतें निर्धारित कर दी थीं … यानि लोगों को सस्ते दरों पर खाने की चीजें उपलब्ध कराई जा रही थीं …. हालांकि इसने खाने पीने की कालाबाज़ारी को जन्म दिया जिसे शावेज़ ने सेना की मदद से दबाने की कोशिश की … राइस प्रोसेसिंग प्लांट्स पर सेना का कब्जा हो गया …. सिर्फ उन किसानों के पास जमीने छोड़ीं गईं जो सरकार की शर्तों पर काम करने के लिए तैयार हो गए … देश में कुकिंग ऑयल, मिल्क पाउडर, शुगर, कॉफी, चीज़, सॉस जैसी चीजें बनाने वाली कंपनियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया… शावेज़ ने सारे बड़े फार्म्स पर सरकारी कब्जा करा लिया… शावेज़ ने कहा “The land is not private. It is the property of the state.” .. इसके बाद प्रोडक्शन गिरता चला गया और नतीजा ये हुआ कि खाने पीने की चीजें 9 गुना तक महंगी हो गईं … सरकार की तरफ से किए जा रहे इस तरह के कंट्रोल की वजह से वेनेजुएला को बाद मे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा …

शावेज़ ने बेरोजगारी कम करने के लिए देश की सरकारी तेल कंपनियों पर लोगों को देने का दबाव बनाया था .. तेल कंपनियों को इतने कर्मचारियों की ज़रूरत नहीं थी लेकिन लाखों लोगों इसके जरिए अनावश्यक रोजगार दिया गया …
अपनी नीतियों के तहत सरकार ने सारे उद्योंगो को सरकारी कब्जे में लेना शुरू कर दिया था .. नतीजा ये हुआ कि देश में कारोबार कर रहे कई लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया … उद्योगपति कोलंबिया या कोस्टा रिका जाकर बसने लगे.. प्राइवेट सेक्टर में भयंकर मंदी आ गई और देश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ने लगी …

सरकार ने मनमाने ढंग से टैक्स व्यवस्था लागू की जिसका सारा भार संपन्न लोगों पर आ गया .. शावेज़ ने आम लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और घर को लेकर कई महात्वाकांक्षी मिशन शुरू किए थे लेकिन कभी फंड की कमी तो कभी खराब व्यवस्था की वजह ये पूरी ही नहीं हो पाए … एक रिपोर्ट के मुताबिक शावेज़ के 2006 से पहले शुरू किए गए 4 हज़ार से ज्य़ादा प्रोजेक्ट्स 2013 आते आते पूरे नहीं हो पाए …

देश की आंतरिक आर्थिक हालत खराब हो ही रही थी …. अंतर्राष्ट्रीय कर्ज भी लगातार बढ़ता जा रहा था …
शावेज़ की छवि एक मुंहफट वक्ता की थी …. इसके लिए वो हर हफ्ते टीवी पर हैलो प्रेसीडेंट के नाम से एक कार्यक्रम किया करता था …. इसके जरिए ह्यूगो शावेज़ अपनी राजनैतिक विचारधारा जाहिर किया करता था…
शावेज़ देश को संबोधित करने का कोई मौका नहीं छोड़ता था … चर्च के नेताओं के साथ भी शावेज़ का लगातार टकराव होता रहा शावेज़ ने उन पर गरीबों की अनेदखी करने और अमीरों का पक्ष लेने का आरोप लगाया…

11 सितम्बर 2001 के बाद बुश प्रशासन ने अफगानिस्तान युद्ध के दौरान कड़ा रवैया अपनाया तो शावेज़ ने इसकी कड़ी आलोचना की और कहा कि अमेरिका आंतक से निपटने के लिए आंतक का ही इस्तेमाल कर रहा है…. शावेज़ ने 2006 में यूएन में दिए गए अपने भाषण में उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जॉर्ज बुश को The Devil कहा था … शावेज़ ने कहा “the devil came here yesterday… it smells of sulphur still today.”
शावेज़ पर संविधान में संशोधन के जरिए लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश करने के भी आरोप लगते रहे थे … इस तरह के संशोधन के जरिए शावेज़ ने अधिकारों को अपने पास सुरक्षित कर लिया था … इसी तरह के संशोधन का नतीजा था जब शावेज़ ने कहा कि कोई कितनी बार भी राष्ट्रपति बन सकता है …

ह्यूगो शावेज़ देश में बढ़ रहे अपराध पर भी काबू करने में असफल रहा .. हत्या और किडनैपिंग जैसे अपराध बढ़ते चले गए …. कहते हैं क्राइम का ग्राफ इतना ऊपर चला गया था कि सरकार ने 2007 में इससे जुड़े आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए ..
शावेज़ के जानने वाले लोगों के मुताबिक वो बाइपोलर डिस्ऑर्डर का शिकार था … कभी डिप्रेशन में चला जाता तो कभी बेहद खुश हो जाता … हालांकि शावेज की मौत 2013 में कैंसर के इलाज के दौरान हार्ट अटैक की वजह से हुई थी … कहते हैं अपनी मौत के वक्त उसके आखिरी शब्द थे मैं मरना नही चाहता प्लीज मुझे मरने मत दो .. ये शब्द शावेज़ ने अपने गार्ड से कहे थे … कैंसर से अपनी लड़ाई के दौरान एक बार शावेज़ ने अमेरिका पर बीमारी देने का आरोप लगाया था .. शावेज़ ने कहा, अमेरिका ने लैटिन अमरीकी देशों के नेताओं को कैंसर की बीमारी देने की गुप्त तकनीक तो इज़ाद नहीं कर ली है….

शावेज़ की मौत के बाद भी उसकी तानाशाही नीतियों का खामियाजा वेनेजुएला के लोग भुगत रहे हैं … गरीबी और महंगाई से जूझ रहे इस देश में अक्सर हिंसा भड़क उठती है .. ऐसी ही एक हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने शावेज़ के बचपन के घर को आग के हवाले कर दिया था और देश में अलग-अलग जगहों पर लगी 5 प्रतिमाएं तोड़ दीं… वेनेजुएला के इतिहास में ह्यूगो शावेज़ एक ऐसी शख्सियत है जिसे एक वर्ग ने मसीहा माना तो दूसरे वर्ग ने तानाशाह …. आज भी दुनिया में एक बहुत बड़ा वर्ग ह्यूगो शावेज़ को उसकी नीतियों को तानाशाही ही करार देता है

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