national health insuranceसरकारी उदासीनता, प्रशासनिक संवेदनहीनता एवं बीमा कंपनियों के बर्ताव के कारण सूबे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना बंदी के कगार पर पहुंच चुकी है. परिणामत: 1 अक्टूबर 2016 से 31 मार्च 2017 तक इसकी विस्तारित की गई इलाज सेवा प्रचार-प्रसार के अभाव में बीमा कंपनी की भेंट चढ़ गई है. इस बीच संबद्ध अस्पताल बीपीएल रोगियों के इलाज में आनाकानी करने लगे हैं.

इसके पूर्व युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने लखीसराय जिले में आरएसबीवाई अस्पतालीकरण की कैशलेस इलाज सेवा 01 मई 2015 से 30 सितम्बर 2016 तक बीपीएल हेल्थ स्मार्ट कार्ड धारक मरीजों के लिए शुरू की थी. इस दौरान जिले में 104779 बीपीएल लाभार्थियों में से बीमा सेवा प्रदाता कंपनी की थर्ड पार्टी कार्य एजेंसी विडॉल हेल्थ केयर टीपीए की ओर से आनन-फानन में कुल 40285 लाभुकों के हेल्थ स्मार्ट कार्ड बनवाए गए. इससे प्रति लाभुक 30 रुपये प्रति कार्ड की दर से बतौर पंजीयन बारह लाख रुपए की शुल्क वसूली भी की गई. इसमें से 3 रुपए की दर से राशि संबद्ध एफकेओ को पहचान मानदेय के तौर पर व्यय किया जाना है.

बीमा कंपनी की टीपीए एवं कार्ड सप्लाई एजेंसी व्हाय फ्लैक्स लि. द्वारा 01 अपै्रल से 31 जुलाई 2015 तक जिले में गुपचुप तरीके से स्मार्ट कार्ड इनरॉलमेंट के कार्य को अंतिम रूप दिया गया. इसके पूर्व इनरॉलमेंट एजेंसी की ओर से जिला स्तरीय कार्यशाला, वर्कशॉप व प्रचार-प्रसार मात्र रस्म अदायगी के लिए की गई.

दूसरी ओर कई स्थानों पर बीमा कंपनी के प्रतिनिधि इनरॉलमेंट के लिए स्टेशन तक गठित नहीं कर सके. डीकेएमए डाटा में हेरफेर कर सर्वर पर ऑनलाइन कार्ड बनाकर वितरण करने के आरोप भी लगे. मुंगेर की सांसद सह अध्यक्ष वीणा देवी से लोगों ने जिले में व्याप्त इनरॉलमेंट घोटाले की जांच के बाद ही बीमा कंपनी को प्रीमियम का भुगतान दिये जाने की बातें कही हैं.

इनरॉलमेंट सेंटर पर वेब कैमरा, ऑप्टिकल बायोमैट्रिक स्कैनर, डाटा मास्टर, बैट्री पावर बैकअप एवं डाय सबमिशन प्रिंटर आदि उपलब्ध नहीं थे. इसके अलावा एफकेओ में कार्यरत आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहायिकाओं एवं विकास मित्र आदि को स्मार्ट कार्ड बनाने के बारेे में कोई जानकारी नहीं दी गई.    आईसीडीएस अथवा बीडीओ की साप्ताहिक बैठक में इनसे पंजीयन पर दस्तखत करवाकर इनरॉलमेंट की रस्मअदायगी की गई.

इतना ही नहीं, गरीब लाभुकों को नजरंदाज कर अमीर लोगों  का भी हेल्थ स्मार्ट कार्ड बना दिया गया. लखीसराय जिले के टाल, दियारा एवं नक्सल प्रभावित कई इलाकों में इनरॉलमेंट टीम की ओर से विधि-व्यवस्था का हवाला देकर अनुसूचित जाति एवं जनजाति अर्थात आदिवासियों के भी हेल्थ स्मार्ट नहीं बनवाए गए. यहां तक कि इनरॉलमेंट से पूर्व जिले में प्रखंडवार रोड मैप तक नहीं बनाया गया.

विदित हो कि लखीसराय जिले में बीमा सेवा प्रदाता को प्रति हेल्थ स्मार्ट कार्ड की सरकारी प्रीमियम राशि 248 रुपए एवं पंजीयन शुल्क 30 रुपए प्रति कार्ड की दर से एक करोड़ इकतीस लाख रुपए की प्रीमियम राशि निर्धारित हुई है.

दिसम्बर 2016 तक कुल 1117 बीपीएल मरीजों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत पांच अस्पतालों से इलाज मुहैया कराए गए. इस पर कुल इक्कासी लाख सत्तर लाख रुपए अस्पतालों ने बीमा कम्पनी को भुगतान के लिए दिए हैं.   युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस ने इसमें से पच्चीस लाख तेहत्तर हजार रुपए के बिल का भुगतान कर दिया है. इसके बावजूद जिले में अस्पतालीकरण के पचपन लाख छियानवे हजार रुपए का भुगतान बकाया है.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत दिसंबर 2016 तक नेत्रलोक अस्पताल ने 25,52,537 रुपए, नयन ज्योति अस्पताल ने 21,83, 150 रुपए, सदर अस्पताल लखीसराय ने 22,000 रुपए, श्री अशोकधाम जनरल एंड सर्जिकल अस्पताल ने 33,74,475 रुपए एवं श्री कृष्ण सेवा सदन द्वारा मात्र 37,750 रुपए की राशि बीपीएल रोगियों की कैशलेस हेल्थ स्मार्ट कार्ड के माध्यम से इलाज की सुविधा दी गई.

इसमें श्री अशोक धाम जनरल एवं सर्जिकल अस्पताल एवं श्री कृष्ण सेवा सदन को बीमा सेवा प्रदाता कंपनी की ओर से अभी तक किसी प्रकार के बिल का भुगतान नहीं किया गया है. इसे लेकर अस्पताल संचालकों में बीमा कंपनी एवं राज्य स्वास्थ्य समिति के प्रति भारी असंतोष व्याप्त है.

गौरतलब है कि बीमा सेवा अवधि को 31 मार्च 2017 तक विस्तारित कर दिया गया है. बीमा कंपनी की मनमानी के चलते नयन ज्योति अस्पताल, श्री अशोकधाम जेनरल एंड सर्जिकल अस्पताल एवं श्री कृष्ण सेवा सदन के अलावा सभी प्राइवेट पंजीकृत अस्पतालों में अघोषित तौर पर इसकी सेवा बंद कर दी गई है.

विदित हो कि सूबे के 20 जिलों में से अररिया, बांका, शेखपुरा, मधेपुरा, अरवल, बक्सर, दरभंगा, पूर्वी चम्पारण, सीवान, बेगुसराय, जहानाबाद, पूर्णिया, किशनगंज, प. चंपारण, शिवहर, मुंगेर, भागलपुर, जमुई, लखीसराय एवं नवादा में युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को आरएसबीवाई का कार्य एजेंसी बनाया गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन-बसर करने वाले लोगों एवं असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों के एक परिवार के कुल पांच सदस्यों के बीच बीमित राशि तीस हजार रुपये तक बायोमैट्रिक हेल्थ स्मार्ट कार्ड पर मुफ्‌त इलाज की सुविधा दी जाती है.

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