मौसम विभाग की तरफ से जारी किए गए पूर्वानुमान के मुताबिक, इस साल जून से सितंबर के दौरान 97% बारिश की संभावना है. इसे सामान्य बारिश कहा जा सकता है. अगर यह अनुमान सही साबित होता है, तो यह लगातार तीसरा साल होगा जब देश में मानसून सामान्य रहेगा. वैसे, मौसम विभाग के पूर्वानुमान के आंकड़ों में 5% एरर मार्जिन होता है. इसलिए इस अनुमान को सटीक माना जा सकता है. बता दें कि 96% से 104% के बीच के बारिश को सामान्य माना जाता है.

मौसम विभाग की तरफ से, मानसून के केरल पहुंचने का अनुमान 15 मई को जारी होंगे और उसके बाद दूसरे चरण के मानसून के पूर्वानुमान जून की शुरुआत में आएंगे. इस पूर्वानुमान में जून से सितंबर के बीच देश के सभी हिस्सों यानि चारों भौगोलिक क्षेत्रों में होने वाली बारिश की संभावना बताई जाएगी. गौरतलब है कि पिछले 5 सालों में 2015 ऐसा साल रहा है, जब मानसून सबसे कमजोर रहा था. 2015 में 14% कम बारिश हुई थी.

मौसम विभाग से पहले एक निजी एजेंसी स्काईमेट ने भी बारिश का पूर्वानुमान जारी किया था. उसके अनुसार भी इस साल सामान्य मानसून की संभावना है. स्काईमेट ने तो इस साल जून से सितंबर के दौरान 100% बारिश की संभावना जताई है. कहा गया है कि इस दौरान 887 मिमी बारिश हो सकती है. इन दोनों अनुमानों से यह तो तय है कि इस साल कम बारिश की आशंका बेहद कम है.

बारिश देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है. मानसून सामान्य रहने से ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय बढ़ती है, वहीं इसका असर शेयर बाजार पर भी पड़ता है. मानसून का सीधा संबंध खपत आधारित सेक्टर्स से भी है. इससे ग्रामीणों की खरीद क्षमता बढ़ती है जिससे कृषि उपकरण निर्माता कंपनियों के साथ-साथ, टू-व्हीलर्स केमिकल्स, फर्टिलाइजर्स और एफएमसीजी कंपनियों की भी आय बढ़ती है. सामान्य मानसून बैंकों और फाइनेंशियल सेक्टर्स को भी सकारात्मक रूप में प्रभावित करती है.

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