अमेरिका में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हिलेरी क्लिंटन के फाउंडेशन को भारतीय राजनीतिज्ञ अमर सिंह से मिले भारी-भरकम चंदे पर जो भी बवाल मचा हो, लेकिन अमर सिंह की सपा में वापसी पर छाया तो पड़ ही गई है. हालांकि, पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि सपा में वापसी के बारे में अमर सिंह ही मीडिया को बताएंगे. इसमें यह इशारा भी निहित था कि क्लिंटन फाउंडेशन को अमर सिंह द्वारा दिए गए 50 लाख डॉलर के चंदे के बारे में भी वही मीडिया को बताएं. इस बात पर लोग हैरत ज़रूर जता रहे हैं कि अमर सिंह के हलफनामे में उनकी कुल संपत्ति 50 लाख डॉलर है, तो उन्होंने क्लिंटन फाउंडेशन को उतनी ही रकम कैसे दे दी? आ़िखर क्या है इस चंदे का सच? पढ़िए इस खास रिपोर्ट में…

mulayam-amar-subratक्लिंटन फाउंडेशन को अमर सिंह का लाखों डॉलर का चंदा सुर्खियों में आया, लेकिन न्यूयॉर्क पोस्ट ने इस प्रकरण में समाजवादी पार्टी और सुब्रत राय सहारा के कोरम की तऱफ ध्यान नहीं दिया. क्लिंटन फाउंडेशन को जिस समय चंदा दिए जाने की बात कही गई है, वह समय अमर-मुलायम-सुब्रत के कोरम के बगैर पूरा ही नहीं होता. मुलायम सिंह की तऱफ से क्लिंटन को सारे सत्ता सुख देने और सहारा की तऱफ से क्लिंटन को ऐश्वर्य का भोग चढ़ाने के कृत्य आम लोगों ने देखे हैं. हम केवल उन्हें फिर से सामने रख रहे हैं और दृश्यों को जोड़ दे रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय राजनीति समझने वाले लोग इसे हिलेरी क्लिंटन के राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने की प्रतिरोधी सियासत से जोड़कर देख रहे हैं, तो वहीं घरेलू राजनीति की नब्ज समझने वाले लोग अमर सिंह के समाजवादी पार्टी में वापस होने के ऐन समय पर हुई तिकड़मी सियासत से जोड़कर. जिस तरह डेमोक्रैट पार्टी में रहते हुए बराक ओबामा नहीं चाहते कि हिलेरी क्लिंटन अमेरिका की राष्ट्रपति बनें, उसी तरह समाजवादी पार्टी में रहते हुए प्रो. राम गोपाल यादव नहीं चाहते कि अमर सिंह फिर से पार्टी में वापस आए. यह चंदा-दृश्य बहुत सोच-समझ कर योजनाबद्ध तरीके से सामने लाया गया है, जबकि है यह बहुत पुराना मामला.
बहरहाल, अभी हम क्लिंटन फाउंडेशन को अमर सिंह द्वारा चंदा दिए जाने का प्रकरण देखते चलें, अन्य जुड़े हुए तथ्य इसके बाद देखेंगे. न्यूयॉर्क पोस्ट ने क्लिंटन कैश नामक एक किताब के हवाले से लिखा है कि अमर सिंह एवं अन्य कुछ संगठनों ने वर्ष 2008 में क्लिंटन फाउंडेशन को लाखों डॉलर का चंदा दिया था. यह चंदा 10 लाख डॉलर से 50 लाख डॉलर के बीच था. न्यूयॉर्क पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमर सिंह ने 2008 में उस संवेदनशील वक्त पर चंदा दिया था, जब अमेरिकी कांग्रेस में ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु करार पर मुहर लगने के बारे में चर्चा हुई थी. सीनेट इंडिया कॉकस की तत्कालीन सह-अध्यक्ष एवं प्रतिष्ठित सीनेटर हिलेरी क्लिंटन ने विधेयक का समर्थन किया था, जिसे कांग्रेस ने बहुमत से पारित किया था. क्लिंटन कैश किताब के लेखक पीटर श्वाइजर ने सवाल उठाया है कि क्या अमर सिंह परमाणु करार के लिए जोर देते हुए भारत में अन्य प्रभावशाली हितों के वाहक तो नहीं थे? श्वाइजर ने लिखा है, अगर यह सच है, तो इसका मतलब है कि अमर सिंह ने अपने पूरे नेट-वर्थ का 20 से 100 प्रतिशत के बीच क्लिंटन फाउंडेशन को दिया था. इस मसले पर अमर सिंह ने किसी तरह की गड़बड़ी की बात खारिज करते हुए कहा है, मैं अनुमानों और अटकलों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. मैं क़ानून का पालन करने वाला नागरिक हूं, जिसने देश के किसी क़ानून का उल्लंघन नहीं किया. मैं हाई प्रोफाइल व्यक्ति हूं, जिसकी कलकत्ता एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालयों, कानपुर सत्र न्यायालय, उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने क़ानूनी तथा प्रशासनिक तरीके से जांच-पड़ताल की, लेकिन कोई मेरे ़िखला़फ कुछ साबित नहीं कर सका. क्लिंटन फाउंडेशन एवं उसके प्रचार विभाग ने भी कुछ ऐसा ही कहा और गड़बड़ी की बात पूरी तरह खारिज की, लेकिन चंदा पाने की बात से इंकार नहीं किया. फाउंडेशन ने कहा कि उसके सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए चंदा लेने में पूरी पारदर्शिता बरती गई.
अमेरिका में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हिलेरी क्लिंटन के फाउंडेशन को भारतीय राजनीतिज्ञ अमर सिंह से मिले भारी-भरकम चंदे पर जो भी बवाल मचा हो, लेकिन अमर सिंह की सपा में वापसी पर छाया तो पड़ ही गई है. हालांकि, पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि सपा में वापसी के बारे में अमर सिंह ही मीडिया को बताएंगे. इसमें यह इशारा भी निहित था कि क्लिंटन फाउंडेशन को अमर सिंह द्वारा दिए गए 50 लाख डॉलर के चंदे के बारे में भी वही मीडिया को बताएं. इस बात पर लोग हैरत ज़रूर जता रहे हैं कि अमर सिंह के हलफनामे में उनकी कुल संपत्ति 50 लाख डॉलर है, तो उन्होंने क्लिंटन फाउंडेशन को उतनी ही रकम कैसे दे दी? क्या उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति क्लिंटन फाउंडेशन के नाम लिख दी या फिर चंदे की रकम का किसी अन्य स्रोत से जुगाड़ किया? अमर सिंह की इस जुगाड़ टेक्नोलॉजी में कई अन्य तथ्य जुड़े होने की संभावनाएं बनती और दिखती हैं.

कौन भूल सकता है कि उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री रहते जब बिल क्लिंटन लखनऊ आए थे, तो अमर सिंह ने उनकी कैसी अगवानी की थी. उसके बाद अमर सिंह ने वाशिंगटन जाकर हिलेरी क्लिंटन से मुलाकात भी की थी. क्लिंटन फाउंडेशन ग़रीबी मिटाने, एड्स एवं कई दूसरे सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्यक्रम चलाता है. तब 2005 का सितंबर महीना था. उत्तर प्रदेश विकास परिषद ने क्लिंटन को लखनऊ आमंत्रित किया था. सात सितंबर को बिल क्लिंटन एक दिन के लिए लखनऊ आए थे, लेकिन उनके लिए की गई व्यवस्था ऐसी थी, जैसे महीनों के लिए की गई हो. क्लिंटन एवं उनके साथ आए अधिकारियों को लखनऊ के सबसे महंगे पंच सितारा होटल ताज में ठहराया गया था. होटल की दूसरी मंजिल बाकायदा सील कर दी गई थी. 18 कमरे उनके लिए आरक्षित थे. इसके अलावा तीन अन्य स्थान भी सुरक्षित रखे गए थे. क्लिंटन के कमरे में कई हज़ार वाट का संगीत यंत्र लगाया गया था. क्लिंटन ने रात्रि भोज मुख्यमंत्री निवास पर किया था. इसके लिए दिल्ली के कारीगरों ने प्लाइवुड का जो विशेष पंडाल बनाया था, वह आंधी, पानी एवं भूकंप प्रतिरोधी होने के साथ-साथ बुलेटप्रूफ भी था. इस पर उस समय एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुआ था.
10 हज़ार वर्ग फुट में बने पंडाल में हर घंटे सौ यूनिट बिजली खर्च हुई. इसे 7.5 किलोवाट के 30 बड़े वातानुकूलन संयंत्रों द्वारा ठंडा किया जा रहा था. 1,000 केवी के दो ट्रांसफार्मर मुख्यमंत्री आवास के पास अलग से लगाए गए थे. इसके लिए छह लाख रुपये का भुगतान किया गया था. इसके अलावा स्वत: चालू और बंद होने वाले ऑटोमेटिक जेनरेटर भी लगाए गए थे. क्लिंटन की सुरक्षा के लिए ताज होटल में दो पुलिस अधीक्षक, तीन अपर पुलिस अधीक्षक, छह उपाधीक्षक, सात थानाध्यक्ष, 175 सिपाही और एक प्लाटून पीएसी तैनात थी. इसके अलावा अमौसी हवाई अड्डे पर दो अतिरिक्त अधीक्षक, तीन उपाधीक्षक, पांच थाना प्रभारी, 75 सिपाही और एक कंपनी पीएसी तैनात थी. मुख्यमंत्री आवास पर दो पुलिस उप-महानिरीक्षक, दो अतिरिक्त अधीक्षक, पांच उपाधीक्षक, चार थाना प्रभारी, 26 उपनिरीक्षक, 84 सिपाही और एक कंपनी पीएसी तैनात थी. लखनऊ में पूर्व में तैनात रहे चार मजिस्ट्रेटों को भी इसके लिए विशेष रूप से बुला लिया गया था.
क्लिंटन को खाने-पीने के लिए जो व्यंजन प्रस्तुत किए गए, उसके लिए मुंबई, दिल्ली एवं जयपुर के उन होटलों से परामर्श किया गया था, जहां क्लिंटन अपनी पिछली यात्राओं के दौरान ठहरे थे. आते ही उन्हें नींबू, चांदी के वर्क एवं जड़ी-बूटियों से निर्मित लखनऊ का विशेष शरबत मुफर्रा नवाब और इटली से मंगाई गई एले-बीन निर्मित कॉफी पेश की गई थी. नाश्ते के लिए टर्किश सैंडविच, भारतीय अमूल पनीर, इटली के शेदार, गौडा एवं आइडम्स पनीर और फ्रांस के मोजरेला पनीर का इंतजाम था. साथ ही केला और न्यूजीलैंड से मंगाया गया कीवी फल था. चॉकलेट की ब्राउनी प्लैटरी भी उन्होंने चखी थी. उनके कमरों के फ्रिज में ठंडी डाइट कोक भी भरी रही. उनके भोजन के लिए जो अवधी व्यंजन तैयार किए गए, उनमें चिकन काठी, रोल, चिकन टिक्का, मुर्ग अवधी, कोरमा, मुर्ग लबाबदार, माही टिक्का, पनीर टिक्का, काकोरी कबाब, घुलावटी कबाब, मुर्ग शाही कोरमा वगैरह प्रमुख रूप से शामिल थे. मछली, उबली सब्जियां, कॉर्न और चिकन के विदेशी व्यंजन भी थे. भोजन के बाद मीठे के नाम पर मुजफ्फर सेवईं, शाही टुकड़ा और कई तरह की आइसक्रीमों की व्यवस्था थी. होटल ताज के शराबखाने ने भी इस अवसर पर विशेष तैयारी की थी.
रात्रि भोज के बाद नाच-गाने के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त श्यामक डावर नृत्य दल बुलाया गया था. विडंबना देखिए, उसके छह दिन पहले ही एक सितंबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी लखनऊ आए थे, लेकिन कोई जान भी नहीं सका कि मनमोहन कब आए और कब चले गए. लेकिन, जिन सड़कों से क्लिंटन को गुज़रना था, उनके डिवाइडर और पेवर पर नया रंग-रोगन कर गमले रखे गए थे. बिजली के लट्टुओं को बदल कर रिफ्लेक्टर लगाए गए. सैकड़ों खम्बों के रंग बदले गए. ताज होटल के सामने वाली दीवार पर धौलपुरी पत्थर लगाए गए और सफाई तो स्वर्गिक थी. क्लिंटन के स्वागत में हुए रात्रि भोज में 150 विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे. इनमें मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य, मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, अमिताभ बच्चन एवं सुब्रत राय सहारा का पूरा परिवार, अजीत सिंह एवं बंगारप्पा जैसे नेता, अनिल अंबानी, अमर सिंह समेत उत्तर प्रदेश विकास परिषद के सभी सदस्य, कुछ अ़खबार मालिक और चुनिंदा नौकरशाह शामिल थे. मुलायम सिंह और क्लिंटन के बीच दुभाषिए का काम अमिताभ बच्चन ने किया. इस अभूतपूर्व स्वागत का अर्थ क्या था, इसकी पहेली सुलझाने में लोगों को अधिक वक्त नहीं लगा था. परमाणु करार पर बाहर-बाहर के विरोध और अंदर-अंदर के प्रेम दृश्य लोगों को सारे निहितार्थ समझा रहे थे.
इस यात्रा की खूबी यह थी कि क्लिंटन अमेरिका से सीधे लखनऊ पहुंचे थे. तब किसी ने चुटकी भी ली थी कि ग्लोबल कंपनी के डायरेक्टर के रूप में क्लिंटन सीधे लखनऊ आ रहे हैं. क्लिंटन के स्वागत में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, सुब्रत राय सहारा, राज्य के तत्कालीन ब्रैंड एम्बेसडर अमिताभ बच्चन, कुमार मंगलम बिड़ला, मुकेश अंबानी, आदी गोदरेज, रामदास पै, केवी कामत, एस बंगारप्पा, डॉ. प्रताप रेड्डी और नंदन नीलेकणी के साथ राज्य की तत्कालीन मुख्य सचिव नीरा यादव की मौजूदगी उल्लेखनीय थी. फिल्मी हस्तियों में सुभाष गई, राजकुमार संतोषी, करण जौहर, गोविंद निहलानी, मुजफ्फर अली एवं कमलेश पांडे का नाम तो है ही, रानी मुखर्जी, करीना कपूर, श्रीदेवी एवं ऐश्वर्या राय जैसी खूबसूरत हस्तियां खास तौर पर उल्लेखनीय थीं. जाहिर है, इसमें अमर सिंह और सुब्रत राय सहारा की केंद्रीय भूमिका रही होगी. क्लिंटन की उस भव्य स्वागत गाथा को फिर से लिखने का मक़सद स़िर्फ इतना है कि चंदा देने के पीछे की वजहों और स्वार्थों से संबद्ध सारे चेहरे सा़फ-सा़फ दिखने लग जाएं.


चंदा देने वालों में स़िर्फ अमर नहीं
क्लिंटन फाउंडेशन को चंदा देने वालों में अमर सिंह के अलावा 900 अत्यंत प्रमुख हस्तियां शामिल हैं. इनमें अमेरिकी-भारतीय एनआरआई, भारतीय, एनजीओ और अमेरिकी-भारतीय कंपनियां शुमार हैं. 250 डॉलर तक का चंदा देने वालों में 2,82,759 लोगों के नाम शामिल हैं. क्लिंटन फाउंडेशन को 251 डॉलर से एक हज़ार डॉलर तक का चंदा देने वालों में 650 भारतीयों के नाम हैं. एक हज़ार एक डॉलर से लेकर पांच हज़ार डॉलर तक का चंदा देने वालों में 150 भारतीयों के नाम हैं. 10 लाख से लेकर 50 लाख डॉलर तक का चंदा देने वालों में अमर सिंह के अलावा इन्फो ग्रुप के चेयरमैन विन गुप्ता, सेवेन हिल्स ग्रुप के स्वामी डेव कटरागड्डा और उद्योगपति लक्ष्मी एन. मित्तल के नाम शामिल हैं. पांच लाख से लेकर 10 लाख डॉलर तक का चंदा देने वालों में चॉपर ट्रेडिंग के राज फर्नांडो और एकता फाउंडेशन की अमृता एवं अशोक महबूबानी के नाम हैं. ढाई लाख से लेकर पांच लाख डॉलर तक का चंदा देने वाले भारतीयों में उद्योगपति अजित गुलाबचंद और तत्कालीन प्रमुख होटल व्यवसायी ललित सूरी (अब मरहूम) के नाम शामिल हैं. एक लाख डॉलर से लेकर ढाई लाख डॉलर तक का चंदा देने वालों में फ्रैंक इस्लाम और उनकी पत्नी डेब्बी ड्रीज़मेन के साथ-साथ अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन की अध्यक्ष एवं शाह कैपिटल पार्टनर्स की सीएफओ लता कृष्णन और रिलाएंस यूरोप लिमिटेड शामिल हैं. क्लिंटन फाउंडेशन को 50 हज़ार डॉलर से लेकर एक लाख डॉलर तक का चंदा देने वालों में हिंदुजा फाउंडेशन और जेनरल अटलांटिक के स्पेशल एडवाइजर दिनयर देवित्रे समेत दस लोगों के नाम शामिल हैं. 25 हज़ार से लेकर 50 हज़ार डॉलर तक का चंदा देने वालों में प्रमुख उद्योगपति आदि गोदरेज की पत्नी परमेश्वर ए. गोदरेज और देशपांडे फाउंडेशन के डी देशपांडे समेत 13 नाम शामिल हैं. 10 हज़ार से लेकर 25 हज़ार डॉलर तक का चंदा देने वालों में मेकेंजडी के मैनेजिंग डायरेक्टर रजत गुप्ता, फिल्मकार एम नाइट श्यामलन, तकनीकी विशेषज्ञ रणवीर त्रेहान समेत 41 लोगों के नाम हैं. पांच हज़ार से लेकर 10 हज़ार डॉलर तक का चंदा देने वालों में संत निरंकारी मिशन, वाधवानी फाउंडेशन के रोमेश वाधवानी समेत 32 नाम शामिल हैं.


अखिलेश का क्लिंटन प्रेम
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जब जुलाई, 2014 में लखनऊ आए, तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी उनके स्वागत में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. अमौसी हवाई अड्डे पर अखिलेश यादव क्लिंटन के स्वागत में खुद मौजूद थे. क्लिंटन लखनऊ में केवल पांच घंटे रहे. इतनी देर के लिए उनकी सुरक्षा व्यवस्था में दो पुलिस अधीक्षक, आठ उपाधीक्षक, 10 थानाध्यक्ष, सात निरीक्षक, 250 कांस्टेबल और पीएसी की 10 कंपनियों की तैनाती की गई थी. क्लिंटन को जिस रास्ते से ग़ुजरना था, उसकी सा़फ-सफाई, रंग-रोगन और प्रशासनिक तामाझाम तो इसके अतिरिक्त हैं.


सपा और अमर ने मिलकर की कांग्रेस की मदद

अब यह सा़फ हो गया है कि अमर सिंह एवं समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस नीत संप्रग सरकार को उबारने और कॉरपोरेट हितों को संरक्षण दिलाने की नीयत से क्लिंटन फाउंडेशन को चंदा देकर हिलेरी क्लिंटन से मदद ली थी. यह बात अब खुल गई है कि सीनेटर रहते हुए बराक ओबामा और हिलेरी क्लिंटन ने भारत के लिए सीनेट में लॉबिंग की. इसमें अमेरिकी-भारतीय उद्योगपति संत सिंह चटवाल सक्रिय थे. चटवाल की भूमिका के कारण ही यूपीए सरकार ने उन्हें पद्म पुरस्कार से नवाजने की कोशिश की थी. अमेरिका में हुई लॉबिंग में एक तऱफ जेनेरिक इलेक्ट्रिक और वेस्टिंग हाउस इलेक्ट्रिक जैसे अमेरिकी कॉरपोरेट घराने के, तो दूसरी तऱफ अनिल अंबानी की कंपनी एडीएजी के हित साधे जा रहे थे.


तब अमर के बचाव में कूद पड़े थे मुलायम
वर्ष 2008-09 में जब क्लिंटन फाउंडेशन को चंदा देने का मसला उछला था, तब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को हराकर (विधानसभा चुनाव 2007) बहुजन समाज पार्टी सत्ता पर काबिज हो चुकी थी. प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने क्लिंटन फाउंडेशन को अमर सिंह द्वारा भारी रकम बतौर चंदा दिए जाने की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की थी. इस सिफारिश से संबंधित पत्र केंद्र सरकार को औपचारिक तौर पर भेज भी दिया गया था, लेकिन उसके बाद जांच का क्या हुआ, कुछ पता नहीं चला. जबकि बहुजन समाज पार्टी ने अमर सिंह के ़िखला़फ फेमा के तहत मामला दर्ज कराने की मांग की थी और आरोप लगाया था कि क्लिंटन फाउंडेशन को चंदा देना विदेशी मुद्रा नियामक क़ानून का उल्लंघन है. तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की उस सिफारिश पर मुलायम सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी और अमर सिंह का बचाव किया था. मुलायम सिंह ने कहा था कि मायावती खुद बहुत बड़ी भ्रष्ट हैं, वह क्या दूसरों की जांच कराएंगी. उन्हें तो नैतिक अधिकार ही नहीं है बोलने का.


नाम वालों से अधिक हैं अनाम
क्लिंटन फाउंडेशन को चंदा देने वाली 900 वीवीआईपी हस्तियों के अलावा हज़ारों लोगों के नाम सामने आए हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी काफी है, जिनका नाम सूची में नहीं है, लेकिन उनका चंदा क्लिंटन फाउंडेशन को प्राप्त हुआ है. फाउंडेशन को चंदा देने वाली अनाम हस्तियों में देश के कई नामी पूंजीपति, नेता, व्यापारी एवं धनाढ्य एनजीओ स्वामी शामिल हैं, जिनके अमेरिका में बड़े-बड़े कारोबार हैं, होटल हैं और अनेक स्वार्थ संबद्ध हैं. इन अनाम हस्तियों में कौन नेता है, कौन पूंजीपति है, कौन अर्थ के गलियारे का बिचौलिया है, सारी जानकारी मौजूद है. लेकिन उनके नाम दस्तावेज़ों पर नहीं हैं, इसलिए नाम प्रकाशित करने में क़ानूनी बाधा है.


केंद्र से लेकर यूपी तक चलती थी चटवाल की
क्लिंटन फाउंडेशन के चार ट्रस्टियों में दो भारतीय हैं. इनमें संत सिंह चटवाल का नाम अव्वल है. चटवाल अमेरिकी सत्ता गलियारे के साथ-साथ भारत और खास तौर पर, उत्तर प्रदेश के सत्ता गलियारे में भी काफी सक्रिय रहे हैं. केंद्र में कांग्रेस शासन के सत्ता अलमबरदारों से चटवाल की काफी निकटता रही है और उत्तर प्रदेश में भी वह तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, सपा के तत्कालीन महासचिव अमर सिंह एवं तत्कालीन पूंजीपति सुब्रत राय सहारा के नज़दीक रहे हैं. स्वनामधन्य संत सिंह चटवाल पर अमेरिका में वित्तीय अपराध और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने जैसे गंभीर आरोप हैं. भारतीय मूल के अमेरिकी होटल उद्योगपति संत सिंह चटवाल न्यूयॉर्क की अदालत के सामने ग़ैर-क़ानूनी तरीकों से राजनीतिक चंदा देने का जुर्म स्वीकार कर चुके हैं. उनका रिकॉर्डेड वक्तव्य है कि ग़ैर-क़ानूनी तरीकों से दिए गए पैसों से ही सत्ता तक पहुंच बनती है. सिस्टम में घुसने और उसे खरीदने का यही एकमात्र रास्ता है. चटवाल अमेरिका में कई रेस्तरां और मोटेल चेन के मालिक हैं और हाल तक न्यूयॉर्क के हैंपशायर होटल के मैनेजमेंट बोर्ड के अध्यक्ष थे.न्यूयॉर्क की एक अदालत में चटवाल ने स्वीकार किया था कि उन्होंने 2007 से 2011 के दौरान अपनी जेब से पैसा देकर दूसरे लोगों से चंदा दिलवाया और तीन राजनीतिक उम्मीदवारों के लिए एक लाख अस्सी हज़ार डॉलर तक का चंदा दिया. सरकारी पक्ष का कहना था कि चटवाल ने अपने कर्मचारियों और होटल में काम करने वाले ठेकेदारों के ज़रिये चंदा दिया, जिससे वह प्रशासन के अधिकारियों और कांग्रेस के सदस्यों तक अपनी पहुंच बना सकें. उन पर गवाहों को खरीदने की कोशिश करने जैसे गंभीर आरोप भी थे. चटवाल ने 2008 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डेमोक्रैटिक पार्टी की उम्मीदवारी के लिए बराक ओबामा के ख़िला़फ लड़ रही हिलेरी क्लिंटन के लिए एक लाख डॉलर का चंदा जुटाया था. चटवाल की इस स्वीकारोक्ति के बाद तो राजनीतिक हस्तियों में चंदा लौटाने की होड़ लग गई थी. क्लिंटन फाउंडेशन के विवादास्पद ट्रस्टियों में एक और भारतीय का नाम है. वह हैं, विनोद गुप्ता. अमेरिका में डाटाबेस फर्म इन्फोयूएसए के संस्थापक एवं अध्यक्ष विनोद गुप्ता क्लिंटन फाउंडेशन के ट्रस्टी और बिल क्लिंटन के प्रमुख वित्तीय सलाहकार रहे हैं. वर्ष 2008 में उन पर धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितता के गंभीर आरोप लगे थे. उन पर आरोप था कि कॉरपोरेट फंड के क़रीब एक करोड़ डॉलर की धनराशि उन्होंने चार्टर विमान से यात्रा करने, निजी क्रेडिट काड्‌र्स, आलीशान नौका और 20 आलीशान गाड़ियां खरीदने में खर्च कर दी. विनोद गुप्ता ने इन खर्चों में से 40 लाख डॉलर की रकम सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के ज़रिये धोखाधड़ी करके समायोजित करा दी. गुप्ता ने बिल क्लिंटन को भी क़रीब 30 लाख डॉलर दिए थे. फाउंडेशन के दो अन्य ट्रस्टियों विक्टर दहडालेह और रोनाल्डो गोंजालेज बन्सटर पर भी गंभीर वित्तीय अपराध के आरोप रहे हैं.

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