राफेल डील को लेकर देश में घमासान मचा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट भी राफेल डील को लेकर दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रही है. तो वहीं इस मामले में नया खुलासा हुआ है. द हिंदू अखबार ने दावा किया है कि राफेल डील में बैंक गारंटी न मिलने से यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार को यह डील महंगी पड़ी है.

द हिंदू के मुताबिक, राफेल डील लिए बातचीत करने वाली सात सदस्यों की टीम ने 21 जुलाई, 2016 को रक्षा मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि बैंक गारंटी में देरी के चलते इन विमानों की लागत 57.4 करोड़ यूरो तक पहुंच गई. यही वजह थी कि जब 36 राफेल फ्लाइअवे विमानों का सौदा हुआ तो यूपीए सरकार की तुलना में यह डील 24.61 करोड़ यूरो महंगी पड़ी.

अखबार की रिपोर्ट में जिक्र है कि 36 राफेल विमान खरीदने के लिए बनी निगोसिएशन टीम की रिपोर्ट के पैरा 21, 22 और 23 से यह साफ़ हो जाता है कि आखिर कैसे बैंक गारंटी को खत्म करने पर विमानों की लागत 57.4 करोड़ यूरो हो जाएगी है. यह आंकड़ा बैंक के 2 फीसदी के सालाना कमीशन, भारतीय बैंक के कन्फर्मेशन चार्ज के आधार पर तय किया गया है.

द हिंदू की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ कि राफेल डील के लिए निगोशि‍एट कर रही टीम ने फ्रांस पर बैंक गारंटी के लिए दबाव बनाया था. तो वहीं कानून एवं न्याय मंत्रालय ने भी दिसंबर, 2015 में लिखि‍त रूप से सुरक्षा की दृष्टि से फ्रांस से बैंक गारंटी लेने की सलाह दी थी. लेकिन निगोसिएशन टीम ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में इस मामले में चुप्पी साध ली.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामें में मोदी सरकार ने राफेल डील को एमएमआरसीए खरीद प्रक्रिया से बेहतर बताया था. बताया जाता है कि सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने फ्रांसीसी कंपनी को बैंक गांरटी से राहत देते हुए फ्रांस के प्रधानमंत्री के लेटर ऑफ कॉम्फर्ट को ही स्वीकार किया था जिसकी कानूनन कोई बाध्यता नहीं है.

गौरतलब है कि 2007 में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना के लिए लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया की शुरुआत की थी. इसके बाद 2011 तक भारतीय वायु सेना ने अलग-अलग विमानों का फील्ड ट्रायल किया. इस फील्ड ट्रायल के बाद दो कंपनियां दसाॅल्ट और यूरोफाइटर शाॅर्टलिस्ट हुई. जिनमें से भारत सरकार ने दसाॅल्ट से राफेल विमान खरीदने का फैसला लिया था. इस सौदे के तहत 126 विमान खरीदे जाने थे. इनमें से 18 दसाॅल्ट कंपनी देने वाली थी और 108 हिंदुस्तान एयरोनाॅटिक्स लिमिटेड में असेंबल होने थे. लेकिन अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फ्रांस गए और वहां उन्होंने दसाॅल्ट से 36 राफेल विमान खरीदने का ऐलान कर दिया. जिसके बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि 126 विमानों की खरीद का सौदा खत्म हो गया है और अब भारत सिर्फ 36 विमान खरीदेगा.

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